6 Motivational Story In Hindi For Students: मोटिवेशनल कहानी छोटी सी 

विद्यार्थियों के जीवन में कई चुनौतियाँ और कठिनाइयाँ आती हैं, जिससे वे कई बार निराशा के भंवर में फंस जाते हैं। ऐसे में विद्यार्थियों के लिये प्रेरणादायक कहानियां (Motivational Story in Hindi for Students) उनमे एक नयी उम्मीद भरते हैं जिससे वो मुश्किलों का सामना साहस और कड़ी मेहनत से कर सके। 

आज का यह Motivational Story in Hindi for Students ब्लॉग पोस्ट, ऐसी ही विद्यार्थियों के लिये प्रेरणादायक कहानियों का संग्रह है जिनके माध्यम से यह बतलाया गया है कि आप अपने दृढ़ निश्चय और सच्ची लगन से कैसे असंभव को संभव करते हुये सच्ची सफलता को प्राप्त कर सकते हैं।

तो आइए, इन प्रेरक कहानियों (Motivational Story in Hindi) के यात्रा का हिस्सा बनें और जानें कि कड़ी मेहनत और समर्पण से कैसे सफलता प्राप्त की जा सकती है।

6 Motivational Story in Hindi for Students: मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी

  1. एक पेंटर की मोटिवेशनल कहानी (Short Motivational Story for Students in Hindi)
  2. विवेकानंद जी की प्रेरक कहानी (Motivational Story in Hindi for Students)
  3. एक शिक्षक की प्रेरणादायक कहानी (Short Motivational Story for Students in Hindi)
  4. बहता नदी, जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी फॉर स्टूडेंट्स (Motivational Story for Students)
  5. गुरु और शिष्य की मोटिवेशनल स्टोरी (Short Motivational Story in Hindi with Moral)
  6. मौका, विद्यार्थी के लिए प्रेरणादायक कहानी (Short Motivational Story in Hindi)

6 Motivational Story in Hindi for Students: मोटिवेशनल स्टोरी छोटी सी

तो दोस्तों, ये है वो 6 जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी इन हिंदी (Short Motivational Stories for Students in Hindi) जो न केवल आपको प्रेरणा देगी, बल्कि यह आपको अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ने का उत्साह भी देगी।

1. एक पेंटर की मोटिवेशनल कहानी (Short Motivational Story for Students in Hindi)

एक पेंटर की मोटिवेशनल कहानी (Short Motivational Story for Students in Hindi)

यह कहानी है एक ऐसे इंसान की जो रोज पेंटिंग बनाता था और रोज के रोज उसे बाजार में बेचने चला जाता था। वह अपनी एक पेंटिंग को ₹700 में बेचकर आता था और ऐसा करके वह हर महीने ₹21,000 कमा लेता था। उसका गुजारा अच्छे से चल रहा था और ऐसे करते करते उसे कई साल निकल गए। 

अब उनकी उम्र उतनी हो चुकी थी कि पेंटिंग करना उनके लिए मुश्किल हो गया और इसी वजह से पेंटिंग करते वक्त उनके हाथ कांपने लगते थे। उनका एक बेटा था जो अब बड़ा हो चुका था। उसने सोचा कि अपनी इस पेंटिंग के हुनर को अपने बेटे को सिखा दूं। जैसे मुझे अपने पिताजी ने सिखाया था। 

फिर उसने अपने बेटे को पेंटिंग सिखाना शुरू किया और कहा कि बेटा मेरी उम्र हो गई है। अबसे पेंटिंग तू करेगा और पेंटिंग कैसे करनी है मैं तुझे सिखाऊंगा जैसे मुझे मेरे पिताजी अर्थात तेरे दादाजी ने मुझे सिखाया था। फिर उसने अपने बेटे को पेंटिंग सिखाना शुरू किया कि पेंटिंग कैसे होनी चाहिए, उसमें कलर कैसे भरते हैं, कलर मिक्सिंग कैसे करते हैं। पेंटिंग को अच्छे दामों में बेचते कैसे हैं?

