जादुई कहानी:
एक छोटे से शहर में राम नाम का एक लड़का रहता था. वह जन्म से ही लगदा था। वह बोहोत परेशान रहता था। अपने पैर को ले कर. वह स्कूल में सारे बच्चो को खेलते देख कर बाह सोचता था की कास मई भी खेल पता। पर उसका पैर खराब होने की बजह से वह खेल नहीं सकता था . एक दिन उसके साथ के सारे बच्चे फुटबॉल खेल रहे थे, तो राम ग्राउंड के साइट पर बैठकर सोच रहा था कि…
काश मैं भी इन बच्चों के जैसा फुटबॉल खेल सकता, दोनों पैर पर चल सकता. राम बैठकर यह सोच रहा था। की मैं हर रोज तो यहां बैठा रहता हूं। क्यों ना मै आज जंगल में घूमने जाऊ। यह बोलता हुआ राम निकल पड़ा जंगल की तरफ।
जंगल में घुसने के थोड़ी दूर ही चलने के बाद राम को झाड़ियों में से कुछ आवाजें आई । पास जाकर देखा तो उसने देखा एक बहुत ही सुंदर सा पंछी झाड़ियों की ठाहिनियो में फसा हुआ था।
जादुई कहानी:
जादुई कहानी:
फिर उसने अपने लंच बॉक्स में से थोड़ा सा खाना खिलाया और बोतल के ढक्कन से थोड़ा सा पानी निकाल कर उसको पिलाया। और राम को चिंता होने लगी की इस बच्चे का क्या होगा और उस छोटे से बच्चे को कहा छोडू। और फिर राम की अचानक नजर पड़ी तो दूसरी तरफ से एक पच्छी आ रहा और बाह पच्छी सीधे उस छोटे से पच्छी के पास गया और उस छोटे से पच्छी से बात करने लगा।
और यह देख कर राम खुस हुआ। और अपनी बैसाखी उठाकर राम स्कूल की तरफ जाने ही वाला था। की तभी पीछे से एक आवाज आती है. “रुको बच्चे”!
जादुई कहानी:
और राम पीछे मूढ़ता है। और अपने आसपास देखा है उसे कुछ नहीं दिखाई देता है। राम सोचता है शायद यह मेरा भ्रम था. फिर वह जाने के लिए मुड़ता है। तो फिर से वही आवाज सुनाई देती है।
राम : कौन हो तुम दिखते क्यों नहीं हो।
पंछी : मैं वहीं हूं जिसके बच्चे की तुमने जान बचाई है।
राम : यह तुम कैसे कह सकते हो की मैंने तुम्हारे बच्चे की जान बचाई है।
पंछी : मैंने तुम्हे अपने बच्चे की मदद करते देखा है। , तुमने मेरे बच्चे की मदद की है। अब मै तुम्हारी मदद करना चाहता हु।
जादुई कहानी:
राम : मेरी मदद! अरे उसकी कोई जरूरत नहीं है। यह तो मेरा फर्ज था। मुझे इसके बदले में कुछ भी नहीं चाहिए
पंछी : मुझे पता है। लेकिन फिर भी तुम मेरा यह पंख ले लो।
राम : लेकिन मैं इस पंख का क्या करूंगा। यह मेरे किस काम आएगा।
पंछी : यह एक जादुई पंख है। , इससे तुम जो मांगोगे वह तुम्हें मिल जाएगा। . लेकिन सिर्फ दो बार। यह तुम्हारी दो इच्छाएं पूरी कर सकता है।
जादुई कहानी:
राम : आपका बहुत-बहुत धन्यवाद! और राम बोहोत खुस हुआ। राम अपने घर चाला गया। जब राम सोने के लिए बिस्तर पर जा रहा था तब उसे उस पंख की याद आई।
और मन ही मन यह सोचने लगा। मै इससे कुछ करने को कहता हू।, पर मुझे कैसे पता चलेगा की यह काम करता करता भी है की नहीं। ” तभी बाह अचानक अपनी हाथ की तरफ देखता है। जिस हाथ में उसकी चोट लगी थी। और यह सोचने लगा की यह चोट तो उस पच्छी को कांटों से निकालते वक्त लगी थी। इसी में कोशिश करके देखता हूं।
जादुई कहानी:
यह बोलकर राम उस पंख को अपनी चोट के ऊपर लहराने लगा और बोला यह चोट ठीक हो जाए। और फिर उसने देखा की चोट तो पूरी तरह से ठीक हो चुकी है। नामोनिशान भी नहीं बचा चोट का तो।
और फिर उसने अपने पैर पर वह पंख लहराया और बोला मेरा पैर ठीक हो जाए। और मैं सब बच्चों की तरह दौड़ने लगूं। यह बोलते ही उसके पैरों में झनझनाहट हुई। और राम अपने बिस्तर से उठकर धीरे धीरे चलने की कोशिश करने लगा। राम का पैर पूरी तरह से अच्छा हो गया था। राम बोहोत खुस हुआ।
जादुई कहानी:
राम : अरे वाह ! मैं बिना बैसाखी के चल सकता हूं। , मेरे पैर तो बिल्कुल ठीक हो गए . मैं दौड़ सकता हूं। मैं नाच सकता हूं।
यह शोर सुनकर उसके मम्मी पापा उसके कमरे में आए और राम को खड़ा देखकर उनके आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे।
जादुई कहानी:
राम : मम्मी पापा देखो मै अपने पैर में खड़ा हु। और चल भी सकता हु।
राम के मम्मी पापा ने उससे कहा अरे वाह यह तो चमत्कार हो गया। राम ने उनको जंगल वाली कहानी बताई और यह भी बताता कि इस जादुई पंख से सिर्फ दो ही इच्छा मांग सकता है। अब यह मेरी कोई भी इच्छा पूरी नहीं करेगी।
जादुई कहानी:
राम की मम्मी ने बोला बेटा तुम्हारा पैर तो ठीक हो गया। अब तुम्हें और क्या चाहिए। राम ने बोला हां अब मुझे और कुछ भी नहीं चाहिए मैं बहुत खुश हूं।