Top 10 Moral Stories In Hindi For Class 5: नैतिक कहानियाँ

नैतिक कहानियाँ बच्चों की कल्पनाशक्ति को बढ़ावा देकर उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाने का एक मजेदार और प्रभावी तरीका हैं। ये नैतिक कहानियाँ बच्चों को जीवन में सही और गलत का भेद समझाते हैं और उनके चरित्र निर्माण में मदद करती हैं। 

इसी को ध्यान में रखते हुये इस ब्लॉग पोस्ट Moral Stories In Hindi For Class 5 में, हम कक्षा 5 के बच्चों के लिए विभिन्न रोचक और शिक्षाप्रद कहानियाँ लेकर आये हैं जिनमें मेहनत का फल, माली काका, रामू की मेहनत, बोलने वाली गुफा और अनुपयोगी मित्र जैसी प्रेरणादायक कहानियाँ शामिल हैं। 

हर कहानी में छिपा नैतिक और शिक्षा बच्चों को मनोरंजन के साथ-साथ महत्वपूर्ण जीवन पाठ सिखायेगी। तो आइए, इन शिक्षाप्रद कहानियों (story in hindi with moral) के माध्यम से बच्चों के मन में नैतिक मूल्यों की नींव मजबूत करें और उन्हें एक बेहतर इंसान बनने की दिशा में प्रेरित करें।

Top 10 Moral Stories in Hindi for Class 5: बच्चों की नैतिक कहानियाँ

तो दोस्तों, यह रहे 10 प्यारी और शिक्षाप्रद कहानियाँ (top 10 moral stories in hindi) जो आपके बच्चों को मनोरंजन के साथ साथ ईमानदारी, मेहनत, एकता, और सहयोग जैसे मूल्य सिखायेगी।

1. मेहनत का फल (Moral Stories in Hindi for Class 5)

मेहनत का फल (Moral Stories in Hindi for Class 5)

दो दोस्त थे संजय और मनोज। दोनों बेरोजगार थे। उन्होंने अपने परिचित गुरुजी से अपनी परेशानी बताई और कहा गुरुजी हमें कुछ रुपये दीजिए जिससे हम कुछ काम धंधा शुरू कर सकें। गुरुजी ने दोनों दोस्तों को एक ₹1,000 दिए। साथ ही यह कहा कि एक साल के अंदर तुम्हें इन रुपयों को लौटाना होगा। 

दोनों ने गुरुजी की बात मान ली। फिर वे रुपए लेकर चल पड़े। रास्ते में संजय ने कहा, हमें इन रुपयों से कोई अच्छा काम शुरू करना चाहिए। पर मनोज ने कहा, नहीं, अब हम कुछ दिन अच्छे स्थानों पर घूमने जाएंगे, मौज करेंगे। 

एक साल बीत जाने के बाद दोनों दोस्त गुरुजी के पास पहुंचे। गुरुजी ने पहले मनोज से पूछा, तुमने रुपयों का क्या किया? क्या लौटाने के लिए रकम लाए हो? मनोज ने मुंह लटकाकर जवाब दिया, गुरुजी! किसी ने धोखा देकर वे रुपए ठग लिए। 

फिर उन्होंने संजय से पूछा, तुम भी खाली हाथ आए हो क्या? संजय ने मुस्कुराकर जवाब दिया, नहीं गुरुजी, ये लीजिए आपके ₹1,000 और अतिरिक्त ₹1,000। गुरुजी ने पूछा तुम इतने रुपए कैसे कमा लाए? क्या तुमने किसी को धोखा दिया है? 