जब उसके बेटे ने पेंटिंग बनाना सीख लिया तो उसने अपनी पहली पेंटिंग बनाई और मार्केट में चला गया उसे बेचने के लिए। वह अपनी पेंटिंग को ₹200 में बेच कर घर आया और अपने पिताजी को बताया तो उसके पिताजी बहुत खुश हुए कि उसके बेटे ने अपनी पहली पेंटिंग ₹200 में बेची, लेकिन उसका बेटा खुश नहीं था। 

उसने अपने पिताजी से कहा कि पिताजी आप तो अपनी पेंटिंग को ₹700 में बेच देते थे, लेकिन मेरी पेंटिंग सिर्फ ₹200 में बिकी। मुझे और सिखाओ जिससे मैं पेंटिंग को अच्छे दामों में बेच सकूं। उसके पिताजी ने उसे सिखाया। थोड़ा और सीखने के बाद उसने अपनी दूसरी पेंटिंग बनाई और मार्केट में चला गया उसे बेचने के लिए। 

इस बार पेंटिंग ₹400 में बिकी, लेकिन वह अभी भी खुश नहीं था। उसने पिताजी को बोला कि पिताजी मुझे और सिखाओ। जरूर आपको कुछ ऐसा पता है जो मुझे पता नहीं है। उसके पिताजी ने उसे सिखाया थोड़ा और ट्रेन किया। उसके बाद उसने अपनी तीसरी पेंटिंग बनाई। 

इस बार पेंटिंग ₹600 में बिकी, लेकिन लड़का फिर भी मायूस था। उसने अपने पिताजी को बोला कि पिताजी आपकी पेंटिंग तो ₹700 में बिकती थी। जरूर मेरी पेंटिंग में अभी भी कुछ कमी है। अभी भी आपको पेंटिंग के बारे में कुछ ऐसा पता है जो मुझे पता नहीं है। मुझे थोड़ा और सिखाओ। 

उसके पिताजी ने कहा कि बेटा मायूस मत हो, मैं तुम्हें हमेशा सिखाता रहूंगा और देखना इस बार तुम्हारी पेंटिंग और अच्छे दामों में बिकेगी। थोड़ा और सीखने के बाद उसने अपनी चौथी पेंटिंग बनाई और बेचने के लिए मार्केट चला गया। 

जब वह शाम को घर लौटा तो वह पहली बार बहुत खुश था क्योंकि इस बार उसकी पेंटिंग ₹1,000 में बिकी थी। उसके पिताजी भी बहुत खुश हुए और बोला कि मुझे खुशी हुई कि तुम्हारी पेंटिंग हजारों रुपए में बिकी। 

अब मैं तुम्हें सिखाऊंगा कि पेंटिंग को ₹1,500 में कैसे बेचते हैं। तो बेटे ने कहा पिताजी बस करो, अब आप नहीं सिखा सकते क्योंकि मैं अपनी पेंटिंग को ₹1,000 में बेच कर आया हूं और आपकी पेंटिंग तो कभी ₹700 से ज्यादा की बिकी नहीं और आप मुझे सिखाओगे कि ₹1,500 में पेंटिंग कैसे बेचते हैं!

तो उसके पिताजी ने कहा कि बेटा अब तेरी पेंटिंग हजार रुपए से ज्यादा की कभी नहीं बिक पाएगी क्योंकि अब तेरा सीखना बंद हो गया है। जब मैं अपने पिताजी से सीख रहा था तब वह अपनी पेंटिंग ₹500 में बेच दिया करते थे। एक दिन मैंने पेंटिंग ₹700 की बेची और मैंने भी यही गलती की जो आज तू कर रहा है। 

मैंने भी सीखना बंद कर दिया था और उस दिन के बाद मेरी पेंटिंग कभी ₹700 से ज्यादा की नहीं बिकी क्योंकि मैंने भी अपने पिताजी को यही बोला था और सीखना बंद कर दिया था। 

मेरे अंदर भी अहंकार आ गया था जिसने मुझे कभी आगे नहीं बढ़ने दिया। इसलिए कभी भी सीखना बंद नहीं करना चाहिए। इंसान छोटा हो या बड़ा, बच्चा हो या बुजुर्ग, अगर उनसे कुछ सीखने को मिलता है तो जरूर सीखना चाहिए। 

कहानी का सीख (Moral of the Story)

यह छोटी सी कहानी बताती है कि हमें अपने जीवन में सीखने निरंतर सीखते रहना चाहिये क्योंकि निरंतर सीखते रहना ही सफलता का असली मंत्र है। सीखने की कोई सीमा नहीं होती लेकिन जब हम सीखना बंद कर देते हैं, तो हमारा विकास भी रुक जाता है। 

