भूत की कहानी:
एक गांव था। उस गांव का नाम रामपुर था उस गांव में सुनीता नाम की लड़की रहती थी। वह जादू टोना करती थी। वह बच्चो को जादू से अपने बस में कर के उनकी बलि दे देती थी।
और किसी को पता नहीं चलता था। यह बात किसी को भी नहीं पता थी की सुनीता जादू टोना करती है। धीरे धीरे रामपुर गांव के बच्चे काम होने लगे।
सुनीता धीरे धीरे करके सरे बच्चो को मरती जा रही थी। गांव बाले बोहोत परेशान थे। उन्हें पता नहीं चल पा रहा था की ऐसा कौन कर रहा है।
भूत की कहानी:
जितने छोटे बच्चे थे सुनीता एक एक कर के उन सरे बच्चो को मरती जा रही थी।
तब गांव वालो ने रत में पहरा देने लगे। क्योकि सुनीता रात में ही बच्चो को बस में करती थी।
जब गांव में गांव वालो ने पहरा देना चालू किया तो सुनीता को मालूम पड़ा। की गांव वाले पहरा देना चालू किये है। तो सुनीता ने बच्चो को ले जाना काम किया।
लेकिन सुनीता की जादू टोने वाली बिधि पूरी नहीं हो पा रही थी। तो सुनीता ने बच्चो को चोरी करने का निश्चय किया।
भूत की कहानी:
सुनीता रात में राम पुर गांव में राज के घर गई और उधर सुनीता बच्चे के ऊपर जादू कर ही रही थी की अचानक राज उधर आ गया और सुनीता को पकड़ लिया उसे बोहोत मारा और उसे गांव वालो के सामने ले गया।
गांव वालो ने सुनीता को बोहोत मारा और गांव वालो ने सुनीता को आग लगा कर मरने का तय किया। सुनीता ने बोहोत बच्चो को मारा था था। इसी लिए वह फैसला गांव वालो ने किया था।
सुनीता को गांव वालो ने उस पेड़ में बांध दिया। और आग लगाने वाले थे। सुनीता बोहोत चिल्लाई पर गांव वाले नहीं मने और उसको जला दिया।
भूत की कहानी:
सुनीता ने जलते जलते गांव वालो से कहा की मै मेरा आप लोग सरीर जला सकते हो लेकिन तुम मेरी आत्मा नहीं मर सकते हो मै वापस आउंगी और इस बार ज्यादा बच्चो को मरूंगी।
यह कहकर सुनीता जल गई और उसकी राख गांव वालो ने तंत्र मन्त्र से बाद दिया और उसकी राख को जमीं के नीचे गढ़ दिया।
फिर गांव से कोई बच्चा नहीं मारा और सभी गांव वाले खुसी खुसी रहने लगे। पर उनको पता नहीं था। की सुनीता अभी वापस आ सकती है। और जब वह आएगी। वह बोहोत तबाही मचाये गई। इस बात से सब बेख़वर थे।
भूत की कहानी:
सुनीता की राख जिस जगह में गाड़ी थी उसी जगह में एक गांव वाला मिटटी खोद रहा था। राम पुर गांव में वह आदमी नया था और उसे पता नहीं था। की उस गांव में क्या हुआ है और इस जगह में क्या है उस बात से वह आदमी बिलकुल बेखबर था। वह आदमी।
यह आदमी उसी जगह खोद रहा था। जिसे ही उसने ज्यादा गहरे खोदा तो उसे एक लोटे में उसे कुछ बाँधा दिखा पर उसे नहीं पता था की उसमे सुनीता की रख है।
उसने उस लोटे को जैसे ही खोला तो वह आदमी के अस पास धुआँ का गोला बन गया और थोड़ी देर में वह आदमी बेहोस हो के जमीन में गिर गया। जब उसे होस आया तो वह जमीन में पड़ा था। जल्दी से वह आदमी उठा और उधर से भाग गया।
भूत की कहानी:
यह सब बाटे उसने गांव वालो से बताई। जब गांव वालो ने यह सुना तो वह बोहोत दर गए। और गांव वालो ने सोच लिया की आ गई तबाही।
सुनीता का कहर फिर से चालू हो गया और एक एक बच्चो को सुनीता ले जाने लगी गांव वाले बोहोत परेशान थे। और बोहोत दुखी थे।
उन्हें समझ में नहीं आ रहा था की वह क्या करे। राम पुर गांव में एक मंदिर में एक अघोरी रहता था वह बोहोत ही सकती साली था वह सब कुछ जनता था। और उस अघोरी को यह भी पता था की गांव वाले मेरे पास जरूर आएंगे।
भूत की कहानी:
गांव वाले आपस में सलाह लेते है और उसी मंदिर वाले अघोरी के पास जाते है। और बोलते है की बाबा हम लोगो को बचा लो। हमारे सरे बच्चे वो सुनीता डायन ले जा रही है और सरे बच्चो मो मर दाल रही है।
अघोरी बाबा गांव वालो की मदद करने के लिए तैयार हो जाते है। और उनके साथ चले जाते है। जब रत में सुनीता आती है। बच्चो को लेने तो उस अघोरी को देखरक भाग जाती है।
सुनीता समझ जाती है की ये बोहोत पोहचे हुए साधु है।और इसको हराना नामुनकिन है। यही सोचकर सुनीता भाग जाती है।
भूत की कहानी:
अघोरी को पता था की सुनीता दोवारा आएगी इसी लिए अघोरी उसी गांव में रुक गया। पर सुनीता दूसरे दिन भी नहीं है और तीसरे दी भी नहीं आई। पर अघोरी को पता था की सुनीता आएगी तो जरूर तभी चौथे दिन सुनीता आई।
राज के घर में राज को पता था की सुनीता अगर आएगी तो मेरे गारा में आएगी इसी बजह से राज पूरी तयारी के साथ था।
सुनीता आ गई राज के घर में राज दौड़ते दौड़ते अघोरी बाबा को बुला लाया अघोरी बाबा ने अपने मंत्र से सुनीता डायन को बांध लिया। और उसे एक बोतल में कैद कर लिया। और अपने साथ ले गए सुनीता डायन को।
भूत की कहानी:
अघोरी बाबा ने कहा की मै इसे ऐसी जगह गाडू गए की यह कभी भी उधर से बहार नहीं निकल पायेगी।
गांव वाले खुसी खुसी रहने लगे और फिर कोई भी बच्चा रामपुर गांव से नहीं गायब हुआ पर राज का बेटा बोहोत दर गया उसको इस बात से निकलने में बहुत टाइम लगा। पर वह अभी भी दर जाता है।
पर उस दिन से कोई सुनीता ने रामपुर गांव को परेशान नहीं किया। और सुनीता कभी भी बहार नहीं निकल पाई।