गरीब किसान की कहानियाँ न केवल हमारे समाज की वास्तविकता को दर्शाती हैं, बल्कि वे संघर्ष, मेहनत और सच्चाई के मूल्य को भी उजागर करती हैं। और इस ब्लॉग पोस्ट Ek Garib Kisan ki Kahani में, हम ऐसे ही विभिन्न नैतिक कहानियों को प्रस्तुत करेंगे जो गरीब किसान की जीवन यात्रा और उसके संघर्षों को दर्शाती हैं।
चाहे वह उसकी मेहनत और ईमानदारी की कहानी हो, या फिर उसकी विपत्तियों का सामना करने की अदम्य इच्छाशक्ति की कथा, ये सभी प्रेरणादायक और नैतिक कहानियाँ (Moral Story for Kids in Hindi) हमें महत्वपूर्ण जीवन पाठ सिखाती हैं।
तो आइए, गरीब किसान की इन प्रेरणादायक कहानियों के माध्यम से उसकी दुनिया को और गहराई से समझने का प्रयास करते हैं।
10+ Ek Garib Kisan ki Kahani: एक गरीब किसान की कहानी
तो दोस्तों, यह रहे 10 बेहतरीन गरीब किसान की कहानियाँ (Ek Garib Kisan ki Kahani) जो एक गरीब किसान के जीवन के कठिनाइयों और मेहनत और ईमानदारी से सफलता पाने की उनकी अडिग इच्छाशक्ति को दर्शाती हैं।
1. एक गरीब मेहनती किसान की कहानी (Ek Garib Kisan ki Kahani in Hindi)
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक किसान और किसान के परिवार के कुछ सदस्य रहते थे। किसान का नाम रामू था। रामू बहुत मेहनती और ईमानदार व्यक्ति था। रामू के पास गांव में थोड़ी सी जमीन थी, जिस पर वह किसानी करके अपनी और अपने परिवार की जरूरतें पूरी किया करता था।
रामू की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहती थी और अचानक एक बार तेज बारिश होने के कारण रामू की फसलें पूरी तरह से नष्ट। और यह देख रामू अत्यंत दुखी हो जाता है क्योंकि रामू का पूरे परिवार को बचाने का एकमात्र स्रोत व फसलें हुआ करती थी, जिससे उसका दिल टूट गया और रामू निराश हो गया।
परंतु उसने हार नहीं मानी। उसने अपनी अंतरात्मा को मजबूत किया और दोबारा से खेती करने की योजना बनाता है। उसने खेती में अधिक समय और मेहनत लगाई और नई नई तकनीकों का इस्तेमाल किया, जिस कारण धीरे धीरे उसकी नई खेती सफलता की ओर बढ़ने लगी और उसकी मेहनत रंग दिखाने लगी।
यह सब देख रामू खुश होने लगा और फिर उसने अपने गांव के अन्य किसानों को भी नई तकनीकों का प्रयोग करने की सलाह दी। जिसमें पूरे गांव के लोग ने रामू के द्वारा बताई गई नई तकनीकों का उपयोग करने लगे। जिस कारण धीरे धीरे उसका गांव और उसके चारों ओर के गांवों में आधुनिक खेती की प्रवृत्ति बढ़ने लगी।
उसके प्रयासों से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगा और उनका जीवन सुखमय होता गया। सभी के चेहरों में मुस्कुराहट आने लगी और सभी खुशी खुशी जीवन बिताने लगे।
इस प्रकार रामू ने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत के जरिए अपने और अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित किया।
कहानी की सीख (Moral of the Story)
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि व्यक्ति की मेहनत, संघर्ष और सही योजना से वह किसी भी परिस्थिति में सफल हो सकता है। इस कहानी का संदेश है कि हार न मानो। समय बदलेगा क्योंकि मेहनती और आत्मविश्वासी लोग हमेशा जीतते हैं।
2. मेहनती किसान की सफलता (Garib Kisan ki Kahani Short Story in Hindi)
