कक्षा 1 के बच्चों के नैतिक और मानसिक विकास के लिए नैतिक कहानियाँ (Hindi Story for Class 1) बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये कहानियाँ न केवल उन्हे सही और गलत का अंतर सिखाती हैं, बल्कि उनकी कल्पनाशक्ति को पंख देती हैं और उनमें अच्छे गुणों का विकास भी करती हैं।
इस ब्लॉग पोस्ट में, हम कक्षा 1 के बच्चों के लिए विभिन्न रोचक और शिक्षाप्रद कहानियाँ (Moral Stories for Kids in Hindi) लेकर आये हैं। इन कहानियों में मेहनती चींटा, प्यासा कौवा, नकलची गधा, सोनपरी, और ईमानदारी जैसी प्रेरणादायक कहानियाँ शामिल हैं।
तो आइए, इन प्यारी और शिक्षाप्रद कहानियों (Short Story in Hindi for Class 1) के माध्यम से आपके बच्चों की दुनिया को और रंगीन बनाते हैं।
15 Best Hindi Story for Class 1: बच्चों की नैतिक कहानियाँ
तो दोस्तों, यह रहे 15 रोचक कक्षा एक दो की कहानियां (Hindi Story for Class 1) जिनके माध्यम से आपके बच्चे न केवल आनंदित होंगे, बल्कि वे मेहनत, ईमानदारी, और सही निर्णय लेने के महत्व को भी समझेंगे।
1. मेहनती चींटा और आलसी चूहा (Hindi Story for Class 1)
एक था चींटा और एक था चूहा। चींटा बहुत मेहनती था लेकिन चूहा चालाक और कामचोर था। एक दिन चूहे ने चींटी से कहा, चलो बीज बोते हैं। चींटी ने कहा ठीक है, चलो खेत जोताई करे। चूहा बोला, तुम चलो मैं अभी आता हूं।
चींटा सारा दिन मेहनत करके खेत जोत आया और चूहा बिल में सोता ही रहा। चींटा चूहे के पास गया और बोला, चलो अब खेत में बीज बो आते हैं। चूहे ने फिर बहाना बनाते हुये कहा, आज मेरी तबीयत ठीक नहीं है। तुम ही बीज बो दो।
चींटे ने बीज बो दिए। कुछ ही दिनों में फसल उग आई। जब फसल पक गई तो चींटा हँसिया लेकर चूहे के पास गया और बोला, चलो फसल काट लें। चूहे ने कहा, आज मेरे घर मेहमान आने वाले हैं। तुम फसल काट लो।
चींटा ने फसल काट दी और मेहनत से बीज अलग कर लिए। चींटा फिर चूहे के पास गया और बोला, चलो बीज का बंटवारा कर लो। चूहा बोला, बंटवारे की क्या जरूरत है? हम दोनों दौड़ लगाते हैं। जो गेहूं के ढेर पर पहले पहुंचेगा, वही सारे बीज ले लेगा।
चींटा उसकी चालाकी समझ गया। दोनों ने दौड़ना शुरू किया। चींटा चूहे की पूंछ पर चिपट गया और चूहे को पता ही नहीं चला। जब चूहा गेहूं के ढेर के पास पहुंचा तो उसे वहां एक बिल्ली बैठी दिखाई दी। चूहा डर से उल्टे पैर लौट पड़ा।
चींटा उसकी पूंछ से उतरकर धीरे धीरे चलता हुआ बीज के ढेर पर जा बैठा। थोड़ी देर में बिल्ली चली गई तो चूहा गेहूं के ढेर के पास वापस आया। चींटा मुस्काते हुए बोला, तुम कहां रह गए थे चूहे भाई? मैं कब से तुम्हारी राह देख रहा हूं।
चूहा मुंह लटकाए चुपचाप चला गया। और चींटा सारा बीज ले गया।
2. बन्दर और माली की दोस्ती (Short Story in Hindi for Class 1)
बहुत दिन पहले की बात है। एक फलों के बाग का माली बहुत ही परिश्रम से अपने बाग में काम करता था। इस कारण उसका बाग बहुत सुंदर था।
एक दिन उस माली के मित्र ने आकर उससे कहा, दोस्त शहर में मेला लगा है और आज मेले का अंतिम दिन है। चलो आज हम दोनों मेला घूम आये। माली ने मना करते हुए कहा, मेरे बाग के पेड़ पौधों को पानी कौन देगा?
