9 Short Funny Story in Hindi: मजेदार स्टोरी इन हिंदी 2024

चाहे बच्चे हो या बडे, हँसी और मस्ती से भरी कहानियाँ सुनना सबको पसंद होता है। मजेदार कथानक और रोचक घटनाओं से भरपूर ये कहानियाँ न केवल बच्चों का मनोरंजन करने के साथ उनके मानसिक विकास में मदद करती है, बल्कि बड़ों को भी खुशी का अनुभव कराती हैं।

आज के इस “Short Funny Story in Hindi” ब्लॉग पोस्ट में ऐसे ही मजेदार कहानियों का संग्रह किया गया है जो बच्चों और बड़ों के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम करेगा। इन कहानियों में मेहमानों की ख़ातिरदारी की हास्यास्पद घटनाएँ, कंजूस का बेटा महाकंजूस की कहानी, गुरु की सेवा के दौरान हुए मजेदार किस्से, और तीन दोस्तों की अनोखी बातें शामिल हैं।

हर कहानी में छिपा है एक मजेदार मोड़, जो बच्चों को गुदगुदाने और हँसी से लोटपोट करने के लिए तैयार है। तो आइए, इन मजेदार कहानियों (short funny stories in Hindi) की दुनिया में कदम रखें और हँसी और खुशी के पल बाँटें।

9 Short Funny Story in Hindi: हिंदी कॉमेडी स्टोरी

तो दोस्तों, ये है वो 9 funny short stories in Hindi जो न सिर्फ आपके तनाव को दूर करेंगी बल्कि हँसी के ठहाकों से भरपूर मनोरंजन भी प्रदान करेंगी। 

1. मेहमानों की ख़ातिरदारी, हिंदी कॉमेडी स्टोरी (Funny Short Story for Kids in Hindi)

एक शहर में बहुत ही कंजूस पति पत्नी रहते थे। कंजूस इतने कि हर रात खाने के वक्त किसी न किसी दोस्त या रिश्तेदार के घर पहुंच जाते। औपचारिकता दिखाते हुए पूछे जाने पर, कि क्या वह दोनों भोजन करेंगे, तो झट से उनके साथ खाना खाने के लिए बैठ जाते। 

अपनी छुट्टियां मनाने कभी एक घर, तो कभी दूसरे के घर डेरा डाल देते और खूब मौज मस्ती करते। अपनी खातिर करवाना और रोज नए नए पकवान की फरमाइश करना तो वह अपना हक समझते थे, लेकिन जब कोई उनके घर आने की बात करता तो कोई न कोई वजह बताकर उन्हें टाल देते। 

एक दिन उनकी बुआ और उनका परिवार बिना बताए उनके घर पहुंच गया। काफी देर तक गप्पे मारने के बाद कंजूस पति पत्नी को लगा कि अब तो रात का खाना खिलाना ही पड़ेगा। मगर उनका कंजूस मन उन्हें खर्चा करने से रोक रहा था। 

तभी पति को एक उपाय सूझा। बुआ जी की तरफ देखकर पति ने बोला आज बहुत दिनों बाद घर आई है। तुम जल्दी से कुछ नहीं तो दाल चावल साथ में मटर पनीर की सब्जी बना लो। 

मटर पनीर का नाम सुनते ही पत्नी परेशान हो गई और मन में सोचने लगी कि जब देखो मुंह उठाकर चले आते हैं। अब मटर पनीर पर इतना खर्चा करना पड़ेगा। वह मन ही मन बड़बड़ाती हुई रसोई घर में जा घुसी। पीछे पीछे पति महोदया भी पहुंच गए और अपनी योजना सुनाने लगे। 

पति ने कहा देखो तुम सिर्फ दाल चावल ही बना लो, लेकिन इन्हें ऐसा लगना चाहिए कि हम इन्हें मटर पनीर खिलाना चाहते हैं। 

पत्नी की समझ में नहीं आया तो पूछा – यह कैसे होगा कि हम परोसे तो दाल और उन्हें लगे कि हम उन्हें मटर पनीर खिलाना चाहते हैं। 

तब पति ने अपनी योजना बताई  – ऐसा करना कि रसोई में जाकर दाल चावल बना लो। जब तैयार हो जाएं तो मुझे आवाज लगाना कि खाना तैयार है। आप प्लेट टेबल लगा लो। पत्नी ध्यान से सारी बात सुनती रही और आगे की योजना सुनने को बेताब होने लगी। 

