नमस्ते दोस्तों, स्वागत है आपका “Hindi Kahani” ब्लॉग वेबसाइट में। भारतीय समाज में परिवार और रिश्तों का विशेष महत्व है। आज के इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपके साथ 6 दिल छू लेने वाली इमोशनल स्टोरी (Emotional Story In Hindi) प्रस्तुत कर रहे हैं जो माँ-बेटे, पति-पत्नी, और पिता-बेटी के रिश्तों की गहराई को छूती है।
साथ ही, हमारी यह इमोशनल स्टोरी इन हिंदी बेरोजगारी के कारण समाज में उत्पन्न होने वाले अवसाद की कड़वी सच्चाई को भी उजागर करेगी। इस कहानी के माध्यम से हम जीवन के इन विभिन्न पहलुओं को समझने और महसूस करने की कोशिश करेंगे, जो हमारे दिल को छू जाती हैं और हमें सोचने पर मजबूर कर देती हैं।
6 Emotional Story in Hindi: इमोशनल स्टोरी इन हिंदी
तो दोस्तों, ये है वो 6 बेहतरीन इमोशनल स्टोरी इन हिंदी (Emotional Story in Hindi) जिसे पडने के बाद यह कहानिया आपके दिल को जरूर छू लेगी।
1. माँ बेटे की इमोशनल कहानी (Heart Touching Emotional Story in Hindi)
इस कहानी को पडने के बाद आपकी आंखों में आंसू आए या न आए, लेकिन आप अंदर से जरूर रो दोगे। एक मां ने एक बच्चे को जन्म दिया। जब वह बच्चा दो माह का था तो उसके पापा की म्रित्यु (death) हो गई। वह बच्चा अपनी मां के साथ ही रहता था। उसकी मां की एक आंख नहीं थी, इसलिए वह थोड़ी बदसूरत दिखती थी।
वह बच्चा जब चार पांच साल का था तो अपनी मां से बहुत प्यार करता था। वह कई बार पूछता था कि मां आपकी एक आंख क्यों नहीं है और उसकी मां जवाब देती थी कि बेटा यह आंख मेरे जन्म से नहीं है।
वह बच्चा थोड़ा बड़ा हुआ तो उसको महसूस होने लगा कि उसकी मां की शक्ल अच्छी नहीं है। उसे अपनी मां के साथ बाहर जाने में शर्म आने लगी। इसलिए कभी स्कूल की पेरेंट्स मीटिंग में भी वह बच्चा अपनी मां को कभी साथ लेकर नहीं गया। यह सोचकर कि उसके दोस्त उसका मजाक बनाएंगे, वह अपनी मां से ढंग से बात भी नहीं करता था। हमेशा अपनी मां को गुस्से से देखता था।
उसकी मां उसके इस बिहेवियर और सोच की वजह से बहुत दुखी होती थी। लेकिन उस मां ने कभी अपने बेटे को किसी चीज की कमी नहीं होने दी। वक्त के साथ साथ जब उसका बेटा थोड़ा और बड़ा हुआ तो वह अपनी मां की शक्ल का मजाक बनाने लगा और उस शक्ल की वजह से वह अपनी मां को रोज कई तरह की बातें सुनाने लगा। उसकी मां बिना कुछ कहे चुपचाप उसे बर्दाश्त करती और अंदर ही अंदर रोती रहती।
कुछ दिनों बाद उस लड़के की शादी हो गई। शादी के बाद उसकी बीवी भी उसे बोलने लगी कि तुम्हारी मां की शक्ल अच्छी नहीं है। मुझे अच्छा नहीं लगता इनके साथ रहना। शादी के कुछ दिन बाद ही उस बेटे ने अपनी मां को घर से बाहर निकाल दिया। उसकी मां कहीं दूसरी जगह जाकर अकेली रहने लगी और बड़ी मुश्किल से अपनी जिंदगी गुजार रही थी।
