बच्चों के लिए सोने से पहले कहानियाँ सुनना न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह उनके नैतिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। और आज के इस ब्लॉग पोस्ट Bedtime Stories For Kids In Hindi में, हम ऐसी ही विभिन्न प्रेरक और शिक्षाप्रद कहानियों का संग्रह प्रस्तुत कर रहे हैं।
इन कहानियों में शामिल हैं इमानदार लकड़हारा, एकता का बल, समय का महत्व, चतुर सियार, खरगोश और कछुआ की रेस, और भी बहुत कुछ। हर कहानी (moral stories for kids in Hindi) एक महत्वपूर्ण संदेश देती है और बच्चों को नैतिक मूल्यों की शिक्षा देती है।
तो आइए, इन कहानियों के माध्यम से बच्चों को सिखाएं कि ईमानदारी, एकता, समय की कदर, चतुराई, और धैर्य का जीवन में कितना महत्व है। सोते समय इन कहानियों को सुनकर आपके बच्चे निश्चय ही आनंदित होंगे।
15 Bedtime Stories for Kids in Hindi: किड्स स्टोरी इन हिंदी
तो दोस्तों, यह रहे 15 बच्चों के लिए सोने से पहले की कहानियाँ (Bedtime Stories For Kids In Hindi) जिनकी नैतिकता आपके बच्चों के मन और मस्तिष्क को शांत और प्रेरित करते हुये उन्हे महत्वपूर्ण जीवन मूल्यों की सीख देंगी।
1. चालक बंदर की कहानी (Bedtime Stories for Kids in Hindi)
किसी नदी के किनारे एक बहुत बड़ा पेड़ था। उस पर एक बंदर रहता था। उस पेड़ पर बड़े मीठे फल लगते थे। बंदर उन्हें भरपेट खाता और मौज उड़ाता। वह अकेले ही मजे में दिन गुजार रहा था।
एक दिन एक मगर उस नदी में से पेड़ के नीचे आया। बंदर के पूछने पर मगर ने बताया कि वह वहां खाने की तलाश में आया है। इस पर बंदर ने पेड़ से तोड़कर बहुत से मीठे फल मगर को खाने के लिए दिए। इस तरह बंदर और मगर में दोस्ती हो गई। अब मगर हर रोज वहां आता और दोनों मिलकर खूब फल खाते। बंदर भी एक दोस्त पाकर बहुत खुश था।
एक दिन बात बात में मगर ने बंदर को बताया कि उसकी एक पत्नी है जो नदी के उस पार उनके घर में रहती है। तब बंदर ने उस दिन बहुत से मीठे फल मगर को उसकी पत्नी के लिए साथ ले जाने साथ ले जाने के लिए दिए। इस तरह मगर रोज जी भरकर फल खाता और अपनी पत्नी के लिए भी लेकर जाता।
मगर की पत्नी को फल खाना तो अच्छा लगता पर पति का देर से घर लौटना पसंद नहीं था।
एक दिन मगर की पत्नी ने मगर से कहा कि अगर वह बंदर रोज रोज इतने मीठे फल खाता है तो उसका कलेजा कितना मीठा होगा। मैं उसका कलेजा खाऊंगी। मगर ने उसे बहुत समझाया, पर वह था कि मानी ही नहीं।
मगरमच्छ दावत के बहाने बंदर को अपनी पीठ पर बैठाकर अपने घर लाने लगा। नदी के बीच में उसने बंदर को अपनी पत्नी की कलेजे वाली बात बता दी। इस पर बंदर ने कहा कि वह तो अपना कलेजा पेड़ पर ही छोड़ आया है। वह उसे हिफाजत से पेड़ पर रखता है। इसलिए उन्हें वापिस जाकर कलेजा लाना पड़ेगा।
मगर बंदर को वापिस उस पेड़ के पास ले गया। जैसे ही बंदर पेड़ के पहुचा, वह छलांग मारकर पेड़ पर चढ़ गया। उसने हंसकर कहा कि जाओ मूर्ख राजा घर जाओ और अपनी पत्नी से कहना कि तुम दुनिया के सबसे बडे मूर्ख हो। भला कोई भी अपना कलेजा निकालकर अलग रख सकता है।
बंदर की इस समझदारी से हमें हमें पता चलता है कि मुसीबत के वक्त। धैर्य से काम करना चाहिए।
2. बीरबल ने पकड़ा चोर (Short Bedtime Stories for Kids in Hindi)
एक बार की बात है बादशाह अकबर की सबसे प्यारी अंगूठी अचानक गुम हो गई थी। बहुत ढूँढने पर भी वह अंगूठी नहीं मिली। इस कारण बादशाह अकबर चिंतित हो गए और इस बात का ज़िक्र उन्होंने बीरबल से कहा।