उम्र, अनुभव, या उपलब्धियों के बावजूद, हर व्यक्ति के पास कुछ नया सिखाने की क्षमता होती है। हमें हमेशा अपने अहंकार को त्यागकर, विनम्रता के साथ ज्ञान अर्जित करने की कोशिश करनी चाहिए। सीखने की यह निरंतर प्रक्रिया ही हमें ऊँचाइयों तक पहुँचाती है।


2. विवेकानंद जी की प्रेरक कहानी (Motivational Story in Hindi for Students)

विवेकानंद जी की प्रेरक कहानी (Motivational Story in Hindi for Students)

एक बार स्वामी विवेकानंद जी अपने आश्रम में आराम कर रहे थे तभी एक व्यक्ति उनके पास आया जोकि बहुत दुखी था और बहुत परेशान था। आते ही स्वामी विवेकानंद जी के चरणों में गिर पड़ा और बोला महाराज मैं अपने जीवन में खूब मेहनत करता हूँ और खूब मन लगाकर काम भी करता हूं। फिर भी आज तक मैं अपने जीवन में सफल नहीं बन पाया। 

उस व्यक्ति की बातें सुनकर अब स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं कि ठीक है आप थोड़ी देर मेरे पालतू कुत्ते को घुमाकर लाइए तब तक मैं आपकी समस्या का समाधान ढूँढता हूं। इतना कहने के बाद वह व्यक्ति कुत्ते को घुमाने के लिए चला गया और फिर जब कुछ समय बीतने के बाद वापस आया तो स्वामी जी उस व्यक्ति से पूछते हैं यह कुत्ता इतना क्यों हांफ रहा है जबकि तुम थोड़े भी थके हुए नहीं लग रहे हो? 

आखिर ऐसा क्या हुआ जो यह कुत्ता इतना थक चुका है?

अब वह व्यक्ति स्वामी विवेकानंद जी को बताता है कि महाराज मैं तो अपने रास्ते पर सीधे चल रहा था, जबकि यह कुत्ता पूरे रास्ते भर इधर से उधर भटकता रहा, भागता रहा और जो कुछ भी देखता वहीं दौड़ा चला जाता जिसके कारण यह इतना थक गया और हांफ रहा है। 

अब स्वामी विवेकानंद जी मुस्कुराते हुए कहते हैं कि बस यही तो तुम्हारे प्रश्नों का जवाब है। तुम्हारी सफलता की मंजिल तुम्हारे सामने ही होती है, लेकिन तुम अपने मंजिल के बजाय इधर उधर भागते हो, जिससे तुम अपने जीवन में कभी सफल नहीं हो पाए। 

यह बात सुनकर वह व्यक्ति समझ गया। उसकी समझ में आ गई यदि सफल होना है तो हमें अपनी मंजिल पर ही ध्यान देना चाहिए। तभी हम अपने जीवन में सफल हो पाएंगे। 

कहानी का सीख (Moral of the Story)

स्वामी विवेकानंद जी की इस छोटी सी कहानी से हमें भी यही प्रेरणा मिलती है कि हमें जो करना है, कुछ भी बनना है, हम उस पर ध्यान नहीं देते हैं और दूसरे क्या कर रहे हैं, उसी को देखकर हम भी करने लगते हैं जिसके कारण हम अपनी सफलता के लक्ष्य के पास होकर भी दूर हो जाते हैं और अपनी मंजिल से भटक जाते हैं। 

इसीलिए जीवन में यदि सफल होना है तो हमें अपने लक्ष्य पर ही ध्यान केंद्रित करना होगा। जब हम अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करेंगे तो निश्चित है कि हमारा जीवन सफल होगा। 


3. एक शिक्षक की प्रेरणादायक कहानी (Motivational Short Story for Students in Hindi)

एक शिक्षक की प्रेरणादायक कहानी ( Motivational Short Story for Students in Hindi)

एक बार एक टीचर अपनी क्लास में आ गए और उन्होंने सभी students के हाथ में एक वाइट कलर का पेपर दे दिया। जब students ने उस पेपर को देखा तो पेपर के बीच में एक ब्लैक कलर का छोटा सा सर्कल बना हुआ था। 

अब टीचर ने सब बच्चों को पूछा कि बच्चों आपको उस पेपर में क्या दिखाई दे रहा है। तो सब बच्चों ने कहा कि पेपर के बीच में एक काला सर्कल बना हुआ है। टीचर ने फिर से वही सवाल पूछा, बच्चो बताओ आपको उस पेपर में क्या दिखाई दे रहा है? बच्चे ने फिर से वही कहा कि पेपर के बीच में एक ब्लैक सर्कल बना हुआ है। टीचर ने फिर से वही सवाल पूछा और बच्चे ने वही जवाब दे दिया। 