तब पति ने अपनी असली योजना बताई। पति ने कहा – जब मैं प्लेट लगा चुका हूं तो तुम खाली कढ़ाई किचन में फर्श पर गिरा देना। तब मैं पूछूंगा कि क्या गिरा? तो तुम जवाब देना, मटर पनीर की कढ़ाई गिर गई। मटर पनीर बचा नहीं तो दाल चावल ही खाने पड़ेंगे। 

पत्नी योजना सुनकर दाल चावल बनाने लगी और कुछ देर बाद पति को आवाज लगाई। खाना बन गया है। आप टेबल पर प्लेटें लगा दो। पति उठा और अलमारी से प्लेटें लेकर टेबल पर सजाने लगा। 

तभी धड़ाम से कुछ बर्तन गिरने की आवाज आई। पति ने पूछा क्या गिरा दिया तो पत्नी की तरफ से कोई जवाब न मिलने पर वह रसोई घर की तरफ भागा। 

रसोई में देखा तो दाल का पतीला जमीन पर गिरा पड़ा था। दोनों पति पत्नी को मानो सांप सूंघ गया। 

जब दाल ही गिर गई तो मटर पनीर का बहाना तो फेल हो गया। 

तब पति को बड़े ही दुखी मन से बाजार से दाल और मटर पनीर मंगवाकर बुआजी और उनके परिवार को परोसना पड़ा। 

उनकी कंजूसी के चलते उन्हें लेने के देने पड़ गए। चले थे पैसे बचाने और बाजार से दुगनी कीमत पर खाना मंगवाकर अपने मेहमानों को खिलाना पड़ा।


2. कंजूस का बेटा महाकंजूस, मजेदार कॉमेडी कहानी (Short Comedy Story in Hindi)

एक दिन एक बहुत बड़े कंजूस सेठ के घर में कोई मेहमान आया। तभी कंजूस सेठ ने अपने बेटे से कहा कि बेटा बाजार जाकर मेहमानो के लिए आधा किलो बेहतरीन मिठाई ले आओ। 

बेटा बाहर गया और कई घंटों के बाद वापस घर आया। तब कंजूस सेठ ने पूछा बेटा मिठाई कहाँ है? 

बेटे ने कहना शुरू किया – अरे पिताजी, पहले मैं मिठाई की दुकान पर गया और हलवाई से बोला कि सबसे अच्छी मिठाई दे दो। तब हलवाई ने कहा – बेटा मैं तुम्हें ऐसी मिठाई दूंगा, बिल्कुल मक्खन जैसी। फिर मैंने सोचा क्यों न मक्खन ही ले लूं। 

तभी मैं मक्खन लेने दुकान गया और दुकानदार से कहा भैया जी सबसे बढ़िया मक्खन दे दो। तब दुकान वाला बोला कि ऐसा मक्खन दूंगा, बिल्कुल शहद जैसा। 

फिर मैंने सोचा क्यों ना शहद ही ले लूं। तब मैं शहद वाले के पास गया और उससे कहा कि सबसे अच्छा शहद दे दो। शहद वाला बोला, ऐसा शहद दूंगा बिल्कुल पानी जैसा साफ। तो पिता जी, फिर मैंने सोचा कि पानी तो अपने घर पर ही है और मैं खाली हाथ घर चला आया। 

कंजूस बहुत खुश हुआ और अपने बेटे को खूब शाबासी दी। 

लेकिन तभी कंजूस सेठ के मन में एक खयाल आया और अपने बेटे से पूछा कि बेटा तू इतनी दूर घूमकर आया, तेरी चप्पल तो घिस गई होगी?

तब कंजूस का बेटा बोला, नहीं पिताजी, मैं तो घर पर आए मेहमान की चप्पल पहनकर गया था। 

बेटे की यह बात सुनकर कंजूस बाप की आंखों में खुशी के आंसू आ गए और अपने बेटे को गले से लगा लिया और कहा कि बेटा जीवन में तू मुझसे भी कई ज्यादा कंजूस बनेगा और पैसा बचाने में तो खूब आगे बढ़ेगा। 


3. बाप-बेटे की फनी स्टोरी इन हिंदी (Funny Kahani in Hindi)

एक शहर में एक बूढ़ा किसान रहता था। हर साल की तरह इस बार भी वो किसान आलू की खेती करना चाहता था। लेकिन उसका इकलौता बेटा किसी कारण से जेल में था। वो बूढा किसान अब कमजोर हो चुका था और इसलिए उसने खेत जोतने का फैसला छोड़ दिया। 