इस पर बीरबल महाराज अकबर से पूछते हैं कि महाराज आपने अंगूठी कब उतारी थी और उसे कहां रखा था? बादशाह अकबर कहते हैं, मैंने नहाने से पहले अपनी अंगूठी को अलमारी में रखा था और जब वापस आया तो अंगूठी अलमारी में नहीं थी।
फिर बीरबल अकबर से कहते हैं तब तो अंगूठी गुम नहीं चोरी हुई है और यह सब महल में साफ सफाई करने वाले किसी कर्मचारी ने ही किया होगा।
यह सुनकर बादशाह ने सभी सेवकों को हाजिर होने को कहा। उनके कमरे में साफ सफाई करने के लिए कुछ पांच कर्मचारी तैनात थे और पांचों हाजिर हो गए।
सेवकों के हाजिर होने के बाद बीरबल ने उन सभी को कहा महाराज की अंगूठी चोरी हो गई है जो अलमारी में रखी थी। अगर आप में से किसी ने उठाई है तो बता दे वरना मुझे अलमारी से ही पूछना पड़ेगा। फिर बीरबल अलमारी के पास जाकर कुछ फुसफुसाने लगते हैं।
इसके बाद मुस्कुराते हुए पांचों सेवकों से कहते हैं चोर मुझसे बच नहीं सकता क्योंकि चोर की दाढ़ी में तिनका है। यह बात सुनकर उन पांचों में से एक ने सबसे नजर बचाकर अपनी दाढ़ी में हाथ फेरा, जैसे कि वह तिनका निकालने की कोशिश कर रहा हो।
इसी बीच बीरबल की नजर उस पर पड़ गई और सिपाहियों को तुरंत चोर को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। जब बादशाह अकबर ने उससे सख्ती से पूछा तो उसने अपना गुनाह कुबूल कर लिया और बादशाह की अंगूठी वापस कर दी।
बादशाह अकबर अपनी अंगूठी पाकर बहुत प्रसन्न हुए।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कभी कभी ताकत की जगह दिमाग का इस्तेमाल करने से हर समस्या का हल मिल जाता है।
3. इमानदार लकढहारा की कहानी (Short Moral Story for Kids in Hindi)
एक रामू नाम का लकड़हारा था। वह बहुत गरीब था। वह हर रोज जंगल से लकड़ी काटकर अपना गुजारा करता था। वह केवल सूखे पेड़ ही काटता था। उसने कभी हरे भरे पेड़ नहीं काटे। वह हमेशा पेड़ों की पूजा करता था।
ऐसे ही एक दिन वह लकड़ी काट रहा था कि लकड़ी काटते काटते अचानक उसकी कुल्हाड़ी उसके हाथ से फिसलकर तालाब में जा गिरती है। वह काफी दुखी हो जाता है। उसकी कुल्हाड़ी ही एकमात्र उसकी उपजीविका का साधन थी। उसके पास दूसरी कुल्हाड़ी लेने के भी पैसे नहीं थे इसलिये वह रोने लगा।
इतने में तालाब से एक जलपरी निकलकर आती है और लकड़हारा से कहती है – क्या हुआ मित्र, आप क्यों रो रहे हो?
लकड़हारा कहता है, मैं लकड़ी काट रहा था तो मेरी कुल्हाड़ी हाथ से फिसलकर तालाब में जा गिरी और मेरे पास दूसरी कुल्हाड़ी लेने के भी पैसे नहीं हैं। इस पर जलपरी कहती है, मैं अभी आपकी कुल्हाड़ी निकालकर देती हूं।
जलपरी पानी के अंदर चली जाती है और एक चांदी की कुल्हाड़ी निकालकर लाती है और लकड़हारा से कहती है, क्या ये आपकी कुल्हाड़ी है?
लकड़हारा – नही, यह मेरी कुल्हाड़ी नही है। यह चाँदी की कुल्हाड़ी है। मेरी कुल्हाड़ी तो लोहे की थी।
जलपरी वपिस पानी के अंदर चली जाती है और एक सोने की कुल्हाड़ी निकालकर लाती है और लकड़हारा से कहती है, क्या ये आपकी कुल्हाड़ी है?
लकड़हारा – नहीं, यह भी मेरी कुल्हाड़ी नहीं है। यह सोने की कुल्हाड़ी है। मेरी कुल्हाड़ी लोहे की थी।
जलपरी फिर से पानी के अंदर चली जाती है और इस बार एक लोहे की कुल्हाड़ी निकालकर लाती है और लकड़हारा से कहती है, क्या ये आपकी कुल्हाड़ी है?
लकड़हारा – हां, यह मेरी कुल्हाड़ी है।
इस पर जलपरी लकड़हारा से कहती है, मैंने जब आपको सोने और चांदी की कुल्हाड़ी दिखाई तो वह आपने क्यों नहीं ली?
