7 Short Motivational Story In Hindi (मोटिवेशनल कहानी छोटी सी)

हमारे जीवन का कोई भी क्षेत्र हो, चाहे छात्रों की सफलता पाने की या जीवन में लक्ष्यों की प्राप्ति की ओर बढ़ने की या पैसे की वास्तविक मूल्य को समझाने की, जीवन के हर क्षेत्र में हमें प्रेरणा (motivation) की जरूरत होती है और ऐसे में प्रेरणादायक कहानियाँ (short motivational stories in Hindi) बहूमूल्य भुमिका निभाती है। 

इसलिये आज के इस ब्लॉग पोस्ट में, हम आपके लिये लाये हैं 7 छोटी सी जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी (7 best short motivational strory in Hindi) जो आपको यह बताएगी कि कैसे मेहनत, समर्पण, और सही समय का उपयोग आपको असफलताओं से निकालकर सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।

7 Best Short Motivational Story In Hindi

तो ये है वो 7 छोटी सी जबरदस्त मोटिवेशनल कहानियाँ (7 best short motivational strories in Hindi) जिनको पढ़ने से आपको एक नई ऊर्जा का आभास होगा और अपने लक्ष्यों की प्राप्ति की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे।

1. दो हीरों की कहानी (Short Motivational Story in Hindi)

एक व्यापारी ऊंट खरीदने के लिए एक बाजार में गया और उसे ऊंट पसंद आ गया। सौदा हुआ, जो पैसे थे वो उसने ऊंट वाले को दिए और ऊंट लेकर के अपने घर पर आ गया। जो व्यापारी था उसका एक बड़ा ही खास नौकर था जो सारा काम संभालता था। 

उस नौकर को पता चला कि नया ऊंट आया है तो जो ऊंट की काठी होती है उसने काठी उतारी और आश्चर्यचकित था कि उस काठी के नीचे उसे एक मखमली थैली मिली। थैली लाकर के जैसे उसने खोली और देखा तो उसमें हीरे थे। वह चौंक गया। दौड़कर मालिक के पास गया और कहने लगा मालिक आप सिर्फ ऊंट नहीं लाये हो, आप तो साथ में मखमली थैली में बहुत सारे हीरे लाए हो। 

व्यापारी ने कहा क्या कर रहे हो? तो उसने दिखाया कि देखो कितने अच्छे अच्छे हीरे हैं। व्यापारी ने कहा इस थैली को वापस बांधो, मैं ऊंट वाले को इसे देकर आता हूं। नौकर सोचने लगा कितना बेवकूफ मालिक है। अच्छा खासा माल हाथ में आ गया, वापस देने जा रहा है। 

नौकर ने समझाया कि अरे किसी को क्या पता चलेगा। आप तो ऊंट लेकर आये बात खत्म हो गई। किसी को भी पता नहीं चलेगा। व्यापारी ने कहा नहीं, मैं वापस लौटाने जाऊंगा। व्यापारी ने मखमल की थैली ली और ले करके वापस उस बाजार में गया। उस ऊंट वाले को ढूंढने लगा। 

बहुत ढूंढने के बाद जब वह ऊंट वाला मिला तो उसने कहा कि भाई साहब वह जो ऊंट था उसकी काठी के नीचे यह मखमली थैली थी जिसमें बहुत सारे हीरे थे। लौटाने आया हूं। ऊंटवाल ने कहा। क्या बात है! कि तभी मैं सोचो कि मिल क्यों नहीं रही है? कहां गई वो? आपके साथ चली गई थी, लाओ लाओ लाओ। 

फिर उन्होंने थैली ऊंट वाले को दे दी। वह ऊंट वाला बड़ा खुश हुआ कि क्या बात है, बहुत ईमानदार आदमी है जिसने लौटा दी| फिर ऊंट वाले ने कहा कि भैया आपको मैं अपनी तरफ से एक हीरा देना चाहता हूं। आप इन कीमती पत्थरों में से कोई भी जो आपको पसंद आ रहा है रख लो। 

व्यापारी ने कहा नहीं, मुझे नहीं चाहिए। मैं तो बस थैली लौटाने आया हूं। ऊंट वाला नहीं माना उसने कहा, नहीं आपको रखना पड़ेगा। आप रख लो, आप रख लो। व्यापारी ने कहा, मैं पहले ही दो हीरे अपने पास में रख चुका हूं। जैसे हि उस ऊंट वाले ने ये बात सुनी, उसे गुस्सा आ गया। उसे लगा कि अब तो उसको मारने ही पड़ेगा। 

इसने पहले ही दो हीरे अपने पास रख लिए। फिर भी उसने थोड़ा सा अपना गुस्सा शांत किया और उस मखमली थैली को निकाला, सारे हीरे गिनना शुरू किए कि पूरे है कि नहीं। और हीरे पूरे थे। उसने व्यापारी से कहा कि आप क्या कह रहे हो इसमे तो पूरे हीरे है फिर आपने इसमे से कौन से दो हीरे रख लिए?