करीब 10 से 12 बार बच्चों को पूछा कि बच्चों पेपर में आपको क्या दिखाई दे रहा है। और बच्चों का वही जवाब था कि टीचर पेपर के बीच में एक ब्लैक कलर का सर्कल है। 

फिर टीचर ने पूछा बच्चों मैंने कितनी बार पूछा कि पेपर में तुम्हें क्या दिखाई दिया और तुमने हर बार वही जवाब दिया कि उस पेपर के बीच में एक छोटा सा ब्लैक कलर का सर्कल बनाया हुआ दिखाई दे रहा है। तुमने हर बार उसी छोटे से ब्लैक सर्कल के बारे में बताया। क्या तुम्हें सर्कल के बाहर का इतना बड़ा सफेद पेपर नहीं दिखा?

हमारे जिंदगी में हम वही तो करते हैं। भगवान ने हमें इतनी अच्छी जिंदगी दी है पर हम क्या करते हैं कि कभी कभार हमारी जिंदगी में छोटे मुसीबते आते हैं, तो हम बस उसी problem के बारे में ही सोचते रहते हैं। 

जिंदगी में problems का आना, जिंदगी का हिस्सा है और उससे लडना जीवन जीने की कला है। और जिंदगी में हर problem का एक ही solution है कि उसका डटकर सामना करो।

कहानी का सीख (Moral of the Story)

हमेशा छोटी-छोटी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, जीवन की बड़ी तस्वीर को देखना सीखें। समस्याएँ जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन उनसे लड़कर आगे बढ़ना ही असली कला है। एकाग्र मन से ही लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।


4. बहता नदी – जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी फॉर स्टूडेंट्स (Motivational Story for Students)

बहता नदी - जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी फॉर स्टूडेंट्स (Motivational Story for Students)

एक बार की बात है कि गुरु अपने सभी शिष्यों के साथ नदी में नहाने के लिए गए थे। गुरूजी नदी किनारे जा करके बैठ जाते हैं। तभी सभी शिष्य सोचते हैं कि हमें भी अपने गुरु के अनुसार नदी के किनारे बैठ जाना चाहिए कुछ देर के लिए। 

लेकिन गुरुजी तो निरंतर नदी को ही देख रहे हैं। गुरुजी नदी में उतर ही नहीं रहे हैं। सभी शिष्य थोड़े व्याकुल हो जाते हैं। सुबह से शाम हो गई, गुरुजी नदी में उतर ही नहीं रहे। अब शिष्य सोचते हैं कि गुरुजी क्या कर रहे हैं। गुरुजी नदी में तो उतर ही नहीं रहे, लेकिन गुरुजी के सामने बोले कौन। 

सभी गुरुजी से डरते हैं और गुरुजी के सामने कोई बोल भी नहीं रहा है। सब चुप है, लेकिन एक शिष्य के सब्र का बांध टूट जाता है और वह कहता है कि गुरुजी हम नदी में कब उतरेंगे? आप किसका इंतजार कर रहे हैं? 

तब गुरुजी शिष्य की तरफ देखते हैं और मुस्कराते हैं और फिर कहते हैं कि मैं इंतजार कर रहा हूं कि नदी के जल का बहाव रुक जाए तब मैं इस नदी में उतरूंगा। तभी सभी शिष्य शंका में आ जाते हैं और सभी सोचते हैं कि गुरुजी क्या कर रहे हैं? नदी का बहाव कैसे रुक सकता है?

तभी एक शिष्य कहता है कि गुरुजी आप यह क्या कर रहे हो? इस नदी के जल का बहाव कैसे रुक सकता है? यह तो नामुमकिन है। तभी गुरुजी उस शिष्य की तरफ फिर से मुस्कुराते हैं और कहते हैं, यही है आज की शिक्षा। 

यह जो जल है, इस नदी के जल का जो बहाव बहता ही रहता है, उसी प्रकार व्यक्ति का जीवन है। यह समय जो है किसी के लिए नहीं रुकता है। यह आगे बढ़ता ही रहता है। यह तुम्हारे ऊपर है कि तुम इस नदी के जल के बहाव की तरह आगे बढ़ते रहो या फिर एक तरफ डर करके, हार करके बैठे रहो। 