लकड़हारा – सोने और चांदी की कुल्हाड़ी से लकड़ी नहीं काट सकते। लकड़ी काटने के लिए लोहे की ही कुल्हाड़ी चाहिए। वह कुल्हाड़ी किसी और की होगी। मुझे तो मेरी कुल्हाड़ी चाहिए थी।
जलपरी – यह लो आपकी लोहे की कुल्हाड़ी।
लकड़हारा – आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने मेरी कुल्हाड़ी तालाब से निकालकर दी।
जलपरी – मैं तुम्हारी ईमानदारी से बहुत प्रभावित हुई, तो मेरी तरफ से यह सोने और चांदी की कुल्हाड़ियों की भेंट स्वीकार करें। अलविदा मित्र।
उस दिन से के बाद से लकड़हारा रामू की गरीबी दूर हो जाती है।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
तो बच्चों इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि ईमानदारी का फल हमेशा मीठा होता है।
4. एकता का बल (Night Story for Kids in Hindi)
एक बार एक कबूतरों का झुंड खाने की तलाश में उड़ रहा था। उन्हें जमीन पर कुछ बिखरे दाने दिखाई देते हैं तो वह जमीन पर उतरते हैं और दाना खाने लग जाते हैं। पर कबूतरों को यह पता नहीं था कि वह दाने एक शिकारी ने डाल रखे थे और उस शिकारी ने जाल भी बिछाया हुआ था।
शिकारी छिपकर कबूतरों को देख रहा था और सोंच रहा था, खा लो, खा लो। थोड़ी देर बाद तुम सब मेरा शिकार बनोगे।
थोड़ी देर बाद एक कबूतर उड़ने की कोशिश करता है तो पता चलता है कि उसके पैर जाल में फंस गए हैं। डर के मारे सभी कबूतर उड़ने की कोशिश करते हैं। सभी कबूतर अलग अलग दिशा में उड़ने की कोशिश करते हैं, पर कोई भी कबूतर जाल के बाहर नहीं निकल पाता।
पर उन कबूतरों में एक होशियार कबूतर था। वह यह सब देख रहा था। वह दूसरे कबूतरों से कहता है, देखो, हम सब शिकारी के जाल में फंस चुके हैं। हम सबका यहां से निकलने का एक ही मार्ग है। हम अलग अलग दिशा में होने के बजाए एक साथ एक दिशा में जोर लगाकर उड़े तो हम यह जाल लेकर उड़ सकते हैं।
सभी कबूतरों को यह तरकीब अच्छी लगती है। सभी सोचते हैं कि मरने से बेहतर है कि प्रयास करके देखते हैं। सभी कबूतर एक साथ एक दिशा में उड़ते हैं और जाल को साथ लेकर उड़ जाते हैं।
शिकारी यह सब देख अचंभित हो जाता है और जोर जोर से चिल्लाने लगता है, मेरा जाल, मेरा जाल, मेरा जाल।
वह थोड़ी दूर तक कबूतरों का पीछा करता है लेकिन कबूतर काफी दूर निकल जाते हैं और शिकारी को अपने जाल से हाथ धोना पड़ता है।
कबूतर पहाड़ी पर अपने चूहे दोस्त के पास आते हैं। चूहा बिल से बाहर आता है और कहता है, अरे मित्र क्या हुआ? आप जाल में कैसे फंस गए। कोई नहीं, मैं अभी आपको जाल से बाहर निकालता हूं।
चूहा अपने अन्य मित्रो को साथ लेकर कबूतरों को जाल में से आजाद कर देता है।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि एकता में काफी शक्ति होती है। उसका उपयोग सही दिशा में करना चाहिए।
5. समय का महत्व (Bedtime Hindi Kahaniya for Kids)
एक चिड़िया और एक चींटी में बहुत मित्रता थी। चिडिया बहुत आलसी थी लेकिन चीटी अपना सब काम समय से करती और दिन रात मेहनत करती थी।
बरसात का मौसम आने वाला था। चीटी ने दिन रात मेहनत करके ढेर सारा भोजन एकत्र कर लिया। चीटी ने चिड़िया से कहा बहन बरसात का मौसम आने वाला है। तुम अपने और बच्चों के लिए भोजन एकत्र कर लो, नहीं तो तुम्हें परेशानी होगी। लेकिन चिड़िया ने इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया।
बरसात आते ही दिन रात पानी बरसने लगा। चिड़िया अपने घोसले से बाहर न निकल सकी जिसके वजह से उसके बच्चे भूख से रोने लगे। यह देखकर चींटी को दया आ गई। उसने चिड़िया को कहा आप मेरे बिल में से कुछ खाना ले जा सकती हो।
फिर चींटी ने चिड़िया को समझाया कि बहन, अगर तुमने मेरी बात पहले मान ली होती तो आज तुम्हें और तुम्हारे बच्चों को भूखा नहीं रहना पड़ता।