कुछ महीने निकले और उसके बेटे का जन्मदिन आ गया। उस मां को अपने बेटे का जन्मदिन अच्छे से याद था। वह एक खत और एक फूल लेकर अपने बेटे के घर की तरफ चल पड़ी। घर पहुंचकर उसने दरवाजा खटखटाया तो उसके बेटे ने आकर दरवाजा खोला। उसकी मां ने देखा कि अंदर पार्टी चल रही थी, लेकिन उसने अपने बेटे को वह खत और फूल दिया और जन्मदिन की शुभकामनाएं देकर दरवाजे से ही चली गई। यह सोचकर कि अगर मैं अंदर गई तो मेरे बेटे की बेइज्जती होगी।
उसके बेटे ने भी अपनी मां को इसलिए अंदर नहीं बुलाया ताकि उसकी बेज्जती ना हो। उसके बेटे ने अंदर जाकर वह फूल रखा और खत खोलकर पढ़ने लगा। उसमें कुछ यूं लिखा था, – बेटा मैं जानती हूं कि मेरी एक आंख नहीं है इसलिए मैं बदसूरत दिखती हूं। क्या तुम्हें याद है जब तुम छोटे थे तो मुझसे पूछा करते थे कि मां आपकी एक क्यों नहीं है? और मैं यही कहती थी कि यह आंख जन्म से नहीं है।
बेटा, उस वक्त मैं तुम्हें झूठ बोलती थी, लेकिन आज तुम्हारे जन्मदिन पर मैं सच बता रही हूं। जब तुम छह माह के थे तो एक बार तुम अपने बिस्तर से नीचे गिर गये। नीचे तुम्हारे खिलोने पड़े थे। उनमें से एक खिलौना तुम्हारी आंख में लगा। मैं तुम्हें तुरंत हॉस्पिटल ले गई। लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि इसकी आंख खराब हो चुकी है। अब सिर्फ इसका एक ही हल है कि कोई इसे अपनी एक आंख डोनेट कर दे।
मैंने तुरंत डॉक्टरों से कहा कि मेरी एक आंख निकालकर मेरे बेटे को लगा दो। उस दिन मेरी एक आंख निकालकर तुम्हें लगा दी गई और उसी दिन से मेरी एक आंख नहीं है, इसलिए मैं बदसूरत दिखती हूं। मैंने तुमपर कोई ऐसा नहीं किया, लेकिन मैं तुम्हें एक बात जरूर कहना चाहूंगी कि बेटा मां बदसूरत तो हो सकती है, लेकिन मां कभी बुरी नहीं हो सकती।
बेटा चाहे कितना ही बुरा क्यों ना हो लेकिन एक मां अपने बेटे के लिए अपनी जान भी दे सकती है। दोस्तों कुछ भी करना लेकिन कभी अपनी मां का दिल दुखाना।
2. एक बच्चे की इमोशनल स्टोरी इन हिंदी (Short Emotional Story in Hindi)
एक समय की बात है, बाहर बारिश हो रही थी और अंदर क्लास चल रही थी। तभी टीचर ने बच्चों से पूछा अगर तुम सभी को ₹100 ₹100 का नोट दिया जाए तो तुम सब क्या खरीदोगे? किसी ने कहा मैं video game खरीदूंगा। किसी ने कहा मैं cricket का bat खरीदूंगा। किसी ने कहा मैं अपने लिए प्यारी सी गुड़िया खरीदूंगा तो किसी ने कहा मैं बहुत सी चॉकलेट्स खरीदूंगा।
एक बच्चा कुछ सोचने में डूबा हुआ था। तभी टीचर ने उससे पूछा तुम क्या सोच रहे हो? तुम क्या खरीदोगे? बच्चा बोला टीचर जी, मेरी मां को थोड़ा कम दिखाई देता है तो मैं अपनी मां के लिए चश्मा खरीदूंगा। टीचर ने पूछा तुम्हारी मां के लिए चश्मा तो तुम्हारे पापा भी खरीद सकते हैं, तुम्हें अपने लिए कुछ नहीं खरीदना?