संजय बोला, जी नहीं। मैंने तो अपनी सूझबूझ और मेहनत से रुपये कमाए हैं। एक किसान को परेशान देखकर मैंने उसके सारे फल खरीद लिए। फिर उन्हें शहर में जाकर बेच दिया। इसके बाद वह प्रतिदिन मुझे फल लाकर देता और मैं उन्हें बेच देता। कुछ दिनों के बाद मैंने शहर में दुकान ले ली और फलों का कारोबार शुरू किया। 

इतना कहकर उसने गुरुजी को मदद करने के लिए धन्यवाद दिया और अतिरिक्त रुपए किसी जरूरतमंद को देने के लिए रखने का आग्रह किया। 

गुरुजी संजय से बहुत खुश हुए। उन्होंने मनोज से कहा, अगर तुम भी समझदारी तथा मेहनत से काम करते तो सफल हो सकते थे। संजय ने कहा, अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं है। समय का सम्मान करो और श्रम का महत्व समझो। सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी।

कहानी की सीख (Moral of the Story)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि समझदारी और मेहनत से ही सफलता प्राप्त होती है। बिना मेहनत किए और समय का सम्मान न करते हुए केवल मौज-मस्ती करने से जीवन में असफलता ही हाथ लगती है। हमें मिले अवसरों का सही उपयोग करके ही जीवन में आगे बढ़ा जा सकता है।


2. माली काका की कहानी (Short Moral Story in Hindi for Class 5)

माली काका की कहानी (Short Moral Story in Hindi for Class 5)

एक थे माली काका। बगीचे में पौधा लगा रहे थे। उसी समय उस नगर का राजा उधर से जा रहा था। राजा भेष बदलकर जनता का हाल जानने निकला था। 

राजा ने देखा कि माली काका ने बड़ी लगन से पौधा लगाया। वह बूढ़े हो चले थे, फिर भी पौधा लगा रहे थे। यह देखकर राजा को आश्चर्य हुआ। मन ही मन वह सोचने लगा। कब यह पौधा बड़ा होगा, कब यह फल देगा? जब फल देगा तब तक क्या माली जिन्दा रहेगा? 

राजा माली काका के पास पहुँचा और उनसे पूछा। तुम किस चीज का पौधा लगा रहे हो? माली काका ने जवाब दिया नारियल का। राजा ने पूछा, इसमें फल कब लगेंगे? माली काका ने छोटा सा उत्तर दिया, 15 वर्षों के बाद। 

राजा ने फिर पूछा, क्या तुम इतने दिनों तक जीवित रह पाओगे? माली काका ने जवाब दिया, नहीं, लेकिन मेरे बेटे बेटियां और नाती पोते तो इसके फल खाएंगे। 

राजा कुछ और पूछता उसके पहले ही माली काका ने हंसकर कहा, अरे भाई! मैं भी तो अब तक अपने बाप दादा के लगाए पेड़ों के फल खा रहा हूं। वह देखो वह जो अखरोट का पेड़ है, उसे मेरे दादाजी ने लगाया था। 

राजा मन ही मन प्रसन्न होकर लौट गया। अगले दिन उसने माली काका को दरबार में बुलाया और ढेर सारे इनाम दिए। बच्चों जो दूसरों की भलाई के बारे में सोचता है, वह महान होता है।

कहानी की सीख (Moral of the Story)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दूसरों की भलाई और भविष्य की पीढ़ियों के लिए कार्य करना ही सच्ची महानता है। जो अपने कार्यों का लाभ सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए सोचता है, वह निःस्वार्थ भाव से काम करता है और वास्तविक आदर का पात्र बनता है।


3. रामू की मेहनत (Hindi Story for Class 5 with Moral)

रामू की मेहनत (Hindi Story for Class 5 with Moral)

यह कहानी एक छोटे से गांव में रहने वाले एक गरीब किसान की है, जिसका नाम रामू था। रामू के पास बहुत कम जमीन थी और उसी पर वह खेती करके अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करता था। 

एक समय की बात है, गांव में भयंकर सूखा पड़ा। गांवों की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई। रामू बहुत हताश हो गया था। उसने सोचा कि अब उसका परिवार कैसे जीवित रहेगा। एक दिन उसने तय किया कि वह हार नहीं मानेगा और किसी भी तरह अपने परिवार के लिए कुछ करेगा। 

उसने अपने गांव के बाहर काम की तलाश में जाने का फैसला किया। रामू ने कई दिनों तक गांव गांव घूमकर काम ढूंढा, लेकिन कहीं भी उसे काम नहीं मिला। वह एक बड़े शहर पहुंचा, जहां उसे एक निर्माण स्थल पर मजदूरी का काम मिल गया। वह दिन रात मेहनत करने लगा और जो भी पैसे कमाए वह अपने परिवार को भेजने लगा। 