चिड़िया ने समय का महत्व समझते हुए चींटी से कहा, बहन, मैं आज से आलस नहीं करूंगी और समय का सदैव ध्यान रखूंगी।
6. दूसरो की मदद (Short Bedtime Story in Hindi for Kids)
एक दिन एक बूढ़ा आदमी रास्ते से चल रहा था। अचानक उसकी नज़र एक बिल्ली पर पड़ी। वह बिल्ली खड्डे में फंस गई थी और बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी।
बूढ़े को बिल्ली पर दया आई। उसने अपना हाथ मदद के लिए आगे बढ़ाया। पर बिल्ली डर गई। बिल्ली ने अपना पंजा बूढ़े के हाथ पर मारा जिससे बूढ़े को चोट लगी और इसीलिए बूढ़े ने अपना हाथ पीछे ले लिया।
पर बूढ़े ने हार नहीं मानी। वह बार बार बिल्ली की मदद के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाता रहा, पर बिल्ली डर के मारे बार बार उसके हाथ पर पंजा मारती रही।
एक दूसरा आदमी वहां खड़े खड़े यह सबकुछ देख रहा था। उसने बूढ़े से कहा, तुम क्यों बिल्ली को बचाने की कोशिश कर रहे हो? बिल्ली तो तुम्हें बार बार पंजा मार रही है।
इस पर बूढ़े आदमी ने दूसरे आदमी से कहा, बिल्ली अपना काम कर रही है और मैं अपना। बिल्ली का काम है पंजा मारना और मेरा काम है उसे बचाना। बूढ़े ने अपनी कोशिश जारी रखी और बिल्ली को खड्डे से बाहर निकाला।
बिल्ली बहुत खुश हो गई और वहां से चली गई।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कभी कभी दूसरों की मदद करने में हमें तकलीफ हो सकती है, पर हमें हमेशा दूसरों की मदद करने की कोशिश करनी चाहिए।
7. सहयोग की शक्ति (Bedtime Short Story for Kids in Hindi)
जंगल में एक खरगोश और एक कछुआ रहते थे। खरगोश बहुत तेज था और कभी-कभी अपनी तेजी पर गर्व करता था। वह कछुए को हमेशा चिढ़ाता था और उसकी धैर्य और समझ को उचित नहीं समझता था।
एक बार खरगोश और कछुआ एक नदी के पार की ओर जा रहे थे। नदी पार करने के लिए वे एक पत्थर पर चढ़े। खरगोश ने बिना सोचे समझे एक छलांग लगाई, लेकिन वह पानी में गिर गया। वह तैरने के लिए प्रयास करने लगा लेकिन वह और गहरे पानी में डूब रहा था।
उस समय कछुआ ने उसकी मदद की। वह पत्थर के नीचे जाकर खरगोश को अपने ऊपर बैठा लिया और उसे बाहर निकाल लिया। खरगोश ने खुश होकर कहा – धन्यवाद मेरे दोस्त तुमने मुझे बचा लिया।
कछुआ ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया – हमेशा सहयोग करने में ही सफलता होती है। हमें एक दूसरे की मदद करनी चाहिए ना कि चिढ़ाना और दिक्कत में डालना।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सहयोग का महत्व क्या है। हमें दूसरों की मदद करने में संयमित और सहयोगी होना चाहिए। जब हम एक दूसरे की सहायता करते हैं तो हम समाज में सुख शांति और समृद्धि का निर्माण करते हैं।
8. जैसे को तैसा (Bedtime Hindi Story with Moral for Kids)
सुंदरवन के एक ऊंट और एक सियार में घनिष्ट मित्रता थी। एक दिन सियार बोला ऊंट भाई थोड़ी दूरी पर खरबूजे का खेत है क्योन ना हम वही दावत खाएं। मुझे खरबूजे खाए काफी दिन बीत गए और ऊंट चलने को तैयार हो गया। दोनों खेत में जाकर खरबूजे खाने लगे।
सियार जल्दी-जल्दी खा-पीकर निश्चिंत हो गया लेकिन ऊंट अभी भी खरबूजे खाने में मस्त था। खरबूजे खाकर सियार खेत में ही एक पेड़ के नीचे बैठकर हुवा, हुवा करने लगा।
यह देखकर ऊंट बोला, मित्र यह क्या कर रहे हो खेत का मालिक आ धमका तो? सियार बोला, क्या करूं दोस्त, मुझे खाने के बाद गाने की आदत है। यदि मैं गाऊंगा नहीं तो खाया-पिया हजम नहीं होगा। यह कह कर वह फिर हुवा हुवा करने लगा।
सियार की आवाज़ सुनकर उधर खेत का मालिक आ पहुंचा और ऊंट को खरबूजे खाते देख उसे लाठी से पीटने लगा। ऊंट को पिटते देख सियार वहां से भाग खड़ा हुआ। किसी तरह ऊंट भी अपनी जान बचाकर भागा और थोड़ी देर में ऊंट भी जंगल में जा पहुंचा।
