Top 10 Moral Stories In Hindi: बच्चों के लिए नैतिक कहानियाँ

नैतिक कहानियाँ सदियों से हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा रही हैं। ये कहानियाँ न केवल बच्चों को बल्कि बड़ों को भी महत्वपूर्ण जीवन मूल्य सिखाती हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपके लिए शीर्ष 10 हिंदी नैतिक कहानियाँ (top 10 moral stories in hindi) प्रस्तुत कर रहे हैं, जो न सिर्फ मनोरंजन करेंगी, बल्कि आपको सोचने पर मजबूर भी करेंगी। 

इन शीर्ष 10 हिंदी नैतिक कहानियाँ (top 10 moral stories in hindi) में शामिल हैं ‘मां की प्यारी सीख’, ‘लकड़हारा की कहानी’, ‘किसान और सांप की नैतिक कहानी’, और ‘कौवा और कोयल की कहानी’ जैसी अमूल्य सीख देने वाली कहानियाँ। 

हर कहानी (moral stories in hindi) के पीछे छुपी नैतिकता या शिक्षा आपके बच्चे को जीवन में सच्चाई, ईमानदारी, परिश्रम और बुद्धिमानी का महत्व समझाएगी। साथ ही यह top 10 moral stories in hindi आपके बच्चों को आदर्श नागरिक बनने के लिये भी प्रेरित करेंगी।

तो चलिए, इन शीर्ष 10 हिंदी नैतिक कहानियों की दुनिया में गोता लगाएँ और जीवन की महत्वपूर्ण सीखें हासिल करें।

Table of Contents

Top 10 Moral Stories In Hindi: मजेदार सीख देने वाली कहानियाँ

  1. मां की प्यारी सीख – छोटी नैतिक कहानी (Short Moral Story in Hindi for Children)
  2. लकड़हारा की कहानी (Moral Stories in Hindi for Class 5)
  3. किसान और सांप की हिंदी नैतिक कहानी (Baccho ki Kahani in Hindi)
  4. कौवा और कोयल की कहानी (Panchatantra Short Stories in Hindi with Moral)
  5. फूटा घड़ा मोरल स्टोरी इन हिंदी (Hindi Kahaniya Moral Stories Hindi)
  6. हाथी और शेर की सीख देने वाली छोटी सी कहानी (Small Story for Kids in Hindi with Moral)
  7. चालाक लोमड़ी और कौवा की छोटी कहानी इन हिंदी (Short Moral Stories in Hindi for Kids)
  8. चार दोस्त की छोटी नैतिक कहानी इन हिंदी (Short Moral Stories in Hindi for Students)
  9. धोकेबाज़ भेड़िया और सारस (Short Moral Story in Hindi for Class 2)
  10. एहसान फरामोश, छोटी सी कहानी बच्चों के लिए (Moral Stories in Hindi for Class 5)
  11. भूखी चिड़िया, पंचतंत्र की नैतिक कहानीया (Hindi Short Story with Moral for Kids)
  12. बुद्धिमान ऊट, दिल छुने वाली कहानी (Heart-touching Hindi Moral Stories for Kids)
  13. मूर्ख साधु और ठग की कहानी (Short Moral Stories in Hindi for Class 2)
  14. नेवला और ब्राह्मण की पत्नी की कहानी (Short Story in Hindi with Moral)
  15. साहसी बालक, मोटिवेशनल कहानी छोटी सी (Short Story in Hindi with Moral)

Top 10 Moral Stories in Hindi with Pictures: बच्चों के लिए नैतिक कहानियाँ

तो दोस्तो, यह है हिंदी में शीर्ष 10 नैतिक कहानियाँ जिन्हे आपके बच्चो के लिए तैयार की है। आशा है कि बच्चों की ये नैतिक कहानियाँ आपके बच्चो को नैतिक शिक्षा देते हुये उनके मानसिक विकाश मे बहुत सहयोगी शाबित होगी।

1. मां की प्यारी सीख – छोटी नैतिक कहानी (Short Moral Story in Hindi for Children)

मां की प्यारी सीख - छोटी नैतिक कहानी (Short Moral Story in Hindi for Children)

चेतन अपनी मां के साथ एक बहुत अच्छे घर में रहता था। वह बहुत अच्छा लड़का था और सदा अपनी मां का कहना मानता था। चेतन की मां बहुत अच्छे पकवान बनाती थी। चेतन को पकवान खाना बहुत पसंद था। 

एक दिन चेतन की मां ने बहुत बढ़िया कुकीज बनाकर एक बड़े जार में रख दी और फिर बाजार चली गई। बाजार जाने से पहले चेतन की मां उसको कह गई थी कि अपना गृहकार्य (homework) समाप्त करने के बाद वह कुकीज खा सकता है। 

चेतन बहुत खुश हुआ। उसने जल्दी से अपना गृहकार्य समाप्त करके अपनी मां के लौटने से पहले ही कुकीज खानी चाही। इसीलिए वह एक स्टूल पर चढ़ गया। फिर उसने जार के अंदर हाथ डालकर ढेर सारी कुकीज निकालने की कोशिश की, पर जार का मुंह छोटा होने के कारण वह अपना हाथ बाहर नहीं निकाल सका। 

उसी समय उसकी मां बाजार से लौट आई। जब उसने चेतन को देखा तो वह हंसने लगी और अपने बेटे चेतन से कहा – चेतन हाथ से ढेर सारी कुकीज छोड़कर केवल दो या तीन कुकीज हाथ में पकड़कर हाथ बाहर निकालो। 

मां की बात मानकर जब उसने सिर्फ दो कुकीज हाथ में पकड़ी, तब वह आसानी से अपना हाथ बाहर निकाल सका। तब उसकी मां ने प्यार से कहा, ऐसा करने से तुमने क्या सीखा?