उस व्यापारी ने कहा मैंने सबसे अनमोल दो हीरे अपने पास रख लिए। पहला ईमानदारी (honesty) और दूसरा अपना आत्मसम्मान (self respect)| 

कहानी का सीख (Moral of the Story)

छोटी सी कहानी, जिसका सार यह कहता है कि जीवन में पैसा ही सबकुछ नहीं होता है। आपकी ईमानदारी और आत्मसम्मान बहुत मायने रखती है। पैसा भले ही बहुत कुछ हो सकता है, लेकिन सब कुछ नहीं हो सकता। ईमानदारी और आत्मसम्मान सबसे अनमोल गुण हैं। इनकी तुलना में धन-दौलत महत्वहीन है। इन गुणों को बनाए रखने से सच्ची संतुष्टि और आदर प्राप्त होता है।


2. एक भिखारी की जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी (Motivational Short Story in Hindi)

एक भिखारी जो एक छोटे से कस्बे में रेलवे स्टेशन के बाहर फुटपाथ पर बैठ करके भीख मांगा करता था। उसके पास एक पुराना सा कटोरा हुआ करता था। उसमें कुछ चार पांच सिक्के रख लेता था। उन्हें खनकाता था, आवाज करता था। 

लोग आकर्षित होते थे। साथ में गाना गाता था कि तुम गरीबों की सुनो, वह तुम्हारी सुनेगा। तुम ₹10 दोगे, वह 1 लाख देगा। और इक्के दुक्के लोग जिनका ध्यान आकर्षित हो जाता, जिनको दया आ जाती तो सिक्के डाल के निकल जाते थे। 

यह इसका रोज का रुटीन था। उस कस्बे के लोग कहते थे कि इस भिखारी के जो पुरखे थे, वह बहुत अमीर थे। पता नहीं उसकी हालत आज कैसे हो गई। ऐसी किसी से भीख मांगने की नौबत आन पड़ी और पूरी कहानी कोई जानता नहीं था। 

एक शाम में वह रोज की तरह यही काम कर रहा था। उस इलाके अब चलना चाहिए। लेकिन भिखारी ने सोचा पाँच 10 मिनट और बैठ जाता हूँ। तभी एक पैसेंजर वहां से निकला और बड़ी तेजी में था। लेकिन भिखारी के पास आ करके रुक गया। उसने भिखारी को देखा और कटोरे को देखा। 

फटाक से अपनी जेब में हाथ डाला और जेब से निकाला। ₹100, ₹100 के नोट गिनने लगा और भिखारी की जो आंखें थीं, उनमें चमक आ गई। उसने कहा, एक नोट मिल जाए तो काम हो जाए। उस आदमी ने 10 नोट भिखारी की तरफ बढ़ाया और कहा, कटोरा दोगे तो मैं तुम्हें ₹1,000 दे दूंगा। 

भिखारी सोचने लगा कि एक कटोरा और हजार रुपए। उसने और 10 नोट निकाला और बोला कटोरा दोगे तो मैं तुम्हें ये ₹2,000 दे दूंगा। भिखारी ने बिना देरी किए कटोरा आगे बढ़ा दिया कि लो भाई साहब ले जाओ। 

उस आदमी ने फटाक से उस कटोरे को अपने बैग में डाला और चल निकला। और भिखारी भी फटाफट से अपना झोला बैग सब समेट कर के दूसरी दिशा में भागा कि कहीं उस आदमी का मन न बदल जाए। और उस आदमी को भी लग रहा था कि कई भिखारी का मन न बदल जाए और कहीं कटोरा वापस न मांग ले। 

वह दौड़कर स्टेशन में अंदर आया। ट्रेन का इंतजार करने लगा। जैसे ही ट्रेन आई, अंदर चढ़ गया। पीछे पलट पलटकर देख रहा था कहीं भिखारी न आ जाए। ट्रेन ने हॉर्न बजाया। स्टेशन छोड़ा। तब उस आदमी ने राहत की सांस ली कि चलो आया नहीं। 