ऊंट ने पेड़ के नीचे से सियार को आराम करते देखा। ऊंट को देखकर सिचार खिल खिला कर हंस पड़ा, जहर का घूंट पीकर ऊंट चुके ही रहा। ऐसे ही कुछ दिन बीत गए। लेकिन ऊंट ने सियार से बदला लेने की मन ही मन में ठान ली थी।
एक दिन ऊंट ने सियार से कहा, मित्र चलो नदी की सैर करते है। सियार बोलता है, लेकिन मुझे तो तैरना ही नहीं आता। ऊंट बोला, कोई बात नहीं है तुम मेरी पीठ पर बैठ जाना।
सियार सैर के लिए तैयार हो गया। वह ऊंट के पीठ पर बैठ गया। गहरे पानी में जाकर ऊंट डुबकी लगाने लगा।
सियार बोला, मित्र यह क्या कर रहे हो? ऐसे में तो मैं पानी में डूब जाऊंगा।
ऊंट बोला, तुम डूब हो या तैरो, मुझे तो पानी देकर डुबकी लगाने की इच्छा होती है कहकर ऊंट ने फिर डुबकी लगानी शुरू कर दी। इस बार पानी का तेज बहाव आया और सियार उसमें बह गया। वह बहुत चलाया लेकिन ऊंट ने कोई ध्यान नहीं दिया।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
इस कथा का सार यही है कि घी निकालने के लिए उंगली को टेढ़ा करना ही पड़ता है। कुटिल स्वभाव वाले प्रेम की भाषा नहीं नमझते और लातों के भूत बातों से नहीं मानते।
सियार ने ऊंट के साथ मक्कारी की थी और मौका पाकर ऊंट ने उसका जवाब दे दिया।
9. लालच का फल (Moral Stories in Hindi for Kids)
एक लालची कुत्ता था। एक दिन वह टहल रहा है तो उसे एक छोटे कुत्ते के पास एक बड़ी हड्डी दिखाई देती है तो उसके मन में उस हड्डी को छीन लेने का लालच आ जाता है। फिर वह उस छोटे कुत्ते को डराकर भगा देता है और उससे वह हड्डी छीन लेता है।
उसे ख्याल आता है कि जैसे मैंने हड्डी छिनी है वैसे ही मुझसे कोई ये हड्डी न छिने। सो वह नदी के उस पार जाकर उसे आराम से खाने के बारे में सोचता है।
वह नदी पार करने के लिए एक छोटे से पुल के ऊपर से जा रहा है तो अचानक उसकी नजर नीचे पानी में जाती है तो उसे नीचे दूसरा कुत्ता दिखाई देता है जो कि उसकी ही परछाई होती है लेकिन वह उसे कोई दूसरा कुत्ता समझ लेता है।
उसको दूसरे कूत्ते के मुंह में भी एक हड्डी दिखाई देती है। पहले वह उसे देखकर छिप जाता है और वह सोचता है कि अगर मैं उस दूसरे कुत्ते से भी हड्डी छिन लूं तो मेरे पास दो हड्डियां हो जाएगी और मैं दोनों को आराम से खाऊंगा।
ऐसा सोचकर वह दूसरे कुत्ते को डराने के लिए जैसे ही मुंह खोलता है तो उसके मुंह की हड्डी नीचे नदी में गिर जाती है और उसे उस दिन भूखा ही रहना पड़ता है।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
तो बच्चों इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें ज्यादा की लालच नहीं करना चाहिए।
10. चतुर लोमड़ी मुर्ख बकरा (Bedtime Stories for Kids in Hindi with Moral)
एक बार एक लोमड़ी अपना रास्ता भटक गया और एक रेगिस्तान में जा पहुंचा। धूप सर पे था तो बेचारा चलते चलते थक गया। इतने में उसे एक कुआं दिखा।
लोमड़ी कुएं के पास पहुंचा और उसमें झांक कर देखा और बोला, इस पर तो पानी है। मुझे तो बहुत प्यास लगी है। पर कुआं इतना गहरा है मैं कैसे पानी पीऊ। वो सोच ही रहा था कि इतने में उसका पैर फिसला और वह पानी में जा गिरा।
फिर लोमड़ी ने पानी पी और वह बोला, यह पानी तो बहुत मीठा है। मेरी प्यास तो बुझ गयी पर अब मैं बाहर निकलूं कैसे? यह कुआं तो बहुत गहरा है। बाहर कोई है तो मुझे बचाओ। वह चिल्लाने लगा।
वहां से एक बकरा गुजर रहा था। बचाओ, कोई है तो मुझे बचाओ। बकरे ने उस लोमड़ी की आवाज सुनी और वह कुएं तक पहुँच गया। उसने कुएं में झांककर देखा और बोला, तुम अंदर क्या कर रहे हो? तुम कुएं में गिरे कैसे?
तब लोमड़ी को एक उपाय सूझा। उसने कहा, बाहर कितनी धूप है और यह पानी कितनी शीतल और मीठी है। तुम भी अंदर आ जाओ और पानी पी लो।
तब बकरे ने कहा – तुम बचाओ बचाओ क्यों चिल्ला रहे थे?