उस बूढ़े किसान ने उदासी में अपने बेटे को जो कि जेल में था उसे खत लिखा। उसने खत में लिखा –

बेटा अशोक वैसे तो हर साल की तरह इस बार भी मैं खेत में आलू की खेती करना चाहता था, लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत ये थी कि खेत जोतेगा कौन, क्योंकि इस बार मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं। डॉक्टर ने आराम करने के लिए कहा है और इसलिए मैंने फैसला किया है कि इस बार मैं खेती नहीं करूंगा। 

काश तुम यहां होते तो खेत जोतने में मेरी मदद कर सकती और हर साल की तरह इस बार भी हम मुनाफा कमा पाते। खैर, अब जब तुम जेल से वापिस आओगे तो ही खेती करूंगा। तुम्हारी मां की तबीयत भी कुछ अच्छी नहीं रहती और मैं चाहता हूं कि इस बार ज्यादा से ज्यादा समय उसके साथ बिता सकूं। 

मुझे पता है कि अगर तुम यहां होते तो मेरी मदद जरूर करते। खैर अपना ख्याल रखना। मैं आशा करता हूं कि तुम जल्द से जल्द जेल से रिहा हो जाओगे। 

तुम्हारा पिता।”

दो दिन बाद पिता को बेटे का खत आता है। उसमें सिर्फ यह लिखा था, “पिताजी, भगवान के लिए खेत मत जोतना, क्योंकि खेत में कई बन्दूकें और बारूद गड़ा पड़ा है।” 

जैसे ही पिताजी को बेटे का ये खत मिला, उसके कुछ मिनटों बाद पुलिस आ गई और उन्होंने पूरा खेत खोद डाला। लेकिन उन्हें वहां कुछ नहीं मिला। 

अब पिता थोड़ा घबरा गया था और उसने अपने बेटे को जेल में एक और खत लिखा। “बेटा तुमने पहले खत में लिखा था कि खेत में बन्दूकें और बारूद गड़ा है, लेकिन वहां तो पुलिस को कुछ नहीं मिला। आखिर ये पूरा माजरा क्या है?” 

बेटे ने अपने पिता को खत के जरिए जवाब दिया। 

“पिताजी वो मैंने पुलिस वालों के साथ एक छोटा सा मजाक किया था। अब आपका खेत तो पुलिस वालों ने जोत ही दिया है। अब आलू की फसल आसानी से हो जाएगी। 

माफ कीजिएगा पिताजी! जेल में रहते हुए मैं आपकी इतनी ही मदद कर पाऊंगा।” 


4. एक मूर्ख व्यक्ति की शार्ट कॉमेडी स्टोरी इन हिंदी (Short Funny Story in Hindi)

एक दिन एक शख्स एक पेड़ पर चढ गया। थोडी देर बाद उसे लगा कि यहां से नीचे उतरना आसान नहीं है। उसने नीचे उतरने की काफी कोशिश की, लेकिन वह कुछ खास नहीं कर पाया। 

अब उसके पास बस एक ही रास्ता था कि वह पेड़ से कूद जाए। लेकिन पेड़ इतना ज्यादा ऊंचा था कि उसने लगा कि अगर कूदने की कोशिश की तो चोट लग सकती है। 

कोई चारा न देख उसने आस पास से गुजर रहे लोगों से मदद मांगी, लेकिन किसी को कोई तरीका नहीं सूझा। वहां लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। तभी भीड़ में से एक मूर्ख व्यक्ति निकलकर बाहर आए और बोले, घबराओ मत, मैं कुछ करता हूं। 

मूर्ख व्यक्ति ने एक रस्सी उस आदमी की तरफ फेंकी और बोले कि इस रस्सी को अपनी कमर में कसकर बांध लो। 

नीचे खड़े लोग बोले कि भला ये कौन सा तरीका हुआ। 

कुछ ही देर में पेड़ पर चढे उस आदमी ने रस्से को अपनी कमर में बांध लिया। तभी मूर्ख व्यक्ति ने रस्सी का दूसरा छोर पकड़कर खींचा। 

ऐसा करते ही वह आदमी पेड़ से धड़ाम से नीचे आ गिरा। गिरने से उसे बहुत चोट आई। लोग मूर्ख व्यक्ति पर भड़क गए और बोले, बेवकूफ आदमी, यह क्या किया तूने?