फिर उसने अपने बैग में हाथ डाला और उस कटोरे के वजन को टटोलने लगा कि कितना भारी है। वह कटोरा आधे किलो का था और यह आदमी धातुओं का जानकार था, जौहरी था। यह एक नजर में उस गंदे कटोरे को, जो धूल में सना हुआ था, पहचान गया था कि यह सोने का कटोरा है। 

यह बड़ा खुश हो रहा था कि लाखों का कटोरा 2000 में लेकर आ गया और भिखारी बहुत खुश हो रहा था कि एक कटोरे के दो हज़ार रुपए देकर के कोई मूर्ख चला गया। 

यह छोटी सी कहानी उस भिखारी की नहीं है, कटोरे की नहीं है, व्यापारी की नहीं है, और ना ही जौहरी की है। यह आपकी और हमारी है। 

हमें जो लाइफ मिली है, उसकी वैल्यू हमने कभी लगायी ही नहीं। हमें लगता है कि मैं तो इस लायक ही नहीं हूं। मुझसे तो कुछ होगा ही नहीं। मैं तो इन सबके लिए बस पैदा हुआ हूं। मैं तो इतना ही कुछ करके चला जाऊंगा। मुझे ज्यादा कुछ अचीव नहीं करना। मेरे अंदर कैपेबिलिटी नहीं है, ताकत ही नहीं है। 

हम अपने इस दुर्लभ मनुष्य तन की कीमत को कभी पहचान ही नहीं पाए। हम वही गंदा कटोरा लेकर के भीख मांग रहे हैं। हम भूल गए हैं कि हमारी ज़िंदगी सोने का कटोरा है जो बहुत कीमती है। जिसकी वैल्यू अगर आपने समझ ली तो आपकी लाइफ में चेंज आना शुरू हो जाएगा। 

कहानी का सीख (Moral of the Story)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अपनी क्षमता और मूल्य को समझें। जैसे भिखारी ने सोने के कटोरे को मामूली समझकर बेच दिया, वैसे ही हम भी अपनी जिंदगी की असली कीमत नहीं पहचानते। हमारी जिंदगी अनमोल है, और हमें अपने अंदर की क्षमताओं को पहचानकर उनका सही उपयोग करना चाहिए, ताकि हम अपने जीवन को बेहतर बना सकें और अपनी सच्ची कीमत जान सकें। आत्म-मूल्य की पहचान ही सच्ची सफलता की कुंजी है।


3. एक Sir और Student की कहानी (Short Motivational Story for Students in Hindi)

एक बार की बात है, एक सर क्लास में पढ़ा रहे थे। वो सभी स्टूडेंट्स से कोई ना कोई सवाल पूछ रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि क्लास में एक बच्चा बहुत ही उदास बैठा हुआ था मानो उसके साथ बहुत बुरा हुआ हो। सर ने भी उस बच्चे को कुछ नहीं पूछा और ना ही कुछ कहा। 

लेकिन चार पांच दिन तक ऐसा ही चलता रहा। तभी सर ने उस बच्चे के पास जाकर उससे पूछा कि बेटा तुम इतने उदास क्यों बैठे रहते हो? दूसरे बच्चों की तरह तुम इंजॉय नहीं करते और किसी भी सवाल का जवाब नहीं देते हो। 

उस लड़के ने सर से कहा कि सर मेरे अतीत में मेरे साथ कुछ बुरा हो गया था। इसी वजह से मेरा किसी भी चीज़ में मन नहीं लग रहा है। मैं कुछ भी कर लूं, दूसरे बच्चों की तरह खुश नहीं रह पा रहा हूं। 

सर ने उस बच्चे की बात को पूरा सुना और अगले दिन वो सर अपने बैग में शिकंजी बनाने का सारा सामान लेकर आए और सारे बच्चे क्लास से जाने के बाद सर बच्चे के पास शिकंजी बनाने का सामान लेकर गए और उस सामान से उन्होंने उस लड़के को एक गिलास शिकंजी बना कर दिया। 

लड़के को लगा कि सर ये सब कुछ मुझे खुश करने के लिए कर रहे है। सर ने लड़के की तरफ शिकंजी का ग्लास बढ़ाया और उसे पीने के लिए कहा। लड़के ने जैसे ही शिकंजी का एक जिप लिया तो उसे उस शिकंजी में नमक ज्यादा लगा। उसने सर से कहा कि सर इस शिकंजी में नमक ज्यादा हो गया है। तभी सर ने उस लड़के से कहा ठीक है लाओ मैं इसे फेंक देता हूं। 