लोमड़ी ने कहा – मैं तो बचाओ बचाओ नही चिल्ला रहा था। मैं तो बोल रहा था कोई यह ठंडी पानी पी लो, पी लो। तुमने शायद गलत सुना होगा। तब बकरा कुछ भी सोचे समझे बगैर सीधा कुएं में कूद गया।
फिर बकरे ने भी पानी पिया और बोला – तुम सही कहते हो मेरे दोस्त, पानी तो बहुत ही मीठा है पर अब हम बाहर कैसे निकलेंगे?
तब लोमड़ी ने कहा – मेरे पास एक उपाय है। तुम अगर दीवार के पास खड़े हो जाओगे तो मैं तुम्हारे ऊपर चढकर ऊपर तक कूद जाउंगा और कुंवे से बाहर निकल जाऊंगा।
बकरे ने कहा – ठीक है और वह दीवार के पास खड़े हो गया। लोमड़ी बकरे पर चढ़ गया और एक छलांग मारकर कुएं से बाहर निकल गया।
तब बकरे ने कहा – अरे दोस्त, अब मेरा क्या होगा? मुझे कौन बाहर निकालेगा? तुमने तो कहा था उपाय है।
तब लोमड़ी ने कहा – मैंने उपाय निकाला था खुद को बाहर निकालने के लिए, तुम्हें बाहर निकालने के लिए नहीं। तुम भी खुद के लिए उपाय सोचो और बाहर निकलो। यह कहकर लोमड़ी वहां से चला गया।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
तो बच्चों इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें कोई भी काम करने से पहले सोच लेना चाहिए, नहीं तो हम बुरे फंस सकते हैं।
11. चतुर सियार की कहानी (Bed Time Stories for Kids in Hindi Panchtantra)
एक समय में एक बूढ़ा शेर एक जंगल में रहता था। वह जंगल का राजा भी था। जब यह शेर बूढ़ा हो गया तो उसने एक मंत्री रखने का विचार किया। अब राजा ने लोमड़ी को अपना मंत्री बनाने की सोची, क्योंकि वह सब जानवरों से ज्यादा बुद्धिमान मानी जाती है।
लोमड़ी बहुत बेमन से शेर की बात मानी है। वह राजा की बात टाल भी तो नहीं सकती थी ना। शेर राजा ने अपने मंत्री को उसकी जिम्मेवारी समझाते हुए बताया, मैं तो जंगल का राजा हूं, इसलिए शिकार करने नहीं जा सकता। इसलिए अब यह तुम्हारी जिम्मेदारी रहेगी कि मेरे भोजन के लिए तुम्हें रोज एक जानवर लाना होगा।
लोमड़ी के पास और कोई चारा नहीं था। उसे अपने राजा के लिए भोजन ढूंढने जाना ही पड़ा। रास्ते में उसे एक गधा मिला। गधे को देखते ही लोमड़ी को एक उपाय सूझा। लोमड़ी ने गधे को किसी तरह से शेर महाराज का मंत्री बनने के लिए मना लिया।
शेर तो पहले से ही भूखा खाने के इंतजार में बैठा था। जैसे ही उसने गधे को देखा वह उस पर झपटा और उसने उसे मार डाला। चालाक लोमड़ी ने सोचा मैंने अपनी बुद्धि से गधे को यहां तक तो ले आई। इसलिए सबसे अच्छा भोजन मेरे ही हिस्से में आना चाहिए।
जैसे ही शेर भोजन खाने बैठा लोमड़ी बड़े मधुर स्वर में बोली, महाराज, आप बहुत थके हुए लगते हैं। आप भोजन से पहले स्नान कर लें तो भोजन का आनंद दुगना हो जाएगा। शेर ने लोमड़ी की सलाह मानी और वह स्नान करने चला गया।
लोमड़ी ने मौके का फायदा उठाया और गधे का दिमाग जो सबसे अच्छा भोजन था वह जल्दी जल्दी खा लिया।
शेर राजा स्नान करके लौटे और भोजन करने बैठे तो पाया कि गधे का दिमाग तो वहां था ही नहीं। शेर ने प्रश्न भरी नजरों से लोमड़ी की ओर देखा। चालाक लोमड़ी ने हंसते हुए कहा, अगर गधे का दिमाग होता तो वह आपका मंत्री बनना क्यों स्वीकार करता?