यह जो नदी है, इसकी जो लहरें हैं, ये सुख और दुख हैं। ये दोनों लहरें जो हैं, ये सुख और दुख बनते रहते हैं और मिटते रहते हैं। जैसे नदी की लहरें बनती रहती हैं और मिटती रहती है। लेकिन तुम इस नदी की लहर नहीं हो बल्कि तुम इस नदी के जल के बहाव के समान हो। 

जो बहाव कितना भी परेशान हो जाए, कितना भी थक जाए, लेकिन उस नदी के जल का बहाव को तो आगे बढ़ना ही होता है। तुम्हारी जिंदगी में अगर कभी भी मुश्किलें आए या दुख आए, तुम्हें उस बुरे वक्त में हार नहीं मानना है और दुखी नहीं होना है, क्योंकि यह हर वक्त नहीं रहता है। 

बुरे वक्त का भी बुरा वक्त आता है। यह बात हमेशा याद रखना।

कहानी का सीख (Moral of the Story)

जीवन में कठिनाइयाँ और सुख-दुख आते-जाते रहते हैं, सुख-दुख जीवन का हिस्सा है, लेकिन हमें निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए। समय किसी के लिए नहीं रुकता, इसलिए हमें भी रुकने के बजाय जीवन की धारा के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए।


5. गुरु और शिष्य की मोटिवेशनल स्टोरी (Short Motivational Story in Hindi with Moral)

गुरु और शिष्य की मोटिवेशनल स्टोरी (Short Motivational Story in Hindi with Moral)

जो लोग अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए दूसरों की मदद का इंतजार करते हैं, वे कभी भी आत्मनिर्भर नहीं बन पाते हैं। ऐसे लोगों को सफलता आसानी से नहीं मिल पाती है। 

इस संबंध में एक लोक प्रचलित है। कथा के अनुसार पुराने समय में एक आश्रम में गुरु अपने शिष्यों के साथ रहते थे। वे हमेशा यही सीख देते थे कि हमें अपना काम खुद करना चाहिए। कभी भी दूसरो पर आश्रित नहीं रहना चाइये। 

एक दिन गुरु अपने शिष्यों के साथ दूसरे गांव जा रहे थे। रास्ते में एक नाला भी था। गुरु और शिष्यों को उस नाले को पार करके दूसरे गांव जाना था। जब गुरु के साथ सभी शिष्य नाला पार कर रहे थे, तभी गुरु के हाथ से कमंडल छूट गया और नाले में गिर गया। 

गुरु वहीं रुक गए। सभी शिष्य सोचने लगे कि अब यह कमंडल कैसे निकालेंगे? इसे कौन निकालेगा? तभी एक शिष्य गांव में किसी सफाईकर्मी को खोजने के लिए चला गया। बाकी सारे शिष्य वहीं बैठ गए और कमंडल निकालने की योजना बनाने लगे। 

यह देखकर गुरु को बहुत दुख हुआ, क्योंकि उन्होंने सिखाया था कि अपना काम स्वयं करना चाहिए। किसी दूसरे की मदद के लिए इंतजार नहीं करना चाहिए। कमंडल गुरु भी निकाल सकते थे, लेकिन वे शिष्यों की परीक्षा लेना चाहते थे, इसीलिए उन्होंने कमंडल नहीं निकाला। वे सिर्फ यह सब देख रहे थे। 

काफी देर बाद एक शिष्य उठा और नाले में हाथ डालकर कमंडल खोजने लगा। जब हाथ डालने के बाद भी कमंडल नहीं मिला तो वह स्वयं नाले में उतर गया और कमंडल खोज निकाला। यह देखकर गुरु प्रसन्न हो गए, क्योंकि शिष्य ने उनकी सीख को अपने जीवन में उतार लिया था। 

संत ने उस शिष्य की प्रशंसा की और कहा कि इसी तरह हमें अपने कामों के लिए किसी दूसरे की मदद का इंतजार नहीं करना चाहिए। जो लोग दूसरों के भरोसे बैठे रहते हैं, वे कभी भी अपनी समस्याओं को हल नहीं कर पाते हैं और अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकते। 

अपनी मदद खुद करने वाले लोग ही घर परिवार और समाज में सम्मान हासिल करते हैं। यही सफलता का सूत्र।


6. मौका – विद्यार्थी के लिए प्रेरणादायक कहानी (Short Motivational Kahani in Hindi)