धीरे धीरे रामू ने अपने मेहनत और ईमानदारी से मालिक का दिल जीत लिया। मालिक ने उसकी मेहनत और लगन देखकर उसे निर्माण स्थल का सुपरवाइजर बना दिया। रामू ने इस जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी से निभाया और कुछ ही सालों में उसने अच्छी खासी बचत कर ली। 

अब रामू ने सोचा कि वह अपने गांव वापस जाकर अपनी खेती को फिर से शुरू करेगा। उसने अपने जमा पैसे से नई तकनीक और बेहतर बीज खरीदे और अपने खेतों को फिर से हरा भरा कर दिया। उसकी मेहनत रंग लाई और इस बार उसकी फसल बहुत अच्छी हुई। 

रामू ने अपने गांव के दूसरे किसानों को भी नई तकनीक सिखाई और सबको प्रेरित किया। कुछ ही सालों में रामू का गांव फिर से खुशहाल हो गया। रामू की मेहनत और निष्ठा ने न केवल उसके परिवार को बल्कि पूरे गांव को भी गरीबी से बाहर निकाला। 

कहानी की सीख (Moral of the Story)

यह कहानी हमें सिखाती है कि मुश्किलें चाहे जितनी भी बड़ी क्यों न हो, अगर हम हार न मानें और पूरी मेहनत और ईमानदारी से काम करें तो सफलता अवश्य मिलती है।


4. प्रकृति हिंदी नैतिक कहानी (Kids Story in Hindi with Moral)

प्रकृति हिंदी नैतिक कहानी (Kids Story in Hindi with Moral)

एक बार की बात है। एक शहर में रोहन नाम का एक आदमी रहता था। रोहन के घर के पीछे एक बहुत बड़ा बगीचा था। उस बगीचे में बहुत से फूल, पौधे और सेब का एक बड़ा पेड़ था। रोहन ने अपना बचपन उस पेड़ के पास खेलते हुए बिताया है। वह पेट से स्वादिष्ट सेब खाता था। 

जैसे जैसे रुत बीती, पेड़ बूढ़ा होने लगा। रोहन भी बूढा होने लगा। फिर उस पेड ने सेब देना छोड दिया। रोहन ने उस पेड़ को काटने का सोचा। उसने सोचा इस पेड़ से मिली लकड़ी से वह अपने घर के लिए पलंग बनाएगा। इस पेड़ ने रोहन को खूब सी यादें दी थी। पर यह सब भूलकर उसने उसे काटने का सोचा। 

वो पेड़ खूब सारे जानवरों का घर था जैसे पंछी, गिलहरी और कीड़े मकोड़े। ये सभी पेड़ के पास आकर आराम करते थे। इन सबको जब पता चला। ये सब रोहन की ओर भागे गए। रोहन के पास जाकर बोले, ये पेड़ मत काटो। तुम्हारे बचपन में हम सब तुम्हारे साथ इस पेड़ के किनारे खेला करते थे। तुम्हारी बहुत सी यादें इस पेड़ के साथ जुड़ी हैं। ये हम सबका घर है तो, मगर इसे काट दोगे तो हमारा रहने का कोई ठिकाना नहीं रहेगा। 

रोहन ने किसी की न सुनी। उस पेड़ पर कुछ मधुमक्खियां भी रहती थीं। रोहन ने छत्ते से थोड़ा शहद चखा। शहद चखते ही उसे अपना बचपन याद आ गया। बचपन की यादों के बारे में सोचते हुए वह बहुत खुश हुआ। इसी तरह यह सेब के पेड़ ने भी उसे स्वादिष्ट फल दिए थे। 

सब जानवर बेकरार हो गए और उस पेड़ को बचाना चाहते थे। मधुमक्खी बोली, मैं तुम्हें शहद दूंगी। गिलहरी बोली, मैं तुम्हें अनाज दूंगी। सारे पंछी चिल्लाए, हम तुम्हारे लिए रोज गाना गाएंगे। 