लड़के ने सर से कहा सर इसे फेकने की जरूरत नहीं है। अगर इसमें थोड़ी शक्कर मिला देंगे तो यह खुद ब खुद मीठा और अच्छा हो जाएगा। तभी सर ने उस लड़के की तरफ मुस्कुराते हुए देखा और कहा यही सेम चीज मैं तुम्हें आज इस शिकंजी के जरिये समझाने आया था। 

हमारी जिंदगी भी बिल्कुल शिकंजी की तरह है और हमारे पास्ट में जो बुरी और दुखद चीजे हमारे साथ हुई है वो उस शिकंजी में मिले नमक की तरह है। जब हमारे पास्ट में कुछ बहुत बुरा हुआ हो जिसकी वजह से हमारी जिंदगी बिल्कुल कड़वी हो जाती है तब हमें उसमें कुछ अच्छे पल ऐड करने की जरूरत होती है। 

जिस तरह से शिकंजी में नमक ज्यादा हो गया था लेकिन उसमें शक्कर मिलाने के बाद वह मीठा हो गया, उसी तरह हमें भी हमारे बीते हुए कल को भूलकर उसमें खुशियां ऐड करनी चाहिए, ताकि हमारी बुरी यादें हमारी अच्छी यादों से ज्यादा हो जाए और हमारी जिंदगी फिर से मीठी और खुश हो जाए। 

जो पास्ट में हो गया वह हो गया। उसकी वजह से आज उदास मत रहो क्योंकि हमारा आज भी आगे चलकर कल में बदल जाएगा और हम फिर से उस कल की वजह से उदास रहने लगेंगे। इसीलिए खराब चीजों को भूलते हुए आगे बढ़ो और अपनी लाइफ में पॉजिटिव रहो और जितना हो सके अच्छा और पॉजिटिव सोचो। 

कहानी का सीख (Moral of the Story)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में हमारे अतीत के कड़वे अनुभवों को हमें वर्तमान पर हावी नहीं होने देना चाहिए। अतीत के कड़वे अनुभवों को भूलकर, जीवन में अच्छे पलों को शामिल करना महत्वपूर्ण है ताकि हमारी जिंदगी फिर से मीठी और सुखद हो सके। 

हमेशा आगे बढ़ें और अपनी सोच को सकारात्मक बनाए रखें, क्योंकि अतीत में जो हो गया, उसे बदला नहीं जा सकता, लेकिन वर्तमान और भविष्य को बेहतर बनाया जा सकता है।


4. जीवन बदल देने वाली प्रेरणादायक कहानी (Life-Changing Motivational Story in Hindi)

एक बार एक शहर में दो दोस्त रहते थे। वह दोनों दोस्त एक दिन समुद्र किनारे शंख इकट्ठा करने के लिए गए ताकि उन शंखों को बेचकर वह अपने लिए कुछ पूंजी जमा कर पाएं। 

दोनों दोस्त शंख इकट्ठा कर रहे थे, तभी पहले वाले दोस्त को एक बड़ा शंख मिल गया और यह देखकर दूसरे वाले दोस्त के मन में आया कि यार इसे तो बड़ा शंख मिल गया, अब यह मुझसे ज्यादा पैसा कमा लेगा। तो फिर उसने सोचा कि अब मैं भी बड़ा शंख ढूंढूंगा ताकि मैं भी ज्यादा पैसा कमा पाऊं। 

तो अब वह लग गया बड़े शंख की तलाश में। उसने खूब ढूंढा। खूब मेहनत की लेकिन फिर भी उसे बड़ा शंख हासिल नहीं हुआ और उसने बड़े शंख के चक्कर में उसे जितने भी छोटे छोटे शंख मिलते गये, उन सारे शंख को उठा करके फेंक देता। क्योंकि उसके दिमाग में वह बड़ा शंख था कि मुझे किसी भी हालात में बड़ा शंख चाहिए ताकि मैं थोड़े ज्यादा पैसे कमा पाऊं। 

तो बड़े शंख की तलाश में दोपहर से शाम हो गई। शाम से रात हो गई तो। न तो उसे बड़ा शंख मिला और बल्कि जो छोटे छोटे शंख मिले थे, उन शंख को भी उसने फेंक दिए तो उसके हाथ में कुछ नहीं आया और जो पहले वाला दोस्त था उसके पास एक बड़ा शंख था और कुछ छोटे शंख थे। 