बच्चे ने जो जवाब दिया, उससे टीचर का भी गला भर आया। बच्चे ने कहा, सर, मेरे पापा अब इस दुनिया में नहीं हैं। मेरी मां लोगों के कपड़े सिलकर मुझे पढ़ाती है और उसे कम दिखाई देने की वजह से वह ठीक से कपड़े सिल नहीं पाती है। इसलिए सर मैं मेरी मां को चश्मा देना चाहता हूं ताकि मैं अच्छे से पढ़ सकूं। बड़ा आदमी बन सकूं और मां को सारी सुख सुविधा दे सकूं।
टीचर बोला – बेटा, तेरी सोच ही तेरी कमाई है। यह ₹100 तुम्हारे हुये मेरे वादे के अनुसार और यह ₹100 और उधार दे रहा हूं। जब कभी कमाओ तो लौटा देना और मेरी इच्छा है तू इतना बड़ा आदमी बने कि तेरे सर पर हाथ फेरते वक्त मैं धन्य हो जाऊं।
20 वर्ष के बाद, स्कूल के बाहर बारिश हो रही थी और अंदर क्लास चल रही थी। अचानक स्कूल के आगे जिला कलेक्टर की बत्ती वाली गाड़ी आकर रुकती है। स्कूल स्टाफ चौकन्ना सा रह जाता है। स्कूल में सन्नाटा सा छा जाता है। मगर ये क्या? जिला कलेक्टर एक वृद्ध टीचर के पैरों में गिर पड़ता है और कहता है, सर मैं उधार के ₹100 लौटाने आया हूं। पूरा स्कूल स्टाफ दंग रह जाता है। वृद्ध टीचर झुके नौजवान कलेक्टर को उठाकर बाजुओं में कस लेते हैं और रो पड़ते हैं।
दोस्तो, मशहूर होने पर मगरूर मत करना। साधारण रहना। कमजोर मत बनना। वक्त बदलते देर नहीं लगती। शहंशाह को फकीर और फकीर को शहंशाह बनते देर नहीं लगती है।
3. पति-पत्नि की रुलाने वाली इमोशनल लव स्टोरी (Emotional Short Love Story in Hindi)
किसी ने सही कहा है कि सच्चा प्रेम कभी नहीं मरता।
दोस्तो, यह कहानी दो ऐसे लोगों की है जिन्होंने परिस्थितियों से हार नहीं मानी और अपने जीवन के हर एक सफर में प्रेम की एक ऐसी मिसाल कायम की जिसे लोग बरसों तक याद करते रहेंगे।
राजू और सोनू का प्रेम विवाह हुआ था और दोनों का जीवन हंसी खुशी से बीत रहा था। उनके दो बच्चे हुए और दोनों ही पढ़ाई में बहुत तेज और अपने माता पिता का आदर करने वाले थे। बड़े होकर उन दोनो को अच्छी नौकरी मिल गयी और दोनों अपने अपने जीवन में सैटल हो गए। बस रह गये तो राजू और सोनू। पर दोनों तन्हा कहां थे, वह तो थे एक दूसरे के साथ। वह साथ जिन्हें उन्होंने जीवन पर्यन्त निभाने का वादा किया था और निभाया भी।
जिंदगी अपनी गति से चल रही थी, पर शायद भगवान को कुछ और ही मंजूर था। सोनू हो गई अल्जाइमर जैसी बीमारी का शिकार, और सब कुछ भूलने लगी। यहां तक कि अपने प्यार राजू को भी भूल गई। पर राजू नहीं भूला सोनू को। उसने हार नहीं मानी। वह कैसे अपनी सोनू को भूल सकता था।
वह हर रोज सोनू को उन दोनों की पहली मुलाकात से लेकर उनके बुढापे तक की कहानी सुनाता। शायद इस आस में कि एक दिन सोनू उसे पहचान लेगी। सोनू बड़े चाव से कहानी सुनती और हर रोज कहानी के अंत में दोनों किरदारों के बारे में जरूर पूछती।
राजू यह बताने पर कि यह कहानी उन दोनों की ही कहानी है, उसे सब कुछ याद तो आता लेकिन फिर थोड़ी ही देर में सब कुछ भूल जाती और राजू से यह पूछ बैठती कि आप कौन है? क्या मैं आपको जानती हूं?