कहानी से सीख (Moral of the Story)
सोच समझकर कार्य किया जाए तो सदा सफल होता है।
12. कौवा और मोर की कहानी (Bedtime Moral Story for Kids in Hindi)
एक जंगल में एक कौवा सुखी जीवन जी रहा था। वह खुद को बहुत सुंदर समझता था और हमेशा अपनी सुंदरता की कद्र करता था। एक दिन वह भोजन की तलाश में जा रहा था तो उसे एक सफेद हंस दिखाई दिया। वह चमकीले सफेद हंस को देखकर चौंक गया और दुखी होने लगा क्योंकि वह जितना काला था, हंस उतना ही सफेद था।
वह सोचने लगा कि हंस दुनिया का सबसे सुंदर और खुश पंछी है। उसने खुद से कहा, मैं मूर्ख था, जो खुद को ज्यादा सुंदर समझता था। वह हंस से बात करने के लिए उसके पास गया। उसने हंस से अपने मन की बात कही और उसकी सुंदरता की प्रसंशा की।
हंस ने आश्चर्य होकर उत्तर दिया, नहीं मेरे प्रिय मित्र, तुम गलत हो। मैं भी यही सोचता था कि मैं ज्यादा सुंदर हूं, जब तक कि मैं तोता नहीं देखा था। तोते के दो सुंदर रंग होते हैं हरा और लाल। वे बहुत सुंदर हैं। मेरा रंग तो सिर्फ सफेद है।
कौवा फिर तोते से मिलने गया। तोता उसे बहुत पसंद आया और उसने सोचा कि हंस सही था। मैंने तो अभी तक नहीं देखा था। तोता तो बहुत सुंदर पंछी है। उसने तोते से कहा तुम तो बहुत सुंदर और खुश पंछी हो जो मुझे अभी तक नहीं देखने को मिला।
यह सोचकर तोता निराश हो गया और बोला, तुम गलत हो मित्र। मैं तब तक खुश था जब तक मोर नहीं देखा था। मोर के बहुत सारे चमकीले रंग होते हैं और वह सबसे सुंदर पंछी है।
फिर कौवा मोर से मिलने गया। वह रंग बिरंगे मोर को देखकर मन मुग्ध हो गया। उसने सोचा कि मोर से अधिक सुंदर कोई पंछी हो ही नहीं सकता।
वह मोर से बात करने गया और कहा, तुम बहुत खूबसूरत हो मेरे दोस्त। प्रतिदिन हजारों लोग तुम्हें देखने आते हैं और तुम्हारी सुंदरता की प्रसंशा करते हैं। मैं कितना काला हूं और तुम कितने रंग बिरंगे हो। अगर मैं किसी से मिलता हूं तो लोग मुझे डांट देते हैं। कोई भी मुझे पसंद नहीं करता क्योंकि मैं बहुत काला हूं।
मोर ने उत्तर दिया, मैं भी यही सोचता था, लेकिन मैं गलत था। मैं अपनी सुंदरता के कारण चिड़ियाघर में फंस गया हूं। मैंने कौवे को हमेशा स्वतंत्र होकर घूमते देखा और मुझे अब लगता है कि कौवा इस दुनिया का सबसे खुश पंछी है क्योंकि वह स्वतंत्र होकर घूम सकता है, उसे कोई नहीं फंसाता है। तो तुम भाग्यशाली और सुखी हो मित्र।
इस तरह हम सभी दुख के घेरे में फंसे हुए हैं। यह हम सभी की समस्या है। हम हमेशा दूसरों से अपनी तुलना करते हैं और यह सोचकर दुखी हो जाते हैं कि दूसरे भाग्यशाली और सुखी हैं। हम खुद पर कभी ध्यान नहीं देते और न ही खुद को महत्व देते हैं। हम दूसरों से तुलना करते रहते हैं।
हमारे पास जो कुछ भी है, हम उसकी कभी भी प्रसंशा नहीं करते और न ही उसकी सराहना करते हैं। हमें हमेशा खुद पर ध्यान देना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए।
13. खरगोश और कछुआ की रेस (Bed Time Kids Story in Hindi with Moral)
एक वक्त की बात है। किसी घने जंगल में एक खरगोश रहता था, जिसे अपने तेज दौड़ने पर बहुत घमंड था। उसे जंगल में जो दिखता वो उसी को अपने साथ दौड़ाने की चुनौती देता था। दूसरे जानवरों के बीच वह हमेशा खुद की तारीफ करता और कई बार दूसरों का मजाक भी उड़ाता था।
एक बार उसे कछुआ दिखा। उसकी सुस्त चाल को देखते हुए खरगोश ने कछुए को भी दौड़ लगाने की चुनौती दे दी। कछुए ने खरगोश की चुनौती मान ली और दौड़ लगाने के लिए तैयार कर लिया।
जंगल में कछुए और खरगोश की दौड़ की खबर आज की तरह फैल गयी। जंगल के सभी जानवर कछुए और खरगोश की दौड़ देखने के लिए जमा हो गए।
दौड़ शुरू हो गई और खरगोश तेजी से दौड़ने लगा। कछुआ अपनी धीमी चाल से धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा। थोड़ी दूर पहुंचने के बाद खरगोश ने पीछे मुड़कर देखा तो उसे कछुआ कहीं दूर दूर तक दिखाई नहीं दिया। खरगोश ने सोचा कछुआ तो बहुत धीरे चल रहा है और उसे यहां तक पहुंचने में काफी वक्त लग जाएगा, क्यों न थोड़ी देर आराम ही कर लिया जाए।
यह सोचते हुए खरगोश एक एक पेड़ के नीचे आराम करने लगा। खरगोश पेड़ के नीचे सुस्ताते, सुस्ताते कब उसकी आंख लग गई उसे पता भी नहीं चला। उधर कछुआ धीरे धीरे और बिना रुके लक्ष्य तक पहुंच गया। उसकी जीत देखकर बाकी जानवरों ने तालियां बजानी शुरू कर दीं।
तालियों की आवाज सुनकर खरगोश की नींद खुल गई और वह दौड़कर जीत की रेस तक पहुंचा। लेकिन कछुआ तो पहले ही रेस जीत चुका था और खरगोश पछताता रह गया।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि जो धैर्य और मेहनत से काम करता है, उसकी जीत पक्की है और जिन्हें खुद पर या अपने किए हुए कार्य पर घमंड होता है, उसका घमंड कभी न कभी टूटता है।
14. शेर और सियार की दोस्ती (Moral Story in Hindi for Kids)
एक बार की बात है, सुंदरवन नाम के जंगल में बलवान शेर रहा करता था। शेर रोज शिकार करने के लिए नदी के किनारे जाया करता था। एक दिन जब नदी के किनारे से शेर लौट रहा था तो उसे रास्ते में सियार दिखाई दिया।
शेर जैसे ही सियार के पास पहुंचा, सियार शेर के कदमों में लेट गया। शेर ने पूछा अरे भाई तुम ये क्या कर रहे हो?