रात हो गई और दोनों दोस्त घर जाने लगे। घर जाते वक्त पहला वाला जो दोस्त था उसने अपने शंख बेच दिए। उसके पास एक बड़ा शंख था जिसके उसे मिले ₹1,000 और जो छोटे छोटे शंख उसके पास में थे उसके उसे मिले ₹3,000। और यह जानकर दूसरे वाले दोस्तों को बहुत दुख हुआ कि काश वह छोटे छोटे शंख को फेंकता नहीं तो अभी मेरे पास इससे भी ज्यादा कमाई होती। 

पहले वाले दोस्त ने उसे बताया कि जो छोटे छोटे शंख तुमने फेंक दिए थे ना, उन्हीं को मैंने अपने पास कलेक्ट कर लिया और उन्हीं के मुझे मिले ₹3,000। और यह जानकर वह दूसरा वाला दोस्त और भी ज्यादा निराश हो जाता है। 

कहानी का सीख (Moral of the Story)

इस कहानी का सार बिल्कुल साफ है कि हम बड़ी बड़ी चीजों के चक्कर में कई सारी छोटी छोटी चीजें या फिर यह कहें कि कई सारे छोटे छोटे मौके हाथ से गवा देते हैं। 

हम हमारी लाइफ में भी कई सारी छोटी छोटी चीजों को इग्नोर करते हैं। लेकिन यह बात आपको जान लेनी चाहिए कि ये छोटी छोटी चीजें आगे जाकर बहुत विशाल रूप धारण कर लेती हैं। हर छोटी चीज पर ध्यान लगाओ, उसे इग्नोर मत करो। आगे जाकर आपको इसकी अहमियत पता चलेगी। 

इसका मतलब यह नहीं कि आप छोटा सोचो, छोटा ही करो। कहने का मतलब यही कि आप सोचो बड़ा, लेकिन उसके लिए हर छोटा काम करो जिससे कि आपका लक्ष्य हासिल हो सके। 

दोनों दोस्तों का लक्ष्य एक ही था, वह था पैसा। लेकिन पहले वाले दोस्त ने बड़े पर फोकस किया और छोटे पर भी फोकस किया और दूसरे वाले दोस्त ने सिर्फ बड़े पर फोकस किया और छोटी छोटी चीजों को इग्नोर कर दिया और जहां उसे ज्यादा पैसे मिलने चाहिए थे वहां उसे ₹1 भी नहीं मिला। 

छोटे छोटे बदलाव ही बड़ी कामयाबी का हिस्सा होते हैं।


5. रियल लाइफ स्टोरी इन हिंदी (Short Motivational Story In Hindi for Success)

जैन कोम (Jan Koum) नाम का बंदा जब फेसबुक में जॉब मांगने के लिए गया तो इसे रिजेक्ट कर दिया गया। लेकिन कुछ सालों बाद इसी बंदे ने फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) को सदमें में डाल दिया और उसके बाद फेसबुक को इस बंदे के साथ 1,00,000 करोड़ रुपए की डील करनी पड़ी। 

जब भी कोई इंसान जिद्दी बनकर पागलपन पर उतरता है ना तब इतिहास बनता है। दोस्तो इस पोस्ट को लास्ट तक जरूर पढियेगा क्योंकि आज का यह पोस्ट आपके अंदर एक ऐसा तूफान उठाने वाला है जिसके सामने आने वाली प्रोब्लम्स की कोई औकात नहीं होगी। 

यह पोस्ट उस इंसान के ऊपर है जो बहुत सारी प्रोब्लम्स और बहुत सारे रिजेक्शन को फेस करने के बाद जब अपनी जिद पर उतरा तो उसने फेसबुक (facebook) को भी हिलाकर रख दिया। 

यह कहानी शुरू होती है 24 फरवरी 1976 को जब इस महान इंसान का जन्म यूक्रेन में एक मजदूर फैमिली में हुआ। प्रॉब्लम तो यहीं से आना शुरू हो गई थी। इस बंदे की लाइफ में आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि शाम को खाना मिलेगा भी या नहीं, इस बात की भी कोई गारंटी नहीं थी। कई बार अपनी भूख मिटाने के लिए इन्हें घंटों लाइन में लग कर फ्री फूड (free food) का सहारा लेना पड़ता था। 