एक छोटे से गांव में श्यामू नाम का एक किसान रहता था। श्यामू बहुत मेहनती था और अपने खेतों में विभिन्न प्रकार के अनाज उगाता था। उसकी फसलें हमेशा अच्छी होती थीं क्योंकि वह मेहनत और समझदारी से खेती करता था। श्यामू का परिवार उसकी मेहनत पर गर्व करता था, लेकिन गांव के कुछ लोग उसे ईर्ष्या की दृष्टि से देखते थे।
एक बार श्यामू के खेतों में इतनी अच्छी फसल हुई कि उसके पास बेचने के लिए काफी अनाज बच गया। उसने सोचा कि इस अनाज को बेचकर वह कुछ पैसे कमा सकेगा, जिससे उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर हो जाएगी। इसलिये उसने अपने अनाज को बाजार में बेचने का फैसला किया।
श्यामू ने अनाज को बड़े बड़े बोरों में भरकर बैलगाड़ी पर लादा और बाजार की ओर चल पड़ा। रास्ते में एक पेड़ के नीचे कुछ लोग बैठे थे, जो श्यामू को देखकर हंसने लगे। वे बोले, श्यामू, तुम इतनी मेहनत करके क्या हासिल कर लोगे? तुम्हारे अनाज की कीमत कोई नहीं देगा। लेकिन श्यामू ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और अपनी यात्रा जारी रखी।
जब वह बाजार पहुंचा तो वहां के व्यापारी उसकी अच्छी गुणवत्ता वाले अनाज को देखकर बहुत खुश हुए। उन्होंने श्यामू को उसके अनाज की उचित कीमत दी और श्यामू को अच्छा मुनाफा हुआ। श्यामू ने उन पैसों से अपने परिवार के लिए नए कपड़े और आवश्यक सामान खरीदा। उसमें कुछ पैसे बचत के लिए भी रखे और गांव लौट आया।
जब गांव के लोगों ने श्यामू की सफलता देखी तो वे आश्चर्यचकित रह गए। वे बोले, श्यामू, हमें माफ कर दो, हम तुम्हारी मेहनत की कद्र नहीं कर पाए। तुम्हारी मेहनत और ईमानदारी ने तुम्हें सफलता दिलाई है।
श्यामू ने मुस्कुराते हुए कहा, मेहनत और ईमानदारी का फल हमेशा मीठा होता है। अगर हम सच्चे दिल से मेहनत करें, अपने काम पर विश्वास रखें तो सफलता अवश्य मिलती है।
कहानी की सीख (Moral of the Story)
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मेहनत, ईमानदारी और अपने काम पर विश्वास से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है। नकारात्मक बातें सुनकर, साहित नहीं होना चाहिए बल्कि अपने लक्ष्य की ओर प्रयासरत रहना चाहिये।
3. गरीब किसान और बक्से की कहानी (Ek Garib Kisan ki Dukh Bhari Kahani)
किसी गांव में एक किसान रहता था। इस संसार में वह बहुत ही गरीब था। उसके पास जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा था, जिस पर वह खेती करता था। उसका गुजारा अत्यंत कठिन तरीकों से होता था।
एक दिन सूरज की गर्मी चरम सीमा पर थी, परंतु किसान हमेशा की तरह खेत में काम कर रहा था। पसीने से लथपथ किसान बुआई के लिए खेत जोत रहा था। इसी बीच खेत में खुदाई करते समय जमीन से एक बड़ा सा लकड़ी का बक्सा मिला। किसान ने सावधानी से बक्से को निकाला।
पहले तो उसके समझ में नहीं आया कि बक्से का क्या करें। आखिर उसने बक्से को खेत के बाहर रख दिया। उसे साफ करके जो रोटियां वह घर से लाया था, वह बक्से में रख दी और अपने काम में जुट गया।
दोपहर को जब वह खाने के लिए रोटियां निकालने के लिए बक्से के पास गया तो हैरान रह गया। उसमें रोटियां ही रोटियां भरी हुई थी। तब किसान को पता चला कि वह जादुई बक्सा था। उसमें जो भी चीज डालो उसका 80 गुना होकर बाहर आता। जैसे एक मूंगफली का दाना डालो तो तुरंत उसमें से 80 दाने निकल पड़ते।