उसी बाग में एक पेड़ पर एक बंदर भी रहता था, जिसको माली प्यार से बंदरू कहकर बुलाता था। वह माली का बहुत अच्छा दोस्त था। जब बंदर ने दोनों दोस्तों की बातें सुनी तो पेड़ पर से लटकते हुए वह उनसे कहने लगा, मेरे दोस्त तुम मेला घूमने जाओ, मैं तुम्हारे बाग के पेड़ पौधों में पानी डाल दूंगा।
यह सुनकर माली अपने दोस्त के साथ मेला घूमने चला गया।
जैसे ही माली और उसका मित्र मेला घूमने निकले तभी माली के दोस्त बंदरू ने अपने ढेर सारे बंदर दोस्तों को बुलाकर उनको बाग में पानी डालने का काम बताया। तब उसके मित्र बंदरों में से एक बंदर ने पूछा हम हर पौधे में कितना पानी डालें?
माली के दोस्त बंदरू ने कहा मुझे मालूम नहीं और मैं पूछना भी भूल गया। शायद जितना बड़ा पौधा है, उतना ही उसमें पानी डलेगा, क्योंकि पौधों की जड़ें पानी पीती हैं। इसलिए छोटी जड़ें थोड़ा पानी पिएंगी और बड़ी जड़ें ज्यादा पानी पिएंगी।
उसकी बात सुनकर उसके दोस्त बंदरों में से एक बंदर ने कहा, पर हमें यह कैसे पता चलेगा कि किस पौधे की जड़ बड़ी है और किसकी छोटी?
माली के दोस्त बंदरू ने कहा, हमें सब पौधों को उखाड़कर उनकी जड़ों की नाप देखनी होगी। अतः सब बंदर सारे पेड़ पौधे उखाड़ उखाड़कर उनकी जड़ों की नाप को देखकर पानी देने लगे।
जब शाम को माली लौटा तो उसे अपनी मूर्खता पर बहुत अधिक क्रोध आया। उसने एक जानवर की बात कैसे मान ली थी कि बंदरों उसके परिश्रम से तैयार किए गए सुंदर बाग के पौधों में पानी डाल देगा।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बिना विचारे जो करे वह पीछे पछताए।
3. चीकू घर आया (Short Moral Stories in Hindi for Class 1)
शाम का समय था। कबीर और विजय खेल के मैदान से अपने घर लौट रहे थे तभी उन दोनो को सड़क के किनारे एक नन्हा सा पिल्ला बैठा दिखा। पिल्ले को चोट लगी थी। उन्हें देख कर पिल्ला कूं कूं करने लगा। कबीर ने उसे गोद में उठा लिया।
कबीर बोला, देख विजय! इसके पैर में चोट लगी है, इसे घर ले चलते हैं। विजय बोला, हां हां भैया, चलो।
इस तरह दोनों पिल्ले को लेकर घर पहुंचे। जब वे दोनो अपने घर पहुंचे तब मां बोली, अरे कबीर यह किसे ले आए हो? कबीर ने पिल्ले को मां की गोद में दे दिया और उसने कहा, मां इसे चोट लगी है। किसी ने इसके पैर में चोट मारी है।
उसके बाद कबीर भीतर जाकर दवा ले आया और विजय साफ पानी लाया। फिर मां ने पिल्ले की चोट धोकर उस पर दवा लगा दी। मां बोली, तुमलोग इसे संभालो। मैं इसके लिए कटोरे में दूध लाती हूं। पिल्ला कटोरी में से दूध पीने लगा।
फिर कबीर ने मां से कहा, मां, क्या हम इसे अपने घर में रख लें? विजय भी जिद करने लगा। प्लीज मां इसे घर में रख लो ना।
मां मान गई। उसने चौड़ी सी टोकरी लाकर उसमें घास बिछा दी और पिल्ले को उसमें लिटा दिया। वह आराम से सो गया। फिर कबीर मां से बोला, मां, हम इसे किस नाम से बुलाएंगे? विजय झट से बोला, चीकू।
मां ने कहा अच्छा है, चलो अब तुम दोनो भी हाथ मुंह धोकर खाना खा लो।
कुछ ही दिनों में चीकू की चोट ठीक हो गई। वह दौड़ने भागने लगा। कबीर और विजय उसके साथ खूब खेलते। चीकू को घर मिल गया था और विजय तथा कबीर को एक नया दोस्त। चीकू हमेशा इनके साथ ही रहता और खेलता। विजय और कबीर से जो भी झगड़ता, चीकू उसे भौंककर भगा देता।