यह सब सुनकर रोहन को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसे समझ आया कि यह पेड़ कई प्यारे जानवरों का घर है। जल्द ही उसने कहा, मैं ये पेड़ कभी नहीं काटूंगा। मुझे अपनी गलती का पछतावा है। तुम सब यहां खुशी से रहो। सभी जानवर बहुत खुश हुए और उन्होंने मधुमक्खियों को शुक्रिया कहा। 

तभी से सभी जानवर, पंछी, कीड़े खुशी से साथ रहते थे। रोहन कभी कभी उनसे मिलने जाता है और उन्हें खाना भी देता है।

कहानी की सीख (Moral of the Story)

यह कहानी हमें सिखाती है कि प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी को समझना और उसका संरक्षण करना आवश्यक है। पेड़ और वन्य जीव हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं, जिनके बिना हमारा अस्तित्व संभव नहीं है। इसलिए हमें प्रकृति की महत्वता को समझना चाहिए और उसे बचाए रखना चाहिए।


5. हाथी और बकरी की हिंदी कहानी (Story for Kids in Hindi with Moral)

हाथी और बकरी की हिंदी कहानी (Story for Kids in Hindi with Moral)

बहुत समय पहले की बात है। एक हरे भरे जंगल में एक छोटी बकरी और एक बड़ा हाथी रहते थे। बकरी अपने छोटे कद और कोमल स्वभाव के कारण जंगल के अन्य जानवरों से अलग रहती थी। वहीं हाथी अपने विशाल आकार और बल के लिए प्रसिद्ध था। 

एक दिन बकरी जंगल में चर रही थी। वहां स्वादिष्ट हरी घास का आनंद ले रही थी। तभी उसकी नजर एक बड़े गड्ढे पर पड़ी। उसने देखा कि एक छोटा खरगोश गड्ढे में गिर गया था और बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था। बकरी ने तुरंत मदद का सोचा और अपने छोटे पैरों के साथ गड्ढे के किनारे पहुंच गई। 

उसने अपने छोटे छोटे सींगों से खरगोश को बाहर खींचने की कोशिश की, लेकिन उसकी ताकत पर्याप्त नहीं थी। बकरी ने सोचा मुझे हाथी भैया से मदद मांगनी चाहिए। वह इतने बड़े और ताकतवर हैं, वह निश्चित ही इस गड्ढे से खरगोश को निकाल सकते हैं। 

बकरी तेजी से हाथी के पास गई और अपनी पूरी बात बताई। हाथी ने उसकी बात सुनी और बिना समय गवाएं बकरी के साथ गड्ढे की ओर चल पड़ा। गड्ढे के पास पहुंचकर हाथी ने अपने लंबे सूंड से खरगोश को पकड़ लिया और धीरे धीरे उसे बाहर खींच लिया। 

खरगोश बहुत खुश हुआ और उसने हाथी और बकरी का धन्यवाद किया। हाथी ने मुस्कुराते हुए कहा बकरी बहन, तुम्हारे बिना मैं यह नहीं कर पाता। तुमने जो मदद की पहल की, वही सबसे महत्वपूर्ण है। बकरी ने भी हाथी का आभार व्यक्त किया और कहा भैया आपके बिना यह संभव नहीं था। 

उस दिन के बाद बकरी और हाथी अच्छे दोस्त बन गए। वे हमेशा एक दूसरे की मदद करते और सभी जानवरों के साथ मिलकर रहते। 

कहानी की सीख (Moral of the Story)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें एक दूसरे की मदद के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए, चाहे हम छोटे हों या बड़े। क्योंकि हर किसी का योगदान महत्वपूर्ण होता है। 


6. लोमड़ी और बत्तख की हिंदी कहानी (Moral Stories for Childrens in Hindi)

लोमड़ी और बत्तख की हिंदी कहानी (Moral Stories for Childrens in Hindi)