दोस्तो, ऐसे हालात में जहां पर लोग अपनी तकलीफों का रोना रोते हैं, यह बंदा महज 16 साल की उम्र में अपनी मां और दादी के साथ अमेरिका चला गया। जहां पर अपनी फैमिली की फाइनेंशियल कंडीशन ठीक करने के लिए यह बंदा दुकानों में झाड़ू पोंछा लगाने का काम करने लगा और साथ ही अपनी पढ़ाई भी करता रहा। 

एक दौर ऐसा भी आया जब इस बंदे की लाइफ में इसके पास अपनी बुक्स खरीदने तक के भी पैसे नहीं थे और उसी बीच उसकी मां कैंसर से तड़प रही थी। दोस्तों, ऐसे हालात में उस बंदे ने हार मानने के बजाय महान बनने की शुरुआत की। 

उसने रास्ता खोजा और उसकी मां को इलाज के लिए सरकार से पैसे मिले। उन्हीं में से बचे पैसों से उस बंदे ने कुछ किताबें खरीदी और कंप्यूटर नेटवर्किंग (Computer Networking) का कोर्स किया और 1997 में इस बंदे को याहू (Yahoo) में जॉब मिल गई। करीब नौ साल जॉब करने के बाद जब इस बंदे की फाइनेंशियल कंडीशन ठीक हुई, तब इस बंदे ने कुछ अलग करने का सोचा। 

उसने जॉब छोड़ी और एक ऐसे ऐप (app) को दुनिया के सामने लाने के बारे में सोचा, जो सिर्फ एक फोन नंबर से लोगों को आपस में कनेक्ट कर सके और यहां से शुरू होता है वह इंटरेस्टिंग किस्सा जिसे सुनने के बाद आप अपने अंदर एक अलग ही एनर्जी फील करोगे। 

दोस्तों यह बंदा जब अपने आइडिया पर काम कर रहा होता है उसी बीच फेसबुक (facebook) में जॉब मांगने के लिए जाता है और फेसबुक इस बंदे को रिजेक्ट कर देता है। क्योंकि उस वक्त फेसबुक को कहां पता होता है कि जिस बंदे को उन्होंने रिजेक्ट किया है वह उन्हीं के होश उड़ाने वाला है। 

और दोस्तों कुछ दिनों बाद ही 2010 में इस बंदे ने व्हाट्सअप (WhatsApp) को लॉन्च कर दिया जिसने 2011 में सफलता की एक ऐसी उड़ान भरी कि फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) के होश उड़ गए। 

व्हाट्सएप (WhatsApp) लोगों को इतना पसंद आया कि 2014 तक महज पांच सालों में ही इसने 45 करोड़ यूजर कंप्लीट कर लिए और फिर जिस फेसबुक ने इन्हें रिजेक्ट किया था उसी ने व्हाट्सएप (WhatsApp) को 1,00,000 करोड़ रुपए में खरीदा। और व्हाट्सएप की इस डील के लिए जैन कौम (Jan Koum) ने उसी जगह को चुना जहां पर वह कभी अपनी मां के साथ खाने के लिए घंटों लाइन में लगा करते थे। 

जैन कौम (Jan Koum) कहते है कि आपको अपना अतीत याद रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह आपको जिंदगी में आने वाली प्रॉब्लम्स से लड़ने की प्रेरणा देता है। अगर आप अपने हालातों का रोना रोते रहोगे तो यह दुनिया तुम्हें और रुलाएगी। इसलिए अपने बुरे हालातों पर रोने से बेहतर है कि इन्हें अपनी मेहनत से बदल डालो। 


6. पैसे की कीमत मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी (Value for Money Motivational Story in Hindi)

एक गांव में एक लोहार रहा करता था। वह बहुत मेहनती था। दिन रात जलती भट्ठी के सामने बैठ कर काम किया करता था, जिसकी वजह से उसके घर में कभी पैसों की कमी नहीं आती थी। लेकिन उसका एकलौता बेटा था। उसके कमाए हुए पैसों को पानी की तरह खर्च किया करता था। 

यह बात लोहार को बहुत बुरी लगती थी लेकिन वह करे भी तो क्या करे। उसका एकलौता बेटा था। उसे डायरेक्ट मना भी नहीं कर सकता था। लेकिन एक दिन लोहार ने अपने बेटे को सबक सिखाने के बारे में सोचा। 

वो अपने बेटे को पास बुलाता है और कहता है कि बेटा आज के बाद तुम्हें मुझे हर रोज ₹10 कमा कर देना होंगे और अगर तुम ऐसा नहीं कर पाओगे तो तुम्हें शाम का खाना नहीं मिलेगा। पिता की यह बात सुनने के बाद लड़का बहुत ज्यादा परेशान हो जाता है और वह काम की तलाश में निकल जाता है। 