मूर्ख ने भोलेपन से कहा, मैंने पहले भी एक आदमी की इसी तरीके से जान बचाई है। मैंने इस तरीका को पहले भी आजमाया है। लेकिन मुझे याद नहीं आ रहा है कि मैंने उसे कुएं में से बचाया था या पेड़ पर से।


5. दवा | हास्य लघु कथा (Short Funny Story in Hindi)

कवि अनंग जी का अंतिम क्षण आ पहुँचा था। डॉक्टरों ने कह दिया था कि अधिक से अधिक घंटे भर के मेहमान हैं। 

अनंग जी की पत्नी ने कहा कि कुछ ऐसी दवा दे दें जिससे पाँच छह घंटे जीवित रह सकें ताकि शाम की गाड़ी से आने वाले बेटे से मिल लें। डॉक्टरों ने कहा कि कोई भी दवा इन्हें घंटे भर से अधिक जीवित नहीं रख सकती। 

इसी समय अनंग जी के मित्र आए। वे बोले, मैं इन्हें मजे से कई घंटे जीवित रख सकता हूं। डॉक्टरों ने हंसकर कहा यह असंभव है। 

मित्र ने कहा, खैर, मुझे कोशिश तो कर लेने दीजिए। बस आप सब लोग कमरे से बाहर हो जाइए। फिर सब लोग उस कमरे से बाहर चले गए। 

मित्र अनंग जी के पास बैठे और बोले, अनंग जी, अब तो आप सदा के लिए चले, यह सुललित कंठ अब कहाँ सुनने को मिलेगा? जाते जाते कुछ सुना जाइए। 

यह सुनते ही अनंग जी उठकर बैठ गए और बोले मन तो नहीं है पर आपकी प्रार्थना टाली भी नहीं जा सकती। 

अच्छा! अलमारी में से कॉपी तो निकालिए ना। मित्र ने कॉपी उठाकर हाथ में दे दी और अनंग जी कविता पाठ करने लगे। 

घंटे पर घंटे बीतते गए। शाम को गाड़ी आ गई। उनका लड़का भी आ गया। उसने कमरे में घुसते ही देखा कि पिताजी कविता पढ़ रहे हैं और उनके मित्र मरे पड़े हैं।


6. खूजली | मजेदार कॉमेडी कहानी (Funny Story in Hindi with Moral)

एक दिन एक राजा ने एक भिखारी को महल के दरवाजे के सामने अपनी पीठ रगड़ते हुए देखा। उसने अपने सिपाहियों से भिखारी को पकड़कर राजदरबार में ले आने को कहा। सिपाही फौरन गए और भिखारी को पकड़कर ले आए। 

राजा ने भिखारी से पूछा, तुम महल के दरवाजे के सामने अपनी पीठ क्यों खुजला रहे थे? भिखारी बोला, महाराज, मेरी पीठ में खुजली हो रही थी, इसलिए मैं महल के दरवाजे के सामने पीठ खुजला रहा था। 

राजा ने यह सुनने के बाद अपने सिपाहियों को आदेश दिया – इस भिखारी को 20 स्वर्ण मुद्राएं दी जाएं। 

जल्दी ही यह खबर पूरे राज्य में आग की तरह फैल गई। 

कुछ समय बाद राजा ने दो अन्य भिखारियों को महल के सामने अपनी पीठ रगड़ते देखा। उन्हें भी बुलवाकर राजा ने उनसे पीठ खुजाने का कारण पूछा। उन्होंने भी जवाब दिया कि उनकी पीठ में खुजली हो रही थी। 

यह सुनकर राजा ने अपने सिपाहियों से कहा, इन भिखारियों की पीठ की खुजली ठीक करने के लिए इनकी पीठ पर 20, 20 कोड़े लगाओ। 

यह सुनकर दोनों भिखारी तुरंत बोले, लेकिन महाराज, आपने तो एक अन्य भिखारी को 20 स्वर्ण मुद्राएं दी थी। 

राजा बोला, उस भिखारी ने सच कहा था, लेकिन तुम दोनों झूठ बोल रहे हो। यदि चाहते तो तुम दोनों एक दूसरे की पीठ खुजला सकते थे। तुम दोनों यहां सिर्फ लालच के कारण ही आए हो। दोनों भिखारी अपनी करनी पर शर्मिंदा थे। 

कहानी का सीख – इसी को तो कहते हैं कि लालच का फल हमेशा बुरा ही होता है।


7. कूटने से बढती है इम्युनीटी पावर (Funny Story in Hindi for Kids)

मैंने दादाजी से पूछा कि पहले लोग इतने बीमार नहीं होते थे, जितने आज हो रहे हैं। 

तो दादाजी बोले बेटा, पहले हम हर चीज को कूटते थे। जबसे हमने कूटना छोड़ा है, तब से ही हम सब बीमार होने लग गए हैं। 

मैंने पूछा वो कैसे? 