एक समय की बात है। एक जंगल के किनारे एक सुंदर झील थी। उस झील में एक बत्तख और उसकी कुछ चूजे रहते थे। बत्तख और उसकी चूजे झील के नीले पानी में तैरते और खिलखिलाते हुए हर दिन बिताते थे। उनकी जिंदगी में कोई चिंता नहीं थी। वे खुश और सुरक्षित महसूस करते थे। 

लेकिन उसी जंगल में ही एक लोमड़ी भी रहती थी। वह लोमड़ी चालाक और भूखी थी। वह हमेशा शिकार की तलाश में रहती थी और उसकी निगाहें झील के पास खेलने वाले बत्तखों पर थी। एक दिन लोमड़ी ने सोचा। अगर मुझे यह बत्तख और उसके चूजे मिल जाएं तो मेरा पेट भर जाएगा। 

एक सुबह जब बत्तख और उसके चूजे झील के किनारे तैरने और खेलने आए। लोमड़ी ने अपना मौका देखा। उसने अपने पैरों की आहट को छिपाते हुए झाड़ियों के पीछे छुपकर धीरे धीरे बत्तख की ओर बढ़ना शुरू किया। 

बत्तख को खतरे की भनक नहीं थी, लेकिन उसकी एक चूजे ने लोमड़ी की चमकती आंखें देख ली। चूजे ने तुरंत अपनी मां को बताया, मां! मां देखो। झाडियों के पीछे लोमड़ी है। बत्तख ने जैसे ही मुड़कर देखा, वह समझ गई कि खतरा कितना नजदीक है। 

उसने जल्दी से अपने चूजों को बुलाया और कहा, चूजों, जल्दी से झील में कूदो और मेरे पीछे पीछे आओ। बत्तख और उसके चूजे झील के गहरे पानी में तैरने लगे। लोमड़ी ने भी छलांग लगाई लेकिन बत्तख ने उसे धोखा देने का एक अच्छा उपाय निकाला। 

उसने अपने चूजों को लेकर तेजी से झील के दूसरी ओर तैरना शुरू किया, जबकि खुद वह लोमड़ी को भ्रमित करने के लिए झील के बीच में तैरती रही। लोमड़ी ने देखा कि बत्तख उससे दूर जा रही है तो उसने और तेजी से तैरने की कोशिश की। लेकिन बत्तख की चालाकी से लोमड़ी थक गई और अंत में वह हिम्मत हारकर किनारे लौट आई। 

बत्तख और उसके चूजे सुरक्षित थे। उन्होंने अपनी जान बचा ली थी। इस घटना के बाद बत्तख ने अपने चूजों को हमेशा सतर्क रहने की सीख दी। उसने उन्हें सिखाया कि जंगल में हमेशा खतरे होते हैं और हमें अपने परिवार की सुरक्षा के लिए हमेशा चौकन्ना रहना चाहिए। 

इस तरह बत्तख और उसके चूजों ने मिलकर अपनी बुद्धिमानी और सतर्कता से लोमड़ी के खतरे से अपनी जान बचाई और खुशी खुशी अपने झील के घर में रहने लगे। और लोमड़ी को भी एक सीख मिली की चालाकी से ज़्यादा ज़रूरी है अपनी मेहनत और ईमानदारी से खाना जुटाना। 

कहानी की सीख (Moral of the Story)

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं अगर हम समझदारी और सूझबूझ से काम लें तो हम हर समस्या का हल निकाल सकते हैं। 


7. बोलने वाली गुफा (Bedtime Moral Stories for Kids in Hindi)

बोलने वाली गुफा (Bedtime Moral Stories for Kids in Hindi)

जंगल में एक शेर रहता था। एक दिन वह शिकार की तलाश में बहुत दूर निकल गया। शाम हो चुकी थी। कोई शिकार हाथ नहीं लगा था। ऊपर से वह थककर चूर हो चुका था। तभी उसे एक गुफा दिखाई पड़ी। वह गुफा के अंदर चला गया। 

गुफा खाली थी इसलिये शेर ने सोचा अवश्य यहां रहने वाला जानवर बाहर गया है। रात होते होते वह गुफा में वापस जरूर आएगा। ऐसा करता हूं तब तक यहीं छुपकर बैठता हूं। जब वह जानवर आएगा तो उसे मारकर खा जाउंगा और अपनी भूख मिटा दूंगा। 