पूरा दिन बहुत भटकने के बाद भी उसे कोई काम नहीं मिलता तो वापस अपने घर लौट जाता है। लेकिन जैसे ही शाम होती है उसे अपने पिता की कही हुई वह बात याद आती है तो लड़का अपनी मां के पास जाता है और अपनी मां से ₹10 लेकर अपने पिता को दे देता है। 

वह लोहार उन ₹10 को लेकर जलती आग की भट्टी में फेंक देता है। फिर कुछ दिनों तक यही सिलसिला चलता रहता है। लड़का रोज अपनी मां से ₹10 लेकर आता है और अपने पिता को दे देता है और उसके पिता उन पैसों को जलती आग की भट्टी में डाल देता है। 

लेकिन एक दिन उसकी मां उस लड़के को पैसे देने से मना कर देती है कि बेटा रोज रोज तुम पैसों का क्या करते हो और रोज रोज मैं तुम्हारे लिए पैसे कहां से लाऊं। तुम पैसे अपने पिता से क्यों नहीं मांगते? 

मां की यह बात सुनने के बाद वह लड़का और ज्यादा परेशान हो जाता है और वह एक बार फिर काम की तलाश में निकल जाता है। लेकिन बहुत भटकने के बाद भी उसे कहीं पर कोई काम नहीं मिलता। फिर वह अपने घर की ओर लौटने ही वाला था कि रास्ते में उसे एक बूढ़ा आदमी दिखाई देता है, जिसके पास लकड़ियों का बड़ा सा गट्ठर था और वह किसी का इंतजार कर रहा था। 

तो लड़का उस बूढ़े आदमी के पास जाता है और उनसे कहता है कि अगर आप बुरा ना मानो तो मैं आपके लकड़ियों के गट्ठर को आपके घर तक पहुंचा सकता हूं जिसके बदले में आप मुझे ₹10 दे देना। लड़के की यह बात सुनने के बाद वह बूढ़ा आदमी मान जाता है। 

उसके बाद वह लड़का उस बूढ़े आदमी के लकड़ियों के गट्ठर को सर पर उठाकर चलने लगता है। लकड़ियों के गट्ठर में बहुत ज्यादा वजन होता है और वह लड़का इतना वजन जिंदगी में पहली बार उठा रहा होता है। इसके कारण वह पसीना पसीना हो जाता है और दर्द के मारे बहुत ज्यादा थक जाता है। 

लेकिन जैसे तैसे वह लड़का उस लकड़ियों के गट्ठर को उस आदमी के घर तक पहुंचा देता है और उससे ₹10 लेकर सीधा अपने पिता के पास जाता है और अपने पिता को वह पैसे दे देता है। वह लोहार हर दिन की तरह उन पैसों को लेकर जलती आग की भट्टी में फेंकने ही वाला था कि वह लड़का अपने पिता का हाथ पकड़ लेता है और कहता है कि पिताजी शायद आपको पता नहीं यह पैसे कितनी मेहनत से आए हैं और आप इन्हें आग में फेंक रहे हैं। 

तो लोहार कहता है कि बेटा यही बात तुम्हें कब से समझाना चाहता हूं कि मैं जो दिन रात इस जलती आग की भट्टी के सामने बैठकर मेहनत करता हूं, मेरी इस मेहनत की कमाई को तुम पानी की तरह क्यों खर्च कर रहे हो? 

तुम्हें कब समझ आएगा कि पैसा बहुत कीमती होता है। पैसे को कमाने के लिए बहुत मेहनत करना पड़ती है। यह बात सुनकर उस लड़के को सारी बात समझ आ जाती है और वह लड़का उसी दिन से अपने पिता के साथ मिल जुलकर काम करने लग जाता है। 

कहानी का सीख (Moral of the Story)

दोस्तो, इस छोटी सी कहानी का सार यह है कि आप अपने माता पिता की कमाई को फिजूल कहीं पर खर्च न करें। जहां हो सकता है, बस वही लगाएं। बाकी फिजूल कहीं पर भी ₹1 खर्च न करें। क्योंकि दोस्तो, पैसा बहुत कीमती होता है और इसे बड़ी मेहनत से कमाया जाता है।


7. समय की कीमत मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी (Value of Time Motivational Kahani in Hindi)