मौका - विद्यार्थी के लिए प्रेरणादायक कहानी (Short Motivational Kahani in Hindi)

एक बार एक गांव में एक साधु रहता था और भगवान में बहुत मानता था। वह लगातार एक पेड़ के नीचे बैठ कर भगवान की तपस्या करता था। गांव के सभी लोग उसकी बहुत इज्जत करते थे। और फिर तभी एक बार उस गांव में बहुत तेज बाढ़ आ गई। हर तरफ पानी भर गया। सभी लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर भागने लगे। 

तभी सभी लोगों ने देखा कि वो साधु अभी भी उसी पेड़ के नीचे बैठकर तपस्या कर रहा है। तभी एक आदमी उनके पास आया और उनसे कहा और उन्हें सलाह दी कि ये जगह छोड़ दें, यहां से भाग चलें। लेकिन तभी साधु महाराज ने कहा कि तुम सब लोग अपनी जान बचाओ, मुझे तो मेरा भगवान बचाएगा। 

पानी का जो स्तर था वह धीरे धीरे ऊपर बढ़ने लगा, लेकिन साधु अपनी जगह से हिला तक नहीं। फिर कुछ देर बाद पानी साधु की कमर तक आ गया। तभी साधु के पास एक नाव आई और नाव में बैठे आदमी ने उनसे नाव में आने को कहा। लेकिन साधु ने फिर उनसे यही कहा। तुम जाओ मुझे मेरा भगवान बचा लेगा। 

पानी का स्तर था वह बढ़ता ही जा रहा था। तभी साधु एक पेड़ पर चढ़ गए और वहां पर फिर एक आखिरी हेलीकॉप्टर आया और हेलीकॉप्टर में बैठे आदमी ने उन साधु से कहा कि तुम ऊपर आ जाओ और यहां से चलो। लेकिन साधु ने फिर कहा कि तुम यहां से जाओ, मुझे तो मेरा ईश्वर बचा लेगा। 

फिर कुछ देर बाद पानी का जो स्तर था वह और बढ़ गया और पानी में डूबने से उस साधु की मौत हो गई और फिर जब मौत के बाद साधु जब स्वर्ग पहुंचे तो उन्होंने भगवान से पूछा कि मैंने आपकी इतनी तपस्या की, इतनी भक्ति की, लेकिन फिर भी आपने मुझे क्यों नहीं बचाया? आपने ऐसा क्यों किया? 

तभी भगवान ने कहा कि अरे मूर्ख मैं तो तीन बार तुझे बचाने आया था। एक बार पैदल चलकर, एक बार नाव में, और एक बार हेलिकॉप्टर में। लेकिन तू मुझे पहचान नहीं पाया। तेरे पास तीन मौके थे अपनी जिंदगी को बचाने के लिए और वह तीनों मौके तुमने हाथ से गंवा दिए। 

उस साधु की तरह हम सबकी जिंदगी में कई सारे मौके मिलते हैं, लेकिन हम सही टाइम पर सही डिसीजन नहीं ले पाते हैं और अगर एक बार कोई मौका हाथ से चला गया तो उसके बाद पछताने के सिवाय हमारे पास दूसरा कोई ऑप्शन नहीं होता।

तो आज के बाद आपकी जिंदगी में जितने भी मौके आएंगे हर मौके को भुनाये क्योंकि हमें नहीं पता कि कौन सा मौका, कौन सी opportunity आपकी जिंदगी बदल दे और कौन सी ऐसी opportunity हो जिसे गवा कर दो जिसकी वजह से आपकी जिंदगी बर्बाद हो जाए। 


तो दोस्तों, आशा करते हैं कि आपको यह morivational story in Hindi for students जरूर अच्छी लगी होगी। आपको यह स्टोरी कैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताएं क्योंकि आपका विचार हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। और साथ ही इस पोस्ट को आप अपने दोस्तों को भी शेयर कीजियेगा।

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Rakesh Dewangan

मेरा नाम राकेश देवांगन है। Hindi Kahani ब्लॉग वेबसाइट पर मेरा उद्देश्य हिंदी में प्रेरक, मजेदार, और नैतिक कहानियों के माध्यम से पाठकों को मनोरंजन और शिक्षित करना है। मेरी कोशिश है कि मैं उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री प्रदान करूँ जो लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए। आपके समर्थन से, मैं अपने इस सफर को और भी रोमांचक और सफल बनाने की उम्मीद करता हूँ।

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