4. प्यासा कौवा (Short Hindi Story for Class 1)
एक बार एक कौवा बहुत प्यासा था। वह पानी की खोज में इधर उधर घूमने लगा। अचानक उसने घर के पास एक घड़ा देखा। घड़े में पानी बहुत कम था। कौवा अपने चोंच से पानी पीने की कोशिश करने लगा। मगर उसकी चोंच में पानी की एक बूंद भी नहीं आ रही थी।
थोड़ी देर सोचने के बाद उसे एक उपाय सूझा। उसने घड़े का आस पास पड़े कुछ कंकड़ देखे और उन्हें अपने चोंच से उठाकर एक एक करके घड़े के अंदर डालने लगा। जिससे पानी खुद ही धीरे धीरे ऊपर आ गया और कौवे ने अपनी प्यास बुझाई।
फिर मटका का पानी पीकर कौवा वहाँ से फुर्र करके उड़ गया।
5. नकलची गधा (Beginner Hindi Short Stories for Class 1)
एक गधा अपनी पीठ पर नमक का बोझ लिए जा रहा था। बोझ भारी था और वह बहुत परेशान था। एक दूसरा गधा रुई का बोझ लिए उसी रास्ते से जा रहा था। वह भी बोझ से दबा जा रहा था।
रास्ते में एक छोटी सी नदी मिली। नमक के बोझ वाला गधा पानी में कूद गया जिससे नमक पानी में गलकर बह गया और उसका बोझ हल्का हो गया और वह आनंद से चलने लगा।
रुई के बोझ वाले गधे ने सोचा कि मैं भी वैसा ही करूं तो मेरा बोझ भी हल्का हो जाएगा। ऐसा सोचकर वह भी पानी में कूद गया। लेकिन पानी से भीग कर रुई और भी भारी हो गई। गधा पानी से बाहर निकल ही नहीं पाया और वह वहीं डूब गया।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें बिना सोचे समझे नकल नहीं करनी चाहिये। नकल करने का फल बुरा ही होता है।
6. सोनपरी (Bedtime Stories for Kids in Hindi)
विराट एक अच्छा लड़का था। उसके माता पिता उसे बहुत प्यार करते थे। विराट भी उनकी हर बात मानता था।
एक बार उसके माता पिता किसी कार्यवश कहीं बाहर गए। वे शाम तक वापस नहीं आए। विराट घर पर अकेला था। अंधेरा हो गया। वह डर गया और जोर जोर से रोने लगा।
उसके रोने की आवाज वहां से गुजर रही सोनपरी ने सुनी। वह उसके पास गई और उसे चुप कराया। विराट उदास था तो परी ने उसे खुश करने के लिए अपनी जादू की छड़ी निकाली और घुमाने लगी। देखते ही देखते वहां चॉकलेट, केक, पिज्जा, बर्गर आ गया। यह देखकर विराट बहुत खुश हुआ। उसने बड़े मजे से सब चीजें खाई।
तभी दरवाजे की घंटी बजी। दरवाजे पर विराट के माता पिता आ गए थे। परी ने विराट से दोबारा मिलने का वायदा किया और परीलोक चली गई। विराट ने दरवाजा खोला। वह बहुत खुश था। उसने सब बातें अपने माता पिता को बताई। वे भी बहुत खुश हुए।
7. सारस और लोमड़ी (Hindi Moral Stories for Class 1 Kids)
किसी जंगल में एक सारस और लोमड़ी रहते थे। धीरे धीरे उन दोनों में मित्रता हो गई। लोमड़ी बहुत चालाक थी पर सारस बहुत सीधा था। एक दिन लोमड़ी ने सारस से कहा, मित्र कल तुम्हें मेरे घर पर भोजन करना है। सारस ने उसका निमंत्रण स्वीकार कर लिया।
अगले दिन सारस लोमड़ी के घर पहुंचा। लोमड़ी ने खीर बनाई थी और उसे दो फैली थालियों में परोसा था। दोनों मित्र खीर खाने बैठे। लोमड़ी थोड़ी ही देर में खीर चट कर गई परन्तु बेचारा सारस अपनी लम्बी चोंच से खीर न आ सका और भूखा ही रह गया।