एक गांव में एक बूढ़ा किसान रहता था। उसकी लाइफ में बहुत बड़ी समस्या थी। समस्या यह थी कि उसका इकलौता बेटा निकम्मा निकल गया था। वह सारा दिन इधर उधर दोस्तों के साथ घूमता। कहीं भी पैसा का कोई काम नहीं करता। इस बात से परेशान होकर बूढ़े किसान ने एक दिन उसे सबक सिखाने की सोची। 

उसने अपने बेटे को बुलाया और कहा कि जाओ अलमारी में मेरी घड़ी रखी है, उसे निकालकर ले आओ। लड़का जाता है और आलमारी से घड़ी निकालकर लेकर आता है। किसान ने कहा इस घड़ी को लेकर जाओ और बाजार में इसकी कीमत पता करके आओ। 

अब लड़का घड़ी लेकर बाजार निकल जाता है। उसने जगह जगह घड़ी की कीमत पूछी। किसी ने घड़ी की कीमत ₹100 तो किसी ने ₹200 तो किसी ने ₹500 बताई। शाम होते होते लड़का घड़ी लेकर वापस अपने पिताजी के पास आता है और उसने बताया कि पिताजी इसकी कीमत किसी ने 100, किसी ने 200 तो किसी ने 500 बताई। 

किसान ने कहा ठीक है कोई बात नहीं अब घड़ी रख दो और तुम जाओ। किसान का बेटा घड़ी रखकर दुबारा से वहां से चला जाता है। 

अगली सुबह किसान दुबारा से अपने बेटे को बुलाता है और कहता दुबारा से मेरी घड़ी निकालकर ले आओ। लड़का दुबारा जाता है और आलमारी में घड़ी निकालता है। किसान ने कहा कि इस बार जाओ और घड़ी में जो समय हो रहा है उसकी कीमत पता करके आओ। लड़के को समझ में नहीं आ रहा था कि उसके पिताजी उससे क्या करवाना चाहते हैं। वह दुखी मन से उस घड़ी को लेकर दुबारा बाजार में निकल जाता है। 

इस बार तो लोग उस पर हंसने लगे और कुछ लोग तो उसे पागल भी कहने लगे। लोगों ने कहा अजीब लड़का है। कभी घड़ी की कीमत पूछता है तो कभी घड़ी के समय की। शायद इसकी मानसिक स्थिति अच्छी नहीं है। यह पागल होने वाला है। अब लड़का एकदम परेशान हो जाता है। उसे समझ में नहीं आता कि उसके साथ हो क्या रहा है। 

अंत में उसने घर जाने का मन बना लिया। रास्ते में घर आते वक्त एक बड़े से सेठ की दुकान पढ़ती थी, जिनकी लाइफ बहुत बिजी थी। उसे बड़ी मुश्किल से एक मिनट का समय मिलता था तो उसने सोचा कि एक बार चलके सेठ जी से पूछ लेते हूँ, हो सकता है इनको पता हो। 

तो डरते डरते वह लड़का सेठ की दुकान पर गया और पूछा सेठ जी, इस घड़ी में जो टाइम हो रहा है उस टाइम की क्या कीमत है? सेठ जी उसकी तरफ देखने लगे। वह समझ गए कि लड़का क्या पूछना चाहता है। 

उन्होंने उस लड़के को बड़े ही प्यार से अपने पास बिठाया और बोला कि देखो बेटा इस घड़ी की कीमत हो सकती है पर इस घड़ी में जो समय हो रहा है उसकी कोई कीमत नहीं। तुम दुनिया की सारी दौलत देकर भी एक सेकंड अपनी लाइफ में पीछे नहीं जा सकते। 

अब लड़के को पूरी बात समझ में आ गई। वह समझ गया कि उसके पिता जी उसे क्या बताना चाहते थे। वह फौरन वहां से निकल जाता है आंखों में आंसू लिए जहां उसके पिता जी खड़ा होकर उसका इंतजार कर रहा था और उस दिन से उस लड़के की पूरी जिंदगी बदल जाती है।

कहानी का सीख (Moral of the Story)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि समय की कीमत अनमोल होती है। भले ही पैसों से घड़ी खरीदी जा सकती है, लेकिन अगर एक बार समय बीत गया तो उसमें बीता हुआ समय नहीं खरीदा जा सकता। इसलिये हमें अपने समय का सदुपयोग अपने भविष्य बनाने में करना चाहिए और इसे व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए।


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Rakesh Dewangan

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