वह गुफा में एक कोने में छुपकर बैठ गया। वह गुफा दक्षिण नामक गीदड़ चाकर की थी। जब वह लौटकर आया और गुफा के पास पहुंचा तो देखा कि शेर के पंजों के निशान उसकी गुफा के अंदर जा रहे हैं, लेकिन बाहर आते हुए पंजों के निशान उसे दिखाई नहीं पड़े। 

वह समझ गया कि उसकी गुफा में कोई शेर गया है। उसे यह भी संदेह था कि वह अब भी अंदर ही बैठा हुआ है। यह पता लगाने की शेर गुफा में बैठा है या नहीं, उसने एक युक्ति निकाली। 

गुफा के द्वार पर खड़ा होकर वह तेज आवाज में बोला, मित्र, मैं वापस आ गया हूं। तुमने कहा था कि मेरे वापस आने पर तुम मेरा स्वागत करोगे, लेकिन तुम तो चुप हो। क्या बात है? तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहे हो? 

जब गीदड़ की आवाज शेर के कानों में पहुंची तो उसने सोचा कि यह गुफा अवश्य गीदड़ के आने पर उसका स्वागत करते हुए कुछ कहती है। शायद मेरे यहां होने के कारण आज यह चुप है। अगर गुफा कुछ न बोली तो कहीं गीदड़ को संदेह न हो जाए और वह वापस न चला जाए। 

इसलिए वह गरजकर बोला आओ मित्र, तुम्हारा स्वागत है, जल्दी अंदर आओ। शेर की गरज सुनकर गीदड़ डर गया। वह उल्टे पैर वहां से भाग गया। इधर शेर बहुत देर तक गीदड़ के अंदर आने की प्रतीक्षा करता रहा, लेकिन सब व्यर्थ रहा। 

अंत में उसे समझ आ गया कि गीदड़ उसे मूर्ख बनाकर भाग गया है। शेर को अपनी मूर्खता पर बहुत क्रोध आया, किंतु अब वह क्या करता? शिकार उसके हाथ से निकल चुका था। 

कहानी की सीख (Moral of the Story)

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि भविष्य के संकट को भांप कर जो बचने की युक्ति निकाल लें, वह बुद्धिमान होता है।


8. जंगल का सच्चा मित्र (Short Story for Class 5 Kids in Hindi)

जंगल का सच्चा मित्र (Short Story for Class 5 Kids in Hindi)

किसी घने जंगल में एक शेर, एक हाथी और एक लोमड़ी रहते थे। शेर जंगल का राजा था, हाथी सबसे बलवान था और लोमड़ी सबसे चालाक। तीनों में गहरी मित्रता थी और वे हमेशा एक दूसरे की मदद करते थे। 

एक दिन जंगल में सूखा पड़ा। पानी की कमी के कारण सभी जानवर प्यासे हो गए। शेर ने अपने मित्रों से कहा, हमें पानी की तलाश करनी चाहिए, वरना पूरा जंगल सूख जाएगा। 

तीनों मित्र पानी की तलाश में निकल पड़े। बहुत दूर जाने के बाद उन्हें एक छोटी सी नदी मिली। परंतु नदी तक पहुँचने के लिए उन्हें एक खतरनाक घाटी पार करनी थी। लोमड़ी ने कहा, यह घाटी बहुत खतरनाक है। हमें सावधानी से पार करनी होगी। हाथी ने अपने मजबूत पैरों से आगे बढ़कर घाटी पार करने का निर्णय लिया। उसने धीरे धीरे कदम बढ़ाए और सुरक्षित पार कर लिया। शेर ने भी हिम्मत जुटाई और हाथी की सहायता से घाटी पार कर गया। 

अब बारी थी लोमड़ी की। वह छोटी और हल्की थी, लेकिन घाटी की चौड़ाई उसे डराने लगी। हाथी और शेर ने मिलकर एक योजना बनाई। हाथी ने अपनी सूंड को घाटी के एक छोर पर रख दिया और शेर ने अपनी पूँछ को दूसरे छोर पर खींचा। लोमड़ी ने दोनों का सहारा लेकर धीरे धीरे घाटी पार की। 