उसने मन ही मन में लोमड़ी से अपने अपमान का बदला लेने का निश्चय किया।
कुछ दिनों के बाद एक दिन सारस ने लोमड़ी से कहा, बहन कल तुम हमारे घर खाने पर आना। लोमड़ी ने खुशी खुशी उसका निमंत्रण स्वीकार कर लिया और अगले ही दिन उसके घर पहुँच गई।
सारस ने खीर बनाई और दो लम्बी गर्दन वाले बर्तनों में परोसी। सारस अपनी लंबी चोंच से खीर साफ कर गया, लेकिन लोमड़ी न खा सकी और भूखी रह गई। वह अपने पिछले व्यवहार पर बहुत शर्मिंदा हुई।
8. चींटी और कबूतर की कहानी (Night Story for Kids in Hindi)
एक समय की बात है। पेड़ पर से एक चींटी तालाब में गिर गई। एक कबूतर ने उसे अपना जीवन बचाने के लिए जीतोड़ कोशिश करते हुए देखा। उसने एक पत्ते को तोड़ा। और चींटी के पास फेंक दिया। चींटी झट से पत्ते पर चढ़ गई और बड़ी कृतज्ञता भरी नजरों से उसने कबूतर का धन्यवाद किया।
कुछ सप्ताह बाद की बात है। एक बहेलिया जंगल में आया। बहेलियों का तो काम ही होता है पक्षियों को पकड़ना। उसने कुछ दाने जमीन पर फैंके और उस पर अपना जाल बिछा दिया। वह चुपचाप किसी पक्षी के जाल में फंसने का इंतजार कर रहा था।
चीटी वहीं कहीं से गुजर रही थी। उसने जब वह सारी तैयारी देखी तो क्या देखती है कि वही कबूतर जिसने उसकी जान बचाई थी, उड़कर उसी जाल में फंसने के लिए धीरे धीरे नीचे उतर रहा था।
चीटी ने एकदम आगे बढ़ बहेलिये के पैर पर इतनी बुरी तरह काट दिया कि बहेलिये के मुंह से चीख निकल गई। तेरी ऐसी की तैसी। हाय! ओह परमात्मा!
कबूतर ने एक दम देखा कि शोर किधर से आ रहा है और बहेलिए को देखते ही सब कुछ उसकी समझ में आ गया। वह दूसरी दिशा में उड़ गया और उसकी जान बच गई। चीटी भी अपने काम पर चल दी। तभी तो कहते हैं कर भला सो हो भला।
9. टोपीवाला और नकलची बन्दर (Very Short Story for Class 1 Kids in Hindi)
एक समय की बात है। सड़क के किनारे एक वृक्ष पर बहुत से बंदर रहते थे। गर्मी का दिन था। वहां से एक थका हारा टोपी बेचनेवाला जा रहा था। पेड़ की घनी छाया देखकर उसने टोपियों की गठरी वहीं रख दी और आराम करने लगा। थकावट के कारण उसे नींद आ गई।
जब उसकी आंखें खुली तो उसने अपनी गठरी को खाली पाया। वह बहुत हैरान हुआ। उसने इधर उधर देखा। कुछ देर बाद उसकी नजर पेड़ पर बैठे हुए बंदरों पर गई। बंदरों ने टोपीवाले की सारी टोपियां अपने सिरों पर पहन रखी थीं।
उसने बंदरों को डराया धमकाया लेकिन बंदरों ने टोपियाँ नहीं दी। तब टोपीवाले ने उपाय से काम लिया।
उसने अपनी टोपी सर से उतारकर नीचे फेंक दी। यह देखकर नकलची बंदरों ने भी अपनी टोपियाँ सिरों से उतारकर नीचे फेंक दी। टोपीवाले ने अपनी सारी टोपियां इकट्ठी की और वहां से चल दिया।
10. ईमानदारी (Bed Time Short Story in Hindi for Kids)
एक दिन सूरज पाठशाला जा रहा था। पाठशाला जाते हुये रास्ते पर उसे कुछ रुपये गिरे हुए मिले। सूरज वे रुपये लेकर सीधे अपने स्कूल के प्रधानाचार्य के कमरे में गया। उसने उन्हें सारी घटना बताते हुए वे रुपये दे दिए।
प्रधानाचार्य ने जब उन रुपयों के मालिक का पता लगाया तो उन्हें पता चला कि वे रुपये एक निर्धन बालक के थे। वह स्कूल की फीस जमा करवाने के लिए रुपये लेकर आया था।