राजू हर रोज दुखी होता, मन ही मन रोता और ऊपर से हंसता। पर हार कैसे मान सकता था? कैसे प्रयास नहीं करता? राजू ने हार नहीं मानी। वह हर रोज सोनू को उन दोनों की कहानी सिर्फ उसे एक पल के लिए सुनाता था। जब सोनू उसको पहचान लेती थी, उसे एक पल में वह पूरे दिन की थकान और दुख भूल जाता था और आने वाले दिन के लिए अपने आप को तैयार कर लेता।
यह सिलसिला महीना दर महीना चलता रहा। राजू दिन के उस एक पल के लिए घंटों सोनू को कहानी सुनाता। सोनू रोज उसके कहानी सुनने का इन्तजार करती। यह जरूर समझती की राजू उसकी कद्र करता है पर उसे पहचान नहीं पाती। सिर्फ उस एक पल को छोड़ कर उस पल में याद आने के बाद रो लेती और राजू से वादा लेती उसे ना छोड़कर जाने का और हमेशा उसका साथ निभाने का।
इसे समय की मार ही कहिए कि एक दिन अचानक राजू की मौत हो गई। उस सुबह सोनू राजू की राह ही देखती रह गई। पर जब उसने राजू के मृत शरीर को देखा तो रोने लगी। इसलिए नहीं कि उसे कहानी कौन सुनाएगा या उसका खयाल कौन रखेगा। पर इसलिए कि उसे उस पल यह याद आ गया कि राजू ही उसका पहला प्यार था।
राजू ही उसका पति था। वह इंसान जिससे वह अत्याधिक प्यार करती है और जिसके साथ मरने जीने की कसमें खाई थी, उसे सब याद आ गया। वह भी बिना कहानी सुने। अपनी आखिरी अलविदा में भी राजू को एक पल का साथ मिला जिसकी ख्वाहिश रखता था।
कहते हैं ना सच्चा प्यार कभी नहीं मिटता। यही हुआ राजू और सोनू के साथ। राजू की चिता में आग लगने से पहले सोनू की चिता भी उसके पास लग गई। सोनू अपनी बिमारी में यह भी बर्दाश्त नहीं कर पाई कि उसका प्यार उसे इस दुनिया में अकेला छोड़ गया। उसने भी राजू से किया अपना वादा निभाया। जीयु उसके साथ और मरे तो उसके साथ।
ईश्वर भी सच्चे प्रेम के आगे विवश हो जाते हैं। दोस्तों तो हम तो एक साधारण इंसान मात्र हैं चाहे वह ईश्वरीय प्रेम हो, राधा कृष्ण का या फिर इंसानी प्रेम हो राजू और सोनू का सच्चे प्रेम का सम्मान ईश्वर जरूर करते हैं।
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4. बाप बेटी की रुलाने वाली कहानी (Heart-touching Sad Emotional Story in Hindi)
एक दिन एक 11 साल की लड़की ने अपने पापा से पूछा, आप मेरे 15वें जन्मदिन पर मुझे क्या तोहफा देने वाले हो? उस लड़की के पिता ने जवाब दिया, उसमें अभी बहुत समय बाकी है बेटा। जब लड़की 14 साल की हुई तब वह अचानक बेहोश हो गई और जल्दी उसे हस्पताल में भर्ती करा गया।
तभी डॉक्टर आए और उन्होंने बताया कि उस लड़की के हृदय में खराबी है और वह जल्द ही शायद मर भी सकती है। जब वह लड़की अस्पताल में पलंग पर लेटी हुई थी तब उसने अपने पिता से कहा पापा! डॉक्टर ने आपको बताया कि मैं मरने वाली हूं और तभी पिता ने रोते हुए कहा कि नहीं तुम जीने वाली हो।
लड़की ने अपने पिता से कहा कि आपको यह कैसे पता कि मैं जीने वाली हूं। तभी पिता ने दरवाजे से मुंह मोड़ते हुए कहा मुझे पता है बेटे। जब उसकी तबीयत ठीक होने लगी तो वह 15 साल की होने वाली थी और एक दिन जब वह पूरी ठीक हो गई और अपने घर वापिस आ गई, तो वहाँ पलंग पर उसे एक पत्र मिला जिसमें लिखा था मेरी प्यारी बेटी। जब तुम यह पढ़ रही होगी तब मैंने तुम्हें जो कहा था वह सच हो चुका होगा।