दादाजी मुस्कुराते हुए बोले, जैसे पहले खेत से अनाज को कूटकर घर लाते थे। घर में मिर्च मसाला कूटते थे। कभी कभी बड़ा भाई छोटे भाई को कूट देता था और जब छोटा भाई उसकी शिकायत मां से करता था तो मां बड़े भाई को कूट देती थी और कभी कभी तो दादाजी भी पोते को कूट देते थे। 

यानी कुल मिलाकर कूटने का सिलसिला निरंतर चलता रहता था। 

कभी मां बाजरा कूट कर शाम को खिचड़ी बनाती थी। पहले हम कपड़े भी कूट कर धोते थे। स्कूल में मास्टर जी भी जमकर कूटते थे। जहां देखो वहां पर कूटने का काम चलता रहता था, जिससे कभी कोई बीमारी नजदीक नहीं आती थी। सबका इम्युनिटी पावर मजबूत बना रहता था। 

जब कभी बच्चा सर्दी में नहाने से मना करता था तो मां पहले उसे कूट कर उसकी इम्यूनिटी पावर बढ़ाती थी और फिर नहलाती थी। जब कभी बच्चा खाना खाने से मना करता था तब भी मां पहले बच्चे को कूटती थी फिर खाना खिलाती थी। 

ऐसे ही सबका इम्यूनिटी पावर कायम रहता था। तो कुल मिलाकर सब कुटाई की महिमा है जो आजकल बंद हो गई है। जिससे हम सब बीमार ज्यादा रहने लग गए हैं।


8. तीन दोस्तो की बाते (Very Short Comedy Story in Hindi)

एक बार तीन दोस्त आपस में बात कर रहे थे। 

पहला दोस्त यार, मैं एक बार जंगल से गुजर रहा था कि मैंने देखा एक शेर अचानक आ गया, लेकिन मैं डरा नहीं। मेरे हाथ में बंदूक थी। मैंने एक ही गोली मारी और शेर मर गया। 

दूसरा दोस्त, अबे बंदूक से तो कोई भी शेर को मार सकता है। सुन मैं भी एक बार जंगल से गुजर रहा था और शेर आ गया और मेरी तरफ झपटा, लेकिन मेरे पास एक छुरा था। मैंने एक ही वार में शेर को मार डाला। 

तीसरा दोस्त जो अब तक शांति से बैठा सुन रहा था। बोला, अरे, बंदूक और छुरे से तो कोई भी शेर को मार देगा। सुनो, मैं भी एक बार जंगल से गुजर रहा था कि अचानक ही शेर मेरे आगे आकर खड़ा हो गया। मैंने उसको देखा और कहा अबे जंगल का राजा होकर नंगा घूम रहा है। 

दोनों दोस्त बोले, फिर क्या हुआ?

तीसरा दोस्त बोला, अबे होना क्या था? वह शर्म से ही मर गया।


9. गुरु की सेवा मजेदार स्टोरी इन हिंदी (Short Comedy Kahani in Hindi)

एक साधु बाबा स्वयं को बहुत ही होशियार समझते थे। उनके दो चेले थे। दोनों ही चेले काफी हष्ट पुष्ट और लंबे तगड़े थे। भोजन के बाद जब साधु बाबा अपने आसन पर लेटते तो दोनों चेले बारी बारी से आकर उनके पैर दबा जाते और जब बाबा जी को गहरी नींद आ जाती तब वे दोनों ही अपने अपने आसन पर जाकर आराम करते। 

एक दिन बाबा जी ने सोचा क्यों न अपनी दोनों टांगें दोनों चेलों के हवाले कर दूं। इस तरह दोनों टांगों का बंटवारा करने से खूब सेवा होगी और मुझे अधिक सुख मिल सकेगा। यह सोचकर बाबा जी ने अपनी दाई टांग एक के हवाले की और बायीं टांग दूसरे को दे दी। 

दोनों टांगें चेलों के हवाले करने के बाद बाबा जी सुख से रहने लगे। चेले भी अपने हिस्से में आई हुई टांग की सेवा तन मन से करने लगे। अपनी अपनी टांग को मजबूत और स्वस्थ बनाने के लिए उनमें होड़ लग गई। रात दिन मालिश होने लगी। टांगों को कसरतें कराई जाने लगी और हर तरह से दोनों चेले अपनी अपनी टांगों की रक्षा में लगे रहे। 