प्रधानाचार्य ने सबके सामने सूरज की ईमानदारी की तारीफ की तथा सभी को सूरज जैसा बनने की सलाह देते हुए कहा ईमानदारी सबसे बड़ा गुण है। सदा ईमानदार बनो।
11. मूर्ख कछुआ (Short Moral Story in Hindi for Kids of Class 1)
एक तालाब में एक कछुआ और दो हंस रहते थे। वे तीनों बहुत अच्छे मित्र थे। गर्मी का दिन था, तालाब का पानी धीरे धीरे सूखने लगा था। तीनों किसी दूसरे तालाब में जाकर रहना चाहते थे। परंतु समस्या यह थी कि कछुआ उनके साथ कैसे जाएगा।
तभी दोनों हंसों ने एक उपाय सोचा। दोनों हंसों ने एक लकड़ी के टुकड़े को अपने चोंच से एक एक तरफ से तथा कछुए ने बीच से पकड़ लिया।
उड़ने से पहले दोनों हंसों ने कछुए से कहा, तुम बहुत बोलते हो। रास्ते में यदि तुम अपना मुंह खोलोगे तो नीचे गिर जाओगे। इसलिए तुम कुछ मत बोलना। यह कहकर दोनों हंस उड़ने लगे।
उड़ते हुए कछुए ने देखा कि नीचे गांव मे कुछ लोग उस पर हंस रहे हैं। वह उन्हें डांटकर सबक सिखाना चाहता था। बिना सोचे समझे उसने जैसे ही बोलने के लिए अपना मुंह खोला, धड़ाम से नीचे गिर पड़ा। नीचे गिरते ही उसकी मृत्यु हो गई।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें सोच समझकर काम करना चाहिए।
12. चिड़िया और चींटी (Moral Stories for Childrens in Hindi)
एक चिड़िया और एक चींटी में बहुत मित्रता थी। चिड़िया बहुत आलसी थी लेकिन चींटी अपना सब काम समय से करती और दिन रात मेहनत करती थी। बरसात का मौसम आने वाला था। चीटी ने दिन रात मेहनत करके ढेर सारा भोजन एकत्र कर लिया।
चीटी ने चिड़िया से कहा, बहन बरसात का मौसम आने वाला है। तुम अपने और बच्चों के लिए भोजन एकत्र कर लो, नहीं तो तुम्हें परेशानी होगी। चिड़िया ने इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया।
बरसात आते ही दिन रात पानी बरसने लगा। चिड़िया अपने घोसले से बाहर न निकल सकी। उसके बच्चे भूख से रोने लगे। यह देखकर चींटी को दया आ गई। उसने चिड़िया को कहा मेरे बिल में से कुछ खाना तुम ले जा सकती हो।
चींटी ने चिड़िया को समझाया, बहन, अगर तुमने मेरी बात मान ली होती तो आज तुम्हें और तुम्हारे बच्चों को भूखा नहीं रहना पड़ता। चिड़िया ने समय का महत्व समझते हुए चींटी से कहा, मैं आज से आलस नहीं करूंगी और समय का सदैव ध्यान रखूंगी।
13. बंदर और बिल्लियाँ (Hindi Story with Moral for Class 1 Kids)
दो बिल्लियाँ थी। एक दिन उन्हें एक रोटी मिली। रोटी को खाने के लिए वे आपस में लड़ने लगी। दोनों उसे अकेला खाना चाहती थी। झगड़े को सुलझाने के लिए दोनों एक बंदर के पास गई। वह बंदर बहुत चालाक था।
उसने रोटी के दो टुकड़े कर दिए। उसने एक टुकड़े को बड़ा और दूसरे को छोटा कह कर वह उनमें से बड़े टुकड़े को खा गया। उसने बचे हुए टुकड़े के दोबारा दो टुकड़े किए। उसने फिर से बड़ा टुकड़ा खा लिया। इस तरह वह पूरी रोटी खा गया।
दोनों बिल्लियां यह देखकर हैरान हो गई। वे पछताने लगी। वे बंदर की चालाकी समझ गई। उन्होंने आगे से आपस में झगड़ा नहीं करने का फैसला किया।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी आपस में नहीं झगड़ना चाहिए।