किसान ने तृप्त होकर खाना खाया और उसके बाद किसान संतुष्ट होकर बक्से को घर ले आया। बक्सा मिलने के बाद किसान बहुत खुश था। उसे लगा कि उसके सब दुख दूर होंगे। वह लालची नहीं बल्कि धैर्यवान व्यक्ति था। उसने बक्से का दुरुपयोग नहीं किया। उसे जब भी किसी चीज की जरूरत होती तो बक्से से तुरंत प्राप्त कर लेता।
समय गुजरने के साथ साथ उसके बक्से के बारे में गांव के जमींदार को पता लगा। जमींदार बेहद लालची था और उसे लगा कि ऐसी ही जादुई चीज पर तो उसका अधिकार होना चाहिए। उसके आदेश पर जमींदार के लठैत किसान को पकड़कर ले आए।
उसने किसान को धमका कर कहा, बक्सा जिस भूमि से मिला से है, वह मेरी जमींदारी में आती है। इसलिए बता उस बक्से पर किसका अधिकार बनता है। किसान बोला, यह ठीक है हुजूर की यह भूमि आपकी जमींदारी पर आती है। पर बक्सा जिस खेत से निकला है, उस पर मैं खेती करता हूं। अतः इस बक्से पर मेरा अधिकार बनता है।
किसान गिड़गिड़ाया, लेकिन जमींदार ने बहुत धमकाया। बक्सा पाकर जमींदार बहुत खुश हुआ। मगर किसान का रो रोकर बुरा हाल था। जमींदार की अब चांदी हो गई। वह जो चाहता बक्शे में डालता और उसे कई गुना पाकर खुश हो जाता।
फिर कुछ दिनो बाद, कुछ लोगों ने जादुई बक्से की खबर मंत्री जी के पास पहुंचा दी। पहले तो उसे विश्वास नहीं हुआ, फिर उसने अपने विश्वस्त सेवक को बक्से की सच्चाई परखने के लिए भेजा। वहां जो उसने बक्से का जो जादू देखा तो वह मंत्री के पास जाकर सारी सच्चाई बता दी।
मंत्री ने जमींदार को बुलाया। फिर उसे डराते हुए कहा, हमें पता चला है कि तुम्हारे पास एक जादुई बक्सा है। उसे तुरंत हमारे हवाले कर दो। इसी जादुई बक्से को हाथ से निकलते हुए देखकर जमींदार की हालात खराब होने लगी। उसने मंत्री जी से बहुत विनती की, पर मंत्री नहीं माना।
बक्सा पाकर मंत्री मतवाला हो गया। विरोधियों को यह अच्छा मौका मिल गया। उन्होंने बक्से के साथ साथ मंत्री के निकम्मेपन की खबर भी राजा तक पहुंचा दी। बक्से की बात सुनकर राजा अधीर हो उठा। वह अपने सेनापति के साथ मंत्री के घर जा पहुंचा। उसने कहा देश की सारी जमीन राजा की होती है, इसलिए जादुई बक्से पर भी उसी का हक है।
मंत्री ने बिना देरी किए बक्सा राजा को दे दिया। जादुई बक्से को पाकर राजा प्रसन्न हो गया। सबसे पहले राजा ने जादुई बक्से की मदद से अपने खजाने की वृद्धि की। फिर राजा को उस बक्से की सुरक्षा को लेकर चिंता हुई। राजा हर कीमत पर उस बक्से को अपने साथ रखना चाहता था।
राजा ने सोचा कि इसका रहस्य ज्ञात करना चाहिए कि आखिर इस बक्से में है क्या? यह जानने के लिए राजा उसमें प्रवेश कर बैठा। जब बाहर निकला तो उसके पीछे पीछे 80 राजा बाहर निकले। असली राजा का कुछ पता नहीं चलता था। वे राज सिंहासन में कब्जा करने के लिए एक दूसरे से लड़ने लगे।
यह जानकर किसान को बेहद दुख हुआ। वह अपने आपको कोसने लगा कि कितना अच्छा होता कि मैं बक्से को जमीन में ही गड़ा रहने देता।
4. भूखा राजा और गरीब किसान की दुख भरी कहानी (Garib Kisan ki Story for Kids with Moral)
सालों पहले एक नगर का राजा अपने राज्य में रात को अपना रूप बदलकर घूमता था। वह रूप बदलने के बाद लोगों से मिलकर अपने यानी राजा के बारे में जानने की कोशिश करता और उनकी समस्याओं को समझता था।