बाबा जी बड़े चतुर थे। वे चाहते थे कि चेलों पर डांट डपट होती रहे। इसके लिए वे कभी बाईं टांग को मोटा हुआ बताते और कभी दाईं टांग को अधिक स्वस्थ हुआ कहते। वे कभी एक चेले की प्रशंसा करते, कभी दूसरे की, ताकि सेवा में किसी तरह की कमी न रह जाए। 

धीरे धीरे चेलों में मतभेद पैदा होने लगा। बाबा जी के द्वारा एक की तारीफ करने पर दूसरा चिढ़ जाता। एक से एक बढ़ चढ़ कर दोनों नहीं यही चाहते थे कि गुरुजी उनसे हमेशा प्रसन्न रहें। 

एक दिन एक चेले के मन में विचार आया। वह सोचने लगा कि यदि मैं बाबा जी की दाईं टांग तोड़ दूं तो दूसरे चेले के पास क्या रह जाएगा? निश्चित ही उसकी तो छुट्टी हो जाएगी। न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी। उस वक्त बाबा जी की दाई टांग का मालिक कहीं गया हुआ था। 

दोपहर भोजन के बाद बाबा जी ने अपने आसन पर लेट लगाई कि चेले ने उनकी दायीं टांग को पकड़ लिया। बाबाजी चिल्ला उठे – अरे अरे यह क्या करते हो? चेला बोल – कुछ नहीं महाराज! देखना चाहता हूं कि यह टांग कितनी मजबूत है। आप निश्चिंत रहें, आपका कुछ नहीं बिगड़ेगा। कह कर उसने टांग को अपनी तरफ खींचा और उसे तोड़ डाला। 

बाबाजी दर्द के कारण बेहोश हो गए। थोड़ी ही देर में होश आने के बाद देखा कि टूटी हुई टांग का मालिक सामने खड़ा है। पीड़ा से कहराते हुए बाबा जी को देखकर पूछा तो मालूम हुआ कि बाईं टांग वाले चेले ने यह काम किया है। सुनकर वह आग बबूला हो गया। 

सोचने लगा मुझे सेवा से अलग कर वह अकेला ही बाबा की कृपा का पात्र बनना चाहता है। लेकिन मैं ऐसा कभी भी न होने दूंगा। सोचकर उसने उसके हिस्से वाली टांग को पकड़ कर खींचा। बाबा चिल्लाए, ठहरो, ठहरो! अब तुम यह क्या करने जा रहे हो? 

क्रोध से भरे हुए चेले ने उत्तर दिया, इस टांग के साथ मैं भी वही करूंगा, जो उसने मेरी वाली टांग के साथ किया है। उसने मेरी टांग तोड़ी है। अब मैं भी उसका भुर्ता बना डालूंगा। 

बाबा चिल्लाए, अरे कमबख्तों, ऐसा न करो। कम से कम एक टांग को तो ठीक रहने दो। बाबा ने बड़े प्रेम से उसे समझाया, बेटा, यह टांग तो मेरी है, उसकी नहीं। इसे भी तोड़ डालोगे तो फिर मैं कैसे? मेरे पास क्या बचेगा? 

चेले ने उत्तर दिया, गुरु जी, आप ही कहते हैं कि दुष्ट के साथ दुष्टता ही करनी चाहिए। उसने मेरी वाली टांग तोड़ दी। जब तक मैंने उसका बदला न लिया, मुझे बिल्कुल चैन न पड़ेगा। मैं इस टांग को तोड़कर ही मानूंगा। 

कह कर चेले ने दाएं टांग को पकड़ कर खींचा और उसके चार टुकड़े कर दिए। 


तो दोस्तों, आपको ये short funny story in Hindi कैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताएं क्योंकि आपका विचार हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। और साथ ही इस पोस्ट को आप अपने दोस्तों को भी शेयर कीजियेगा।

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Rakesh Dewangan

मेरा नाम राकेश देवांगन है। Hindi Kahani ब्लॉग वेबसाइट पर मेरा उद्देश्य हिंदी में प्रेरक, मजेदार, और नैतिक कहानियों के माध्यम से पाठकों को मनोरंजन और शिक्षित करना है। मेरी कोशिश है कि मैं उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री प्रदान करूँ जो लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए। आपके समर्थन से, मैं अपने इस सफर को और भी रोमांचक और सफल बनाने की उम्मीद करता हूँ।

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