तीनों ने मिलकर नदी तक पहुंचकर पानी पिया और अपनी प्यास बुझाई। जब वे वापस लौटे तो उन्होंने देखा कि जंगल के अन्य जानवर भी प्यास से बेहाल थे। शेर, हाथी और लोमड़ी ने निर्णय लिया कि वे सभी जानवरों को नदी तक ले जाएंगे। 

हाथी ने अपने मजबूत शरीर का उपयोग कर कई जानवरों को एक साथ घाटी पार कराया। शेर ने अपनी ताकत का उपयोग कर सभी जानवरों को सुरक्षा प्रदान की और लोमड़ी ने अपनी चतुराई से रास्ता दिखाया। इस तरह तीनों मित्रों ने मिलकर पूरे जंगल को पानी दिलाया और सभी जानवरों की जान बचाई। 

सभी जानवरों ने मिलकर शेर, हाथी और लोमड़ी की तारीफ की और उन्हें धन्यवाद कहा। इस घटना के बाद जंगल में सभी जानवरों ने एक दूसरे की मदद करने की कसम खाई। शेर, हाथी और लोमड़ी की दोस्ती और भी गहरी हो गई और वे जंगल के सच्चे मित्र कहलाए। 

कहानी की सीख (Moral of the Story)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची मित्रता और सहयोग से किसी भी कठिनाई का सामना किया जा सकता है।


9. अनुपयोगी मित्र (Short Moral Stories in Hindi for Class 5 with Pictures)

अनुपयोगी मित्र (Short Moral Stories in Hindi for Class 5 with Pictures)

किसी जंगल में एक बन्नी नामक खरगोश रहता था। उसके कई दोस्त थे। उसे अपने दोस्तों पर गर्व था। एक दिन बन्नी खरगोश ने जंगली कुत्तों के भौंकने की आवाज सुनी। वह बहुत डरा हुआ था। उसने मदद मांगने का फैसला किया। 

वह जल्दी से अपने मित्र हिरण के पास गया। उसने कहा, प्रिय मित्र, कुछ जंगली कुत्ते मेरा पीछा कर रहे हैं। क्या तुम अपने नुकीले सींगों से उनका पीछा कर सकते हो? हिरण ने कहा, यह सही है, मैं कर सकता हूं। लेकिन अब मैं व्यस्त हूं। आप भालू से मदद क्यों नहीं मांगते? 

बन्नी खरगोश भालू के पास दौड़ा। मेरे प्यारे दोस्त, आप बहुत मजबूत हैं। कृपया मेरी मदद करें। कुछ जंगली कुत्ते मेरे पीछे हैं। कृपया उन्हें दूर भगाएं। उसने भालू से अनुरोध किया। भालू ने उत्तर दिया, मुझे क्षमा करें, मैं भूखा और थका हुआ हूं। मुझे कुछ भोजन खोजने की जरूरत है। कृपया बंदर से मदद मांगे। 

बेचारा बन्नी बंदर हाथी, बकरी और उसके सभी दोस्तों के पास गया। बन्नी को इस बात का दुख हुआ कि कोई उसकी मदद के लिए तैयार नहीं था। वह समझ गया था कि उसे खुद ही कोई रास्ता निकालना होगा। 

वह एक झाड़ी के नीचे छिप गया। वह बहुत शांत पड़ा रहा। जंगली कुत्तों को बन्नी नहीं मिली। वे अन्य जानवरों का पीछा करते हुए चले गए। बन्नी खरगोश ने सीखा कि उसे अपने अनुपयोगी मित्रों पर निर्भर न रहकर अकेले ही जीवित रहना सीखना होगा। 

कहानी की सीख (Moral of the Story)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दूसरों पर निर्भर रहने से बेहतर है कि आप खुद पर भरोसा करें।


10. अँगूठी चोर और बीरबल की कहानी (Moral Story in Hindi for Kids)