एक रात जब वह नगर घूम कर आया तो अचानक जोर से बारिश होने लगी। उसने देर किए बिना एक गरीब के घर का दरवाजा खटखटाया। राजा के दरवाजा खटखटाने के बाद घर से एक व्यक्ति निकला। वह एक गरीब किसान था, जो अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था।
बारिश तेज थी तो किसान ने राजा को अंदर आने के लिए कहा। राजा ने घर में जाने के बाद पूछा, क्या आप मुझे कुछ खिला सकते हैं? मुझे बहुत तेज भूख लगी है। वह गरीब किसान और उसका परिवार तीन दिनों से भूखा था और उसके घर में एक भी दाना अन्न का नहीं था।
किसान के मन में हुआ कि भले ही हम भूखे हैं, लेकिन अपने अतिथि को भूखा नहीं रख सकते। अब किसान यह सोच सोचकर बेचैन हो गया कि अपने अतिथि का पेट कैसे भरा जाए। तभी उसने घर के सामने वाली दुकान से चावल चुराने की तरकीब सोची। उसने सिर्फ आतिथि के लिए ही दो मुट्ठी चावल लिया और उसे पकाकर राजा को खिला दिया।
तब तक बारिश रुक गई थी और राजा अपने घर चला गया।
दूसरे दिन दुकान का मालिक अनाज की चोरी की शिकायत लेकर राजा के पास पहुंचा। राजा ने दुकान के मालिक और उस गरीब किसान को अपनी सभा में प्रस्तुत होने का आदेश दिया। सबसे पहले सभा में पहुंचे किसान ने राजा के सामने जाकर अपनी चोरी का इल्जाम कबूल कर लिया और बीती हुई रात की पूरी बात राजा को बता दी।
किसान राजा से कहता है कि मैंने चोरी की, लेकिन मेरे परिवार ने उस अनाज का एक निवाला भी नहीं खाया। गरीब किसान की बातें सुनकर राजा बहुत दुखी हुआ और उसने किसान को बताया कि अतिथि के रूप में मैं स्वयं तुम्हारे घर आया था।
इसके बाद राजा ने सभा में पहुंचे दुकानदार से पूछा की क्या आपने अपने पडोसी को चोरी करते हुए देखा था। दुकानदार ने जवाब दिया की हां मैंने इसे रात में चोरी करते हुए देखा था।
दुकानदार की बात सुनने के बाद राजा कहता है कि इस चोरी के लिए मैं पहले जिम्मेदार हूं और फिर दूसरा तुम हो क्योंकि तुमने अपने पडोसी को अनाज की चोरी करते हुए देखा। मगर कभी उसके भूखे परिवार को नहीं देखा। तुम अपने पडोसी होने का धर्म बिल्कुल निभा नहीं पाए।
इतना कहने के बाद राजा ने दुकानदार को सभा से जाने के लिए कह दिया और किसान की अथिति निष्ठा भाव को देखकर उसे 1000 सोने के सिक्के इनाम के रूप में दे दिया।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि अगर हमारे आस पास रहने वाले कोई मुसीबत में है तो हमें उनकी मदद करनी चाहिए।
5. मेहनती किसान की कहानी (Garib Kisan ki Motivational Kahani)
एक बार कि बात है, एक गांव में एक रामचरण नाम का किसान रहता था। वह एक मेहनती और परिश्रमी किसान था। वह गांव के अपने खेतों में दिन रात मेहनत करता और अपने परिवार को पालता और उनकी आवश्यकता को पूरा करता था।
एक दिन गांव में अकाल पड़ गया। बारिश नहीं हो रही थी और जमीन भी जल्दी सूख गई थी। सभी किसानों को अपनी फसल के लिए चिंता होने लगी, लेकिन रामचरण डरने वाले नहीं थे। वह जानता था कि मेहनत से किया हुआ काम कभी बेकार नहीं होता।
रामचरण अपने खेतों में और अच्छे से काम करना शुरू किया वह दिन रात मेहनत करता रहा और पौधों की देखभाल में विशेष ध्यान देता रहा। तभी एक किसान आकर बोला, अरे भाई क्या कर रहे हो इन पौधों की देखभाल करने से क्या बारिश हो जाएगी।