एक दिन तुमने मुझसे पूछा था कि तुम्हारे 15वें जन्मदिन पर मैं तुम्हें क्या दूंगा? तब मुझे कुछ पता नहीं था, लेकिन अभी तुम्हारे लिए मेरा उपहार मेरा दिल है।
उसके पिता ने अपनी बेटी की जान के लिए अपना दिल दान कर दिया था।
दोस्तो, हमेशा अपने माता पिता से प्यार कीजिए, क्योंकि हमारी खुशी के लिए वे कई चीजों का त्याग कर देते हैं, जिसका हमें पता भी नहीं चल पाता है। ज्यादातर समय हम अपने जीवन में अपने आपको बहुत बड़ा बनाने में व्यस्त हो जाते हैं और जिन्होंने हमें बड़ा किया उन्हें भूल ही जाते हैं।
चाहे हम कितने भी व्यस्त क्यों ना हो, अपना थोड़ा समय अपने मां बाप के साथ अवश्य बिताएं। उन्हें बताएं कि आप उन्हें भी उनसे उतना ही प्यार करते हैं, जितना वे आपसे करते हैं। उन्हें आपके जीवन में उनका महत्व बताइए। उनकी सेवा कीजिए। उन्होंने कभी दुख मत दीजिए।
दोस्तों, अपने परिवार की खुशियों के लिए अपने जीवन को भी कुर्बान करने वाले को ही पिता कहते हैं। वे अपने जीवन में अपने सुखों का त्याग करके अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करते हैं।
दोस्तो, अगर इस कहानी ने आपके दिल को छुआ हो तो इस पोस्ट को अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करें।
5. एक परिवार की कहानी (Long Emotional Story in Hindi)
आजकल हर दिन एक नया सा लगता है। हर सुबह एक नई रौशनी लेकर आती है। हर रोज मैं उठकर भगवान को धन्यवाद देना नहीं भूलता क्योंकि बिना उनके मार्गदर्शन के ना तो मुझे एक अच्छा परिवार मिलता और ना ही मेरी अच्छी नौकरी लगती। आज मैं अपने जीवन से संतुष्ट हूँ। यही पंकज ने सोचा।
जब उसकी दो साल की नन्हीं सी बिटिया दौड़कर उसके गले लग गई। पंकज उठा और ऑफिस जाने की तैयारी करने लगा और मन ही मन सोच रहा था कि इस साल मां का मोतियाबिंद का इलाज करवाना है और पिताजी को नई घड़ी भी दिलवानी है। खैर पत्नी को नई साड़ी भी दिलवाऊंगा और बिटिया को आज एक नई गुड़िया जरूर खरीदकर दूंगा।
बस इन्हीं सब विचारों के बीच वह उठा और माता पिता का आशीर्वाद लेकर चला गया अपने काम पर। अभी कुछ चंद किलोमीटर ही चला था, पर किसी को क्या पता था कि अचानक से उसके सामने आ गई एक कार। पंकज बदहवास हो गया। वह नहीं समझ पाया कि उस क्षण में क्या करें। उसने अपने स्कूटर का हैंडल झटके से बायीं तरफ घुमाया और टकरा गया एक खंबे से।
थोड़ी चोट लगी पर तभी गलत दिशा से आती हुई कार ने उसे टक्कर मार दी और उस कार ड्राइवर ने पंकज के जीवन की गाड़ी पर लगा दिया हमेशा के लिए ब्रेक। पंकज ने सुबह अपने माता पिता से आशीर्वाद लिया होगा तो उसने सोचा था कि वह हमेशा के लिए अपने परिवार वालों से विदा ले रहा है? वो तो बड़े प्यार से अपनी पत्नी और बिटिया को यह बोलकर गया था कि मैं जा रहा हूं। पर उसके यह शब्द हमेशा के लिए विदा लेने को तो नहीं कहे थे।
ईश्वर की महिमा तो ईश्वर ही जाने। हम तो बस साधारण इंसान हैं जो अपने वर्तमान के सुख दुख से अपनी जिंदगी का आंकलन करते हैं।
