होलिका दहन

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होलिका दहन:

टिकरी नाम का एक गांव है। जो हमीरपुर जिले में है। उस गांव के आदमी बोहोत अच्छे है। उनमे से मै भी हू जो इस कहानी को लिख रहा हू। टिकरी गांव में होली बोहोत अच्छी तरह से मनाते  है। इस  गांव के सभी बूढ़े और बच्चे होलिका दहन में जाते थे।

हर साल का यही तरीका था। की सब लोग होलिका दहन में जाते थे। और खूब सारा मजा करते थे।
टाइम बदलता गया। और बड़े लोगो ने जाना धीरे धीरे बंद कर दिया। पर होलिका दहन तो होता ही रहेगा। धीरे धीरे लोगो ने जाना ही जैसे बंद कर दिया था।

अब उस तरह से होली नहीं मनाते  है।  पर होली तो मनती  ही थी। अब (२०२० ) का टाइम है। और आज 09 मार्च 2020 है। टाइम 11:00  बजे का है।

होलिका दहन

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और आज होलिका दहन है। और हर साल के तरह भी होलिका दहन होगा। पर इस साल होलिका दहन में कोई सोर नहीं ज्यादा न ज्यादा लोग। बस गिने चुने लोग थे।

जिनका नाम (अनुरुद्ध ,सुधाकर ,प्रभाकर ,अरबिन्द ,और जो ये कहानी लिख रहा है यानि की मै कौशलेन्द्र कुमार) हम लोग वैसे तो भाई ही है सब लोग पर उससे कई ज्यादा दोस्त है।

हाला की और तीन चार लोग भी थे। हल लोग साथ में मिलकर होलिका दहन जाने के लिए तैयार थे। और शोर मचा रहे थे। कोई बड़ा था नहीं हम ही लोग छोटे छोटे थे।

होलिका दहन

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पर हम लोग खुस थे और होलिका दहन की तयारी में थे। अरबिन्द जो है। वो बोहोत ही सही आदमी है। उसकी सादी हो चुकी है। हम लोग उसे होलिका दहन के लिए बुलाते है।  पर वह नहीं आता है।

मेरे बुलाने से तो अरबिन्द नहीं आता  पर जब प्रभाकर अरबिन्द को बुलाता है। तो अरबिंद आ जाता है।
हम सभी लोग शोर माजते है। पर बड़ा को भी नहीं आते है। बस छोटे ही छोटे आते है और वो भी शोर मचाने लगते है। पहले जो लोग होलिका दहन में थे। उनके बारे में कुछ छोटा सा बता दू।

अनरुद्ध — ये बोहोत सन्त स्वभाव का लड़का है। थोड़ा सा नटखट है। और ये अपना गोल पाने की जी तोड़ तयारी करता है ,कभी किसी को गलत नहीं बोलता है। और सब से सही से बोलता है।

होलिका दहन

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अरबिंद — ये सर भी हमारे ग्रुप के ही है पर इनकी सादी हो चुकी है। ये जो सर है ये भी बोहोत अच्छे है। और सन्त स्वभाव के है। और इनके पर एक पॉजिटिव पॉइंट यह है की ये लोगो को अपनी तरफ कर लेते है वो भी बात कर के।

प्रभाकर — ये जो लड़का है। जोसिल  जोशील है। और हमेसा जुगाड़ में घूमता रहता है। लड़का बोहोत सही है। और इसका गोल मैच खेलना है और मैच में कुछ करके दिखाना है।

सुधाकर — ये भी बोहोत सही आदमी है। पर ये तो प्रभाकर से भी बड़ा जोसिल है। लड़का सही है पर जोसिल है।

कौशलेन्द्र कुमार — मै  ऑथर हु यानि की (कहानी लिखने वाला ) मै थोड़ा सन्त स्वभाव का हु। मै ज्यादा किसी से बोलता नहीं हू। मेरे ज्यादा न बोलने से लोग मुझे घमंडी भी कहते है। पर मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता मै जैसा भी हू सही हूँ।

होलिका दहन

होलिका दहन:

अब आते है अपनी कहानी पर हम सारे लोग जमा होकर होलिका दहन करने निकल रहे थे। और शोर भी कर रहे थे। एक दूसरे को गली देते हुए हम होलिका दहन करने जा रहे थे।

और गली इस बजह से दे रहे थे की हम लोग ये मानते है की आज की छूट है और आज किसी  को कुछ भी  हो।

हम सभी लोग उघार पोहोचते है जिधर होलिका दहन करने वाले थे। हम सभी लोग ईंधन एकठा करते है। और होली को जलाते है। पहले तो होली जलती नहीं है।

होलिका दहन

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फिर बाद में होली जल जाती जाती है। होली खूब तेज जलती है। हम सभी लोग बोहोत खुस होते है। और होली जी की जय बोलने लगते है।

होली जलती है है और फिर कुछ लोग आते है जो टल्ली होते है। और होली की आग को फेक फेक कर मांगने लगते है। सभी लोग रोकते है पर वो लोग नहीं मानते है। क्योकि बड़ा कोई था नहीं जो सही से रोक सके कुछ देर तक ऐसा ही चलता है।

और फिर ख़तम हो जाता है सभी की जाने की तैयारी होती है ही जाने की हम लोग रस्ते में जाने लगते है। रस्ते में सरे बच्चो ने खूब सारी चीजे फेक दी थी की कोई निकल न पाए।

होलिका दहन

होलिका दहन:

हम सभी लोग जैसे तैसे रस्ते से निकलते है। और फिर जोसिल गट्टा के घर के पास पोहोचते है। बच्चे हर साल जोसिल गट्टा के घर में कुछ न कुछ फेक कर जरूर जाते थे।

इस बार भी ऐसा ही हुआ सभी बच्चो ने जोसिल गट्टा के घर में जो कुछ हाथ में लिए थे वह फेक फेक के मरने लगे मरते ही उधर से सब भाग गए और जोसिल गट्टा जोर जोर से चिल्लाने लगे। 

जोसिल गट्टा घर के बहार आ कर सरे बच्चो को जोर जोर से गाली देने लगा। सारे बच्चे बोहोत खुस हुए हम लोग भी खुस हुए। और उधर से भाग गए।

होलिका दहन

होलिका दहन:

और ऐसे हम लोगो की होलिका दहन हुआ  इस बार के होलिका दहन  ज्यादा कोई था नहीं पर हम लोगो को माझा बोहोत आया। और हम लोगो का होलिका दहन हुआ।

इस कहानी के सभी पात्र और घटनाये सही है। जो भी गलती हुई हो कृपया कर के माफ करे और कहानी  का मजा ले  धन्यवाद।

 Published by Kaushlendra Kumar

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