तभी उस किसान ने कहा कि पौधों से बारिश हो या ना हो लेकिन हमें पेड़ पौधों की सेवा और उनका ध्यान रखना चाहिए। कुछ समय बाद बादल उमर आए और बारिश शुरू हो गई रामचरण की खेती के पौधे जीवित हो गए और उसकी फसल बढ़ने लगी। वो खुशी से झूम उठा क्योंकि उसका मेहनत उसे उनके सपनों की प्राप्ति तक पहुंचा रहे ।
फसल काटने के बाद रामचरण ने अपने परिवार के साथ आराम से खुशहाल जीवन जीने लगा। उसकी मेहनत और परिश्रम ने उसे गर्व महसूस कराया। वह गांव के बाकी किसानों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गए। आखिरकार गांव के किसानों ने उसकी मेहनत और समर्पण को मान्यता दी और उन्हें सम्मानित किया गया।
रामचरण की मेहनत और उसके परिश्रम की दूर दूर तक चर्चा होने लगी। रामचरण की कहानी और संघर्ष गांव के अन्य किसानों को भी प्रेरित करती है।
6. एक गरीब किसान की कहानी (Garib ki Kahani Moral Story in Hindi)
यह कहानी है एक गरीब और ईमानदार किसान की जो गरीब होने के साथ साथ ईमानदार और दयावान भी था। रामनगर नाम के गांव में महेश नाम का एक बहुत ही गरीब किसान रहता था। वह गरीब होने के बाद भी अपने परिवार की देखभाल अच्छे तरह से कर लेता था।
महेश गेहूं और चावल की खेती किया करता था, जिससे उसको परिवार का पालन पोषण करने के लिए अच्छा खासा धन मिल जाया करता था।
एक दिन महेश के गांव में भयंकर तूफान आया जिसकी वजह से महेश की सारी खेती खराब हो गई और वह काफी परेशान हो गया। लेकिन महेश ने हिम्मत नहीं हारी और वह फसलों को फिर से उगाने में लग गया।
दिन बीत रहे थे। किसान का हौसला टूट रहा था कि एक दिन महेश के घर एक आदमी आया। वह देखने में बहुत बीमार लग रहा था। महेश ने सोचा कि अब वह क्या करे। महेश के दिमाग में आया कि घर में जो कुछ खाने के लिए बचा है वह उसकी सेवा में लगा दे।
खेत खराब होने की वजह से महेश के पास पहले से ही धन की कमी थी। फिर भी उसने उस बीमार इंसान की मदद करी। कुछ दिन बाद वह बीमार इंसान ठीक हो गया और वहां से जाने से पहले उसने किसान महेश को बहुत दुआ दी।
अब महेश के पास पूरी तरह से धन और अन्न की कमी हो गई थी। अगले दिन सुबह जब वह सोकर उठा तो उसने बाहर जाकर देखा कि उसकी फसल खेत में लहरा रही है। वह बड़ा ही खुश हुआ और घर में भी धनधान्य की कमी पूरी हो गई।
उसने सोचा कि मैं ने उस बीमार इंसान के रूप में भगवान की मदद करी थी, जिससे भगवान ने उससे प्रसन्न होकर यह धन उसको दिया।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हम सच्चे मन और बिना स्वार्थ के किसी की मदद करेंगे तो भगवान हमारी मदद जरूर करेंगे।
7. एक गरीब किसान और सांप की कहानी (Ek Garib Kisan ki Story in Hindi with Moral)
बहुत समय पहले की बात है। एक गांव में किसान रहता था। गांव के बाहर उसका एक छोटा सा खेत था, जहां वह खेती कर अपना जीवन यापन हेतु थोड़ा बहुत धन अर्जित कर लेता था।
एक बार की बात है, ग्रीष्म ऋतु थी। वह अपने खेत में एक वृक्ष की छाया में लेटा सुस्ता रहा था। अनायास ही उसकी दृष्टि वृक्ष के पास के बिल के बाहर निकले सर्प पर पड़ी। सर्प को देख कर मन में विचार आया संभवतः यह सर्प देवता स्वरुप है। मुझे इनकी पूजा करनी चाहिए। हो सकता है ये मुझे उसका उत्तम प्रतिदान दे।