पंकज इस दुनिया को अलविदा कह कर चला गया और अपने पीछे छोड़ गया अनगिनत वादे और आशाएं। आज तक उसकी बिटिया अपनी गुड़िया का इंतजार कर रही है। उसकी पत्नी को पति द्वारा लाई हुई साड़ी का इंतजार है और उसके माता पिता अब तो सारी आस ही छोड़ चुके हैं। उनकी बूढ़ी आंखों में आंसू ही आने बंद हो गए हैं। पर क्या करें, जो चला गया वह कभी वापस तो नहीं आ सकता।
बबीता पंकज की पत्नी ने जब उसके एक्सीडेंट के बारे में सुना तो उसे इतना गहरा सदमा लगा कि वह दिन रात सिर्फ अपने कमरों की दीवारों पर पंकज पंकज ही लिखती रही। उसे न तो अपनी बिटिया का ध्यान आया और न ही अपने बूढ़े सास ससुर का। उसको इस सदमे से निकाला उसकी बिटिया के एक मासूम से प्रश्न ने। मम्मी पापा कब आएंगे? उन्होंने मुझे नई गुडिय़ा लाकर देने का वादा किया था।
एक मासूम से प्रश्न ने बबीता का हकीकत से साक्षात्कार करा दिया और यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि अब वह क्या करे, कैसे भरे अपने परिवार का पेट। वह पढी लिखी तो थी तो सोचा कि कहीं किसी स्कूल में टीचर बन जाए पर नौकरी इतनी आसानी से कहां मिलती है।
उसने बहुत से पंकज के दोस्तों से संपर्क किया, बहुतों से मदद मांगी पर उसके बुरे वक्त में किसी ने उसका साथ न दिया। कहते हैं ना कि अपने पराए की पहचान बुरे वक्त में ही होती है। जो आपके साथ आपके बुरे वक्त में खड़ा है, वही आपका अपना है।
बबीता का साथ किसी ने नहीं दिया। वह लड़की अकेले दम पर और उसकी मेहनत रंग लायी। उसे मिली एक स्कूल में नौकरी। पर यह क्या? सिर्फ साढ़े ₹3000 की नौकरी। क्या होता है साढ़े ₹3,000 से। आजकल इतने पैसों से घर कैसे चलेगा? पर वह क्या करती? मना भी तो नहीं कर सकती थी। जैसे तैसे चलाया घर एक महीना।
पर शायद उसको और ज्यादा दुख झेलने थे और किसी कारण से उसकी नौकरी चली गई। फिर सोचने लगी कि सारे प्रकरण में गलती किसकी थी पंकज की या फिर उस कार ड्राइवर की? उस कार ड्राइवर का भी तो परिवार होगा। पत्नी और बच्चे होंगे। उन्हें भी तो तकलीफ हो रही होगी। तो उस कार ड्राइवर को कोसकर क्या होगा? मेरी आह से उसका परिवार और दुखी होगा। बस यही सब सोचकर बबीता ने और प्रयास करना शुरू कर दिया।
उसने आसपास के घरों के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। ईश्वर सब देख रहे थे। बबीता के दुख को उसकी मेहनत को और उसका अपने पति और अपने परिवार के प्रति समर्पण को।
एक बच्चा जो पढ़ाई में काफी कमजोर था, जिद्दी था। बबीता की मेहनत से अच्छे अंक लाने लगा। जिद कम करने लगा। संयोगवश उस बच्चे के माता पिता का स्कूल चलता था। उन्होंने बबीता की लगन देखकर उसे अपने स्कूल की प्रिंसिपल बना दिया। आज उसे ₹35000 की सैलरी मिलती है और वह अपने परिवार का ध्यान भी रखती है।
बबीता और पंकज के साथ जो हुआ गलत हुआ। क्यों हुआ यह तो ईश्वर ही जाने पर यह लक्ष्मी माता की कृपा ही है कि उसकी बिटिया पढ़ने में होनहार है। उसके सास ससुर उसे दुवाएं देते थकते नहीं है और लोग उसे मान सम्मान और इज्जत देते हैं।