सियार बोला – आप बहुत महान हैं। आप जंगल के राजा हैं। मुझे अपना सेवक बना लीजिए। मैं पूरी लगन और निष्ठा से आपकी सेवा करूंगा। इसके बदले में आपके शिकार में से जो कुछ भी बचेगा मैं वो खा लिया करूंगा।
शेर ने सियार की बात मान ली और उसे अपना सेवक बना लिया। अब शेर जब भी शिकार करने जाता तब सियार भी उसके साथ चलता था। इस तरह साथ समय बिताने से दोनों के बीच बहुत अच्छी दोस्ती हो गई। सियार शेर के शिकार का बचा खुचा मांस खाकर बलवान होता जा रहा था।
एक दिन सियार ने शेर से कहा, अब तो मैं भी तुम्हारे बराबर ही बलवान हो गया हूं। इसलिए मैं आज हाथी पर वार करूंगा। जब वो मर जाएगा तो मैं हाथी का मांस खाऊंगा। मेरे से जो मांस बच जाएगा वो तुम खा लेना।
शेर को लगा कि सियार दोस्ती में ऐसा मजाक कर रहा है, लेकिन सियार को अपनी शक्ति पर कुछ ज्यादा ही घमंड हो चला था। सियार पेड़ पर चढ़कर बैठ गया और हाथी का इंतजार करने लगा। शेर को हाथी की ताकत का अंदाजा था इसलिए उसने सियार को बहुत समझाया लेकिन वह नहीं माना।
तभी उस पेड़ के नीचे से एक हाथी गुजरने लगा। सियार हाथी पर हमला करने के लिए उस पर कूद पड़ा। लेकिन सियार सही जगह छलांग नहीं लगा पाया और हाथी के पैरों में जा गिरा।
हाथी ने जैसे ही पैर बढ़ाया वैसे ही सियार उसके उसके पैर के नीचे कुचला गया। इस तरह सियार ने अपने दोस्त शेर की बात न मानकर बहुत बड़ी गलती की और अपने प्राण गवा दिए।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
कहानी से सीख हमें कभी भी किसी बात पर घमंड नहीं करना चाहिए और अपने सच्चे दोस्त को नीचा नहीं दिखाना चाहिए।
15. चींटी और कबूतर की कहानी (Hindi Moral Stories for Kids)
एक दिन एक चीटी नदी किनारे से जा रही थी। चलते चलते उसका पैर फिसल गया और वह नदी में गिर जाती है। नदी के बहाव की वजह से वह किनारे से दूर हो जाती है और पानी में बहने लग जाती है।
पेड़ पर बैठा एक कबूतर यह सब देख रहा होता है तो वह एक पेड़ की डंडी ले जाकर उस चींटी को पानी में डूबने से बचाता है। फिर चीटी कबूतर से उसकी जान बचाने के लिए शुक्रिया कहता है।
कुछ दिनों बाद एक शिकारी उस जंगल में आता है। वह शिकारी उस कबूतर को अपना निशाना बनाने जा रहा होता है जिसने चींटी को पानी में डूबने से बचाया होता है। यह सब चीज चींटी देख रहा होता है।
इससे पहले कि शिकारी उस कबूतर को अपना निशाना बनाये, चींटी उस शिकारी के पैर को जमकर काटती है जिससे शिकारी का निशाना चूक जाता है और कबूतर उड़ जाता है जिससे उसकी जान बच जाती है।
कबूतर देखता है कि चींटी की वजह से उसकी जान बची है और उस दिन से कबूतर और चींटी में गहरी दोस्ती हो जाती है।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
तो बच्चों इस कहानी से सीख मिलती है कि अगर कोई मुसीबत में है तो उसकी मदद करो और जो आपकी मदद करता है और वह मुसीबत में है तो उसकी मदद जरूर करो।
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