वह तत्काल अपने गांव जाकर एक मिट्टी के कटोरे में दूध ले आया। उसने वह कटोरा सर्प के बिल के बाहर रखा और बोला, हे सर्प देव! अब तक मैंने आपकी पूजा अर्चना नहीं की क्योंकि मुझे आपके विषय में ज्ञात नहीं था। आप मुझे इस दृष्टता के लिए क्षमा करें। अब से मैं प्रतिदिन आपकी पूजा करूंगा। मुझ पर कृपा करें और मेरा जीवन समृद्ध करें।
यह कहकर उसने दूध क कटोरा उस सर्प कि बिल के पास रख दिया और फिर वह अपने घर लौट आया। अगले दिन खेत पहुंचकर जब वह कटोरा उठाने सर्प के बिल के पास गया तो उसने देखा कि उस कटोरे में एक स्वर्ण मुद्रा रखी हुई है। सर्प देव का आशीर्वाद समझकर उसने वह स्वर्ण मुद्रा उठा ली।
अगले दिन भी वह सर्प के लिए मिट्टी के कटोरे में दूध रखकर चला गया। उसके अगले दिन उसे पुनः एक स्वर्ण मुद्रा प्राप्त हुई। तब से वह नित्य प्रति दिन सर्प देव को दूध देने लगा और प्रतिदिन स्वर्ण मुद्रा मिलने लगी।
एक बार उसे किसी कार्य से दूसरे गांव जाना पड़ा। इसलिए उसने अपने पुत्र को खेत में वृक्ष के नीचे बने बिल के पास मिट्टी के कटोरा में दूध रखने का कार्य सौंपा और वह दूसरे गांव की यात्रा के लिए निकल पड़ा। उसका पुत्र आज्ञा अनुसार दूध का कटोरा सर्प के बिल के सामने रखकर घर चला गया।
अगले दिन जब वह पुनः दूध रखने गया तो कटोरे में स्वर्ण मुद्रा देख चकित रह गया। स्वर्ण मुद्रा देख उसका मन में लोभ आ गया और वह सोचने लगा अवश्य ही इस बिल के भीतर स्वर्ण कलश है। क्यों ना में इसे खोदकर समस्त स्वर्ण मुद्राएँ एक साथ प्राप्त कर धनवान हो जाऊं।
किन्तु उसे सर्प का डर था। सर्प के जीवित रहते स्वर्ण कलश प्राप्त करना असंभव होगा, यह सोचकर वह उस दिन तो वापस चला गया किन्तु अगले दिन जब वह सर्प के लिए दूध लेकर आया तो साथ में लाठी भी ले गया।
दूध का कटोरा बिल के सामने रखने के थोड़ी देर बाद जब सर्प दूध पीने बाहर निकला तो उसने उस पर लाठी से प्रहार किया। सर्प लाठी के प्रहार से तो बच गया किन्तु क्रुद्ध हो गयाऔर फन फैलाकर किसान के पुत्र को डस लिया।
कुछ ही देर में विष के प्रभाव से किसान के पुत्र की मृत्यु हो गई और इस तरह लोभ के कारण किसान पुत्र को अपने प्राणों से हाथ धोने पड़े।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
दोस्तों, इस कहानी से यह सीख मिलती है कि लोभ का दुष्परिणाम भोगना पड़ता है, इसलिए कभी लोभ न करें।
8. एक गरीब किसान और गौरेया की कहानी (Ek Garib Kisan ki Short Story in Hindi)
एक बार की बात है, भारत की पहाड़ियों में बसे एक छोटे से गांव में रामू नाम का एक बुद्धिमान बूढ़ा किसान रहता था। रामू अपनी दयालुता, उदारता और बुद्धिमत्ता के लिए दूर दूर तक जाना जाता था। उसके पास एक छोटा लेकिन हरा भरा खेत था, जहां वह कई तरह की फसलें उगाता था और वह एक सादा लेकिन संतुष्ट जीवन जीता था।
एक दिन जब रामू अपने खेतों में काम कर रहा था तो उसने मदद के लिए एक धीमी सी पुकार सुनी। उत्सुकतावश उसने आवाज का पीछा किया और पाया कि एक छोटी सी गौरैया जाल में फंसी हुई थी और छूटने के लिए संघर्ष कर रही थी। बिना किसी हिचकिचाहट के रामू ने धीरे से गौरैया को जाल से मुक्त किया और उसके घायल पंख को स्वस्थ किया।
आभारी गौरैया ने रामू को धन्यवाद दिया और किसी दिन उसकी दयालुता का बदला चुकाने का वादा किया।
साल बीत गए और रामू अपना जीवन जीता रहा, अपने खेत की देखभाल करता रहा और जरूरतमंदों की मदद करता रहा।