तो शायद इसी तरह के बबीता पंकज हमें अपने आस पास भी दिख जाए। अगर दिखे तो इस कहानी को जरूर याद कर लीजिएगा और उनकी हर संभव मदद जरूर कर दीजिएगा। अगर आपकी छोटी सी मदद किसी का जीवन संवार सकती है तो आपको दुआएं ही मिलेगी।
कहानी अच्छी लगी हो तो अपने सभी दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ शेयर जरूर करें और उन्हें भी प्रेरित करें। दूसरे की मदद करने के लिए धन्यवाद।
6. बेरोजगार बेटे की कहानी (Short Emotional Kahani in Hindi)
एक बेरोजगार बेटे की मां उसकी जेब रोज टटोलती थी। बेटा चोरी से कभी कभी देख लेता और सोचता, काश, नौकरी मिल जाती तो मां की पैसों की प्यास बुझा पाता। पर मां तो जेब में सल्फास की गोलियां ढूंढती थी। कहीं बेटा तंग होकर सल्फास की गोलियां खा ना ले।
बेटा सोचता था बेरोजगार होना भी एक अभिशाप है। शायद दुनिया में नौकरी न करना या न मिल पाना भी सबसे बड़ा पाप है। मां की भावनाओं को वह समझ न पाया और एक दिन बेरोजगारी से तंग होकर सल्फास की गोलियां अपने साथ ले आया। वह सोचा मां रोज जेब टटोलती है, पैसा नहीं पाती है और शर्म से कुछ बोलती भी नहीं है।
शाम को बेटे ने जो ही गोली को होठों से लगाया तो मां का दिल बड़े जोर से धड़क गया। मां का दिल जल उठा और उबल खाया। मां दौड़ी दौड़ी गई बेटे के पास और बोली क्या हुआ बेटा? क्यों उदास है तु? आज बहुत दुखी है। मुझे यह एहसास है मेरा सबकुछ तू ही है बेटा।
यह याद रखना तू मेरा अनमोल धन है। तेरा कोई मोल नहीं है इस दुनिया में। तेरे से बढ़कर मेरे लिए कुछ और नहीं है। मां रो रोकर बोली, जिस दिन तुम हमसे रिश्ता तोड़ दोगे, उस दिन हम भी इस दुनिया को छोड़ देंगे।
बेटा भी इतना सुनकर रो पड़ा और बोला मां आप हमें इतना प्यार करती हो तो सच बोलना। आप मेरी जेब में क्या देखती थी?
मां और जोर जोर से रो पड़ी। बोली बेरोजगारी क्या है यह बेटा मैं जानती हूं, तेरे रग रग को पहचानती हूं। कहीं नादानी में कुछ कर न ले। कहीं खाकर कुछ गोलियां अपनी जान न दे दे, तेरे जेब में मैं रोज उन गोलियों को ढूंढती थी।
बेटा और जोर से रो पड़ा मां बोली, आज तेरी जेब जब देखना भूल गई बेटा, मेरा दिल अभी बहुत जोर से भटक रहा है तेरे पास, इसलिए मैं आई हूं जेब की तरफ। जैसे ही मां ने हाथ बढ़ाया, बेटा रोता हुआ बोला, मां, तू जो ढूंढ रही है यहां मेरी मुट्ठी में है। आज जो थोड़ा सा देर कर देती तो मुझे शायद कभी नहीं पाती।
मैं भी कितना पागल था। मां जो सोचता था कि मां जेब में पैसे देखती है और वह खुशी मैं आपको पिछले कई महीनों से दे नहीं पाया। इसलिए मां मैंने यह कदम उठाया।
दोस्तों यह बात याद रखना, मां तो मां ही होती है। अगर वह कुछ गलत भी आपके साथ कर रही है तो उसमें भी आपकी भलाई ही होगी, यह मेरा विश्वास है। दोस्तों आपकी मां से ज्यादा आपकी परेशानी कोई और नहीं समझ सकता। अगर आपके जीवन में कोई भी परेशानी है तो प्लीज कोई गलत कदम उठाने से पहले अपनी मां से अपने पिताजी को अपनी परेशानी जरूर बताएं।
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