अँगूठी चोर और बीरबल की कहानी (Moral Story in Hindi for Kids)

एक दिन की बात है। बादशाह अकबर के दरबार में बहुत ज्यादा भीड़ थी क्योंकि अकबर को पता चला कि उनकी एक बहुत कीमती हीरे की अंगूठी अचानक ही गायब हो चुकी थी जोकि अभी कुछ ही देर पहले उन्होंने अपनी उंगली में से उतारकर टेबल पर रखी थी। 

जब बीरबल दरबार में आते है तो बादशाह अकबर बहुत ज्यादा दुखी होते हुए अंगूठी वाली बात बीरबल को बताते हैं और यह भी कहाते हिअन कि वह अंगूठी उनकी पिताजी की अमानत थी जिसे वह बहुत प्यार करते थे। तब बीरबल ने बादशाह अकबर से कहा कि महाराज आप बिल्कुल भी चिंता न करें, मैं आपकी वह कीमती अंगूठी जरूर ढूंढ लूंगा। 

थोडी देर बाद बीरबल ने सेनापति को आदेश दिया कि कोई भी आदमी महल से बाहर न जा पाए। यह बात जब अंगूठी चोर को पता चली तो वह बहुत ज्यादा चौंक गया। 

तभी बीरबल को एक तरकीब सूझी और उन्होंने महाराज अकबर से कहा कि महाराज आपकी अंगूठी जिसने चुराई है उसका पता लग चुका है। आपकी अंगूठी इन दरबारियों में बैठे एक ऐसे आदमी के पास है जिसकी दाढ़ी में एक तिनका फंसा हुआ है। उसी ने चुराई आपकी हीरे की अंगूठी। 

तभी जिस दरबारी ने अकबर की अंगूठी चुराई थी, वह अचानक बहुत ज्यादा घबराहट के मारे अपनी दाढ़ी को ध्यान से देखने लगा। तभी बीरबल की नजर उस चोर पर पड़ गई और उसी समय बीरबल ने सैनिकों को तुरंत उसकी तलाशी करने का आदेश दे दिया। 

जब उस आदमी की तलाशी लिया गया तो वह हीरे की अंगूठी उसी के पास ही निकली। उसके बाद उस अंगूठी चोर को बीरबल ने कारागार में डलवा दिया। बादशाह अकबर अपनी अंगूठी को पाकर बहुत खुश हो गए और अकबर ने बीरबल से पूछा कि बीरबल तुम्हें कैसे पता चला कि उसी के पास अंगूठी है? 

बीरबल ने अपनी प्यारी मुस्कान के साथ बादशाह अकबर से कहा, महाराज दाढ़ी में तिनका वाली बात मैंने सबसे झूठ कही थी और जब वह चोर यह सुनकर बहुत ज्यादा घबराता हुआ अपनी दाढ़ी को बार बार देखने लगा, उसी समय मैं समझ गया था कि हो न हो आपकी अंगूठी उसी ने चुराई है। तभी वह पकड़ा भी गया। 

उसकी इस बात पर अकबर बहुत खुश हो गए और फिर उन्होंने बीरबल को ईनाम भी दिया। 

कहानी की सीख (Moral of the Story)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि समझदारी और सूझबूझ से काम करने पर मुश्किल समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। धैर्य और बुद्धिमानी से सोचने पर ही सच्चाई उजागर होती है।


तो दोस्तों, आपको यह Moral Stories in Hindi for Class 5 कैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताएं क्योंकि आपका विचार हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। और साथ ही इस पोस्ट को आप अपने दोस्तों को भी शेयर कीजियेगा।

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Rakesh Dewangan

मेरा नाम राकेश देवांगन है। Hindi Kahani ब्लॉग वेबसाइट पर मेरा उद्देश्य हिंदी में प्रेरक, मजेदार, और नैतिक कहानियों के माध्यम से पाठकों को मनोरंजन और शिक्षित करना है। मेरी कोशिश है कि मैं उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री प्रदान करूँ जो लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए। आपके समर्थन से, मैं अपने इस सफर को और भी रोमांचक और सफल बनाने की उम्मीद करता हूँ।

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