एक बार गर्मी के दिन गांव में भयंकर सूखा पड़ा और रामू की फसलें सूख गई, जिससे उसके पास काटने के लिए कुछ नहीं बचा। व्यथित रामू को नहीं पता था कि वह आने वाले कठिन समय से कैसे बचेगा।
तभी वही गौरैया उड़कर रामू के खेत में आ गई, जिसे उसने सालों पहले बचाया था। वह उस इलाके की सभी गौरैयों का राजा बन गई थी। रामू की दुर्दशा देखकर गौरैया ने अपने झुंड को इकट्ठा किया और उन्हें आस पास के खेतों से अनाज उठाकर रामू के खेत में लाने का निर्देश दिया।
गौरैयों की दयालुता से अभिभूत होकर रामू सूखे के दौरान खुद को और अपने पड़ोसियों को खिलाने में सक्षम था। जब सूखा खत्म हुआ और रामू का खेत फिर से फलने फूलने लगा तो उसने गौरैयों को उनकी मदद के लिए धन्यवाद दिया।
गौरैया ने जवाब दिया, रामू, जब मैं ज़रूरत में थी तब तुमने मेरी मदद की थी और अब तुम्हारी मदद करने की बारी मेरी है। दयालुता हमेशा उन लोगों के पास लौटती है जो इसे देते हैं।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
दोस्तों, इस कहानी से यह सीख मिलती है कि दूसरों के प्रति दया और करुणा चाहे कितनी भी छोटी क्यों न हो, भविष्य में अप्रत्याशित आशीर्वाद और पुरस्कार दिला सकती है।
9. चतुर किसान की प्रेरणादायक कहानी (Kisan ki Motivational Story in Hindi)
एक गांव में रामलाल नाम का किसान रहता था। वह अपने खेतों की देखभाल के लिए प्रसिद्ध था। रामलाल के पास कुशलता और समय पर गेहूं, चावल और दलहन की उत्पादन करने के लिए अद्भुत ज्ञान था। वह अपनी अद्वितीय बुद्धिमत्ता के कारण गांव के लोगों के बीच मशहूर था।
रामलाल के पास एक बड़ा खेत था जिसमें वह अपने उत्पादों को उत्कृष्ट फसल में बदल देता था। उसका खेत गांव के सबसे सुंदर खेतों में से एक था।
एक बार गांव के अन्य किसानों ने रामलाल से पूछा, रामलाल, तुम्हारे पास इतना उत्तम उत्पादन का लक्ष्य क्या है? रामलाल हंसते हुए जवाब दिया, मेरा रहस्य तो यह है कि मैं किसान की जगह सोचता हूं। मैं अपनी फसल को विचारपूर्वक देखभाल करता हूं। इसके साथ ही उसने अपनी कुशलता और मेहनत का सम्मान किया।
रामलाल की कहानी गांव में बड़ी प्रसिद्ध हो गई। लोग उसके पास अपने खेतों की देखभाल के लिए आने लगे।
एक दिन रामलाल के पड़ोसी गांव में एक अचानक समस्या आई। गांव के सभी किसानों को एक नए कीटनाशक की आवश्यकता थी, लेकिन वह बहुत महंगा था। रामलाल ने इस समस्या को हल करने के लिए अपनी बुद्धिमत्ता का उपयोग किया। उसने दुकानदार के साथ मिलकर कीटनाशक की अधिक मात्रा में खरीद की और उसे उनके साथ साझा करने का सुझाव दिया।
रामलाल ने सभी किसानों को उस कीटनाशक का उपयोग करने का तरीका सिखाया। इससे गांव के सभी किसानों ने पैसे बचाए और अधिक उत्पादन किया।
इस कार्य में सफलता प्राप्त करने के बाद रामलाल ने फिर से अपनी बुद्धिमत्ता का प्रयोग करके एक नई विचारशील तकनीक को विकसित किया। इससे उसका खेत और उत्पादन और भी बेहतर हो गए।
ऐसा ही एक और घटना हुई जब उसने अपने पशुओं के लिए एक खास आहार का सिरप बनाया। यह सिरप उसके पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता था। इससे उसके पशु और अधिक प्रोत्साहित हुए और उनकी उत्पादकता में भी वृद्धि हुई।
रामलाल की बुद्धिमत्ता और नवाचार गांव के सभी किसानों को प्रेरित करती थी। वह दिखा रहा था कि विचारशीलता और कुशलता की मदद से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है।