14. बकरी और भेड़िया (Short Story for Class 1 Kids in Hindi)
एक मेमना अपनी मां के साथ अपनी नानी के घर जा रहा था। रास्ते में जंगल था। मेमने ने कहा, मां जंगल में तो भेड़िया होगा, वह हमें खा जाएगा। बकरी बोली, हां होगा। तो बेटा हमें डरना नहीं चाहिए। मुसीबत के समय हिम्मत और समझदारी से काम लेना चाहिए।
थोड़ा आगे चलकर मेमना बोला मां मुझे प्यास लगी है। बकरी ने कहा प्यास तो मुझे भी लगी है। यहां पास में ही नदी है। चलो वहां चलकर पानी पीते हैं। बकरी और मेमने ने नदी में पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई।
वे पानी पीकर जैसे ही मुड़े, पीछे भेड़िया खड़ा मुस्कुरा रहा था। वह बोला, भाई ये हुआ ना बात, आज तो भोजन और पानी दोनों ही सामने है।
नन्हा मेमना डरकर मां के पीछे छिप गया। बकरी नहीं डरी और बोली, भेड़िये जी, हमें खाने से पहले आप अपना मुंह तो धो लो। देखिए तो कितना गंदा है। भेड़िया बोला, अरे बकरी बातें न बना। मुझे पता है मेरा मुंह बिल्कुल साफ है।
तभी बकरी के पीछे से मेमना बोला, मां ठीक कह रही है आपका मुंह बहुत गंदा है। गंदे मुंह से खाने से आप बीमार पड़ जाओगे। इसलिए पहले मुंह धो लो। भेड़िये ने सोचा, बकरी तो झूठ बोल सकती है पर यह बकरी का बच्चा तो सच ही कह रहा है। मैं अपना मुंह धो लेता हूं।
भेड़िये ने कहा, अरे बकरी! तू यही रूक, मैं मुंह धोकर आता हूं। तभी बकरी बोली, मुझे पता है नदी में साफ पानी कहां है? चलो मैं तुम्हें वहां ले चलती हूं। भेडिया बकरी के साथ चल दिया।
बकरी भेड़िये को वहां ले गई, जहां नदी में पानी गहरा था। भेड़िया नदी के पानी में झुककर अपना मुंह धोने लगा। तभी बकरी ने अपना पूरा जोर लगाकर भेड़िये को नदी में धक्का मारा। भेड़िया नदी के गहरे पानी में जा गिरा।
बकरी ने अपने मेमने के साथ तेज भागना शुरू किया। अपनी नानी के घर पहुँचकर मेमने और बकरी ने चैन की सांस ली।
15. दो बकरी (Class 1 Kids Moral Story in Hindi)
एक गांव के पास एक नदी थी जिस पर बहुत ही सकरा पुल था। एक दिन एक बकरी नदी के पास चारा चर रही थी तो उसने नदी के उस पार जाकर चारा चरने का सोंचा और वह उस पुल को पार कर रही थी।
जैसे ही वह पुल के बीच में पहुंची, उसे पुल पर एक और बकरी मिली। पहली बकरी ने कहा, वापस जाओ। यहां हम दोनों के लिए कोई जगह नहीं है। दूसरी बकरी ने कहा, मैं क्यो जाऊ, तुम वापस जाओ। इस तरह दोनों ही बकरियां लड़ने को उतारू हो गई।
तभी दूसरी बकरी ने कहा, अगर हम लड़े तो हम दोनों ही नदी में गिर जाएंगे। मेरे पास एक उपाय है। मैं बैठ जाती हूं और तुम मेरे ऊपर से चली जाओ। इस पर बुद्धिमान बकरी बैठ गई और दूसरी बकरी उसके ऊपर से कूदकर पुल पार चली गई।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि नम्रता से सभी काम सफल होते हैं।
तो दोस्तों, आपको यह Hindi Story for Class 1 Kidsi कैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताएं क्योंकि आपका विचार हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। और साथ ही इस पोस्ट को आप अपने दोस्तों को भी शेयर कीजियेगा।
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