इस प्रकार रामलाल ने बुद्धिमानी और समझदारी के साथ अपने किसानी का नाम रौशन किया और गांव के लोगों को प्रेरित किया। उसकी कहानी गांव के लोगों के लिए एक प्रेरणास्पद उदाहरण बन गई।
10. दो किसान की कहानी (Kisan ki Story in Hindi with Moral)
पुराने समय की बात है। किसी गांव में दो किसान रहते थे। दोनों बड़े गरीब थे। उनके पास बहुत थोड़ी जमीन थी, जिस पर खेती करके अपना व अपने परिवार का गुजारा किया करते थे। समय गुजरा और उन दोनों की मृत्यु एक साथ ही हुई।
दोनों को यमराज के पास ले जाया गया। यमराज ने पूछा बताओ कि तुम्हारे इस जीवन में क्या कमी थी और तुम्हें क्या बनाकर पुनः इस संसार में भेजा जाए।
पहला किसान क्रोध से बोला प्रभु! आपने इस जन्म में मुझे बहुत ही घटिया जिंदगी दी। कुछ भी नहीं दिया मुझे। पूरा जीवन मैंने खेतों में बैल की भांति काम किया। जो थोड़ा बहुत कमाया भी, वह पेट भरने में ही खर्च हो गया। न तो मैंने और न ही मेरे परिवार ने अच्छे वस्त्र पहने और न ही अच्छा खाना खाया।
यह सुनकर यमराज कुछ समय मौन रहे फिर पुनः बोले तो अब तुम क्या चाहते हो? इस पर किसान बोला, कुछ ऐसा कीजिए कि मेरे चारों ओर से पैसे ही पैसे बरसे, परंतु मुझे किसी को कुछ न देना पड़े। प्रभु बोले तथास्तु।
यमराज ने दूसरे किसान से पूछा तुम्हारी क्या इच्छा है? क्या तुम्हें भी मुझसे शिकायत है?
किसान बोला, नहीं प्रभु, मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है। आपसे मैं क्या मांगू? आपने मुझे सबकुछ दिया। दो हाथ पैर खेती करके अन्न उगाने के लिए, जमीन, भूख लगने पर भोजन, तन ढंकने को पर्याप्त मात्रा में वस्त्र। सिर्फ एक कमी लगी मुझे अपने जीवन में की सीमित मात्रा में अन्न धन होने के कारण मैं अपने द्वार पर आये भूखे व जरूरतमंद लोगों की सहायता नहीं कर सका।
कुछ ऐसा कीजिये कि अब जो जन्म मिले तो यदि कोई भूखा व्यक्ति मेरे घर आये मैं उसकी खूब मन से सेवा सहायता कर सकूं। यमराज उसकी बात सुनकर प्रसन्न हुए और बोले तथास्तु।
दोनों किसानों को पुनः उसी गांव में जन्म मिला। समय बीता। दोनों बड़े हुए। पहला किसान जिसने अपने चारों ओर धन की और किसी को कुछ न देने की कामना की थी, वह उस गांव का सबसे बड़ा भिखारी बना। हर कोई उसकी झोली में धन डालता किन्तु उसे किसी को कुछ भी न देना पडता।
दूसरा किसान उस गांव का बड़ा धनी एवं धर्मात्मा व्यक्ति बना। कोई भी उसके द्वार से खाली न जाता, वह सबकी तन मन धन से सहायता किया करता।
मित्रों, ईश्वर ने हमें जो दिया है उसी में संतुष्ट रहना आवश्यक है। अक्सर देखा है कि हमें हमेशा भगवान से शिकायत रहती है कि हमें यह नहीं दिया, वह नहीं दिया। अगर हम थोड़ा रुककर यह सोचें कि उस दयालु परमात्मा ने हमें कितना कुछ दिया है। तो हम सिर्फ उसका धन्यवाद ही देंगे।
दूसरों की उन्नति को देख कर दुखी होने के कारण हम उन संसाधनों का भी ठीक प्रकार से आनंद नहीं उठा पाते जो हमारे पास हैं।
के दो पहलू होते हैं, सकारात्मक एवं नकारात्मक। अब यह हमारी सोच पर निर्भर करता है कि हम चीजों को किस रूप में देखते हैं। अच्छा जीवन जीने के लिए अपनी सोच अच्छी बनाएं। कमियां न निकालें, बल्कि जो कुछ भी हमारे पास है, उसका आनंद लें और दूसरों के प्रति सेवा भाव रखें।
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