कहानी का सीख (Moral of the Story)

चेतन ने कहा, मैंने सीखा है कि किसी भी चीज का लालच अच्छी बात नहीं है। हमें हर चीज उतनी ही लेनी चाहिए, जितनी हमें जरूरत हो।


2. लकड़हारा की कहानी (Moral Stories in Hindi for Class 5)

लकड़हारा की कहानी (Moral Stories in Hindi for Class 5)

सालों पहले एक नगर में इंद्री के नाम का एक लकड़हारा रहता था। वह रोज जंगल लकड़ी काटने के लिए जाता और उन्हें बेचकर जो कुछ पैसे मिलते उससे अपने लिए खाना खरीद लेता था। उसकी दिनचर्या सालों से ऐसी ही चल रही थी। 

एक दिन लकड़हारे जंगल में बहती एक नदी के बगल में लगे एक पेड़ की टहनियों को काटने के लिए उस पर चढ़ा। उस पेड़ की लकड़ी काटते काटते उस लकड़हारे की कुल्हाड़ी नीचे गिर गई। तेजी से लकड़हारा पेड़ से उतरा और अपनी कुल्हाड़ी को ढूंढने लगा। उसे लगा था कि नदी के आसपास उसकी कुल्हाड़ी गिरी होगी और ढूंढने पर मिल जाएगी। 

वास्तव में ऐसा कुछ हुआ नहीं, क्योंकि उसकी कुल्हाड़ी पेड़ से सीधा नीचे नदी में जा गिरी थी। वह नदी काफी गहरी और तेज बहाव वाली थी। आधे से एक घंटे तक लकड़हारा अपनी कुल्हाड़ी को ढूंढता रहा। लेकिन जब लकड़ी नहीं मिली तो उसे लगने लगा कि अब उसकी कुल्हाड़ी उसे कभी वापस नहीं मिलेगी। 

इससे वह काफी दुखी हो गया। लकडहारे को पता था कि उसके पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि वह नई कुल्हाड़ी खरीद सके। अब वह अपनी स्थिति पर नदी किनारे बैठे बैठे रोने लगा। 

लकड़हारे की रोने की आवाज सुनकर वहां नदी देवता आ गए। उन्होंने लकड़हारे से पूछा, बेटा, क्या हो गया? तुम इतना क्यों रो रहे हो? कुछ खो दिया है क्या तुमने इस नदी में? 

नदी के देवता के सवाल सुनते ही लकडहारे ने उन्हें अपनी कुल्हाड़ी गिरने की कहानी सुना दी। नदी के देवता ने पूरी बात सुनते ही कुल्हाड़ी को ढूंढने में लकड़हारे की मदद करने की बात कही और वहां से चले गए। कुछ देर बाद नदी के देवता नदी से बाहर निकलकर आए और उन्होंने लकड़हारे से कहा कि मैं तुम्हारी कुल्हाड़ी लेकर आ गया हूं। 

नदी के देवता की बातें सुनकर लकड़हारे के चेहरे पर मुस्कान आ गई। तभी लकड़हारे ने देखा कि नदी के देवता ने अपने हाथों में सुनहरी रंग की कुल्हाड़ी ले रखी है। दुखी मन से लकड़हारे ने कहा। यह सुनहरी रंग की कुल्हाड़ी मेरी तो बिल्कुल भी नहीं है। यह सोने की कुल्हाड़ी जरूर किसी अमीर इंसान की रही होगी। 

लकडहारे की बात सुनकर नदी के देवता दोबारा से गायब हो गए। कुछ देर बाद नदी के देवता दोबारा नदी से बाहर निकले। इस बार उनके हाथों में चाँदी की कुल्हाड़ी थी। उस कुल्हाड़ी को देखकर भी लकडहारे को खुशी नहीं हुई। उसने कहा कि यह भी मेरी कुल्हाड़ी नहीं है। ये किसी दूसरे इंसान की कुल्हाड़ी होगी। आप उसी को यह कुल्हाड़ी दे दीजिएगा। मुझे तो अपनी ही कुल्हाड़ी ढूंढनी है। 

इस बार भी लकडहारे की बात सुनकर नदी के देवता फिर वहां से चले गए। पानी में गए भगवान इस बार काफी देर बाद बाहर आए। अब देवता को देखते ही लकडहारे के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान थी। 

उसने नदी के देव से कहा कि इस बार आपके हाथ में लोहे की कुल्हाड़ी है और लग रहा है कि यह मेरी ही कुल्हाड़ी है। ऐसी ही कुल्हाड़ी पेट काटते समय मेरे हाथ से नीचे गिर गई थी। आप यह कुल्हाड़ी मुझे दे दीजिए और दूसरी कुल्हाड़ियों। को उनके असली मालिक तक पहुंचा दीजिए। 

लकड़हारे की इतनी ईमानदारी और निष्पाप मन को देखकर नदी के देवता को काफी अच्छा लगा। उन्होंने लकड़हारे से कहा कि तुम्हारे मन में बिल्कुल भी लालच नहीं है। तुम्हारी जगह कोई और होता तो सोने की कुल्हाड़ी झट से ले लेता, लेकिन तुमने ऐसा बिल्कुल भी नहीं किया। 

चाँदी की कुल्हाड़ी को भी तुमने लेने से इनकार कर दिया। तुम्हें सिर्फ अपनी लोहे की ही कुल्हाड़ी चाहिए थी। तुम्हारे इतने पवित्र और सच्चे मन से मैं काफी प्रभावित हूं। मैं तुम्हें उपहार में सोने और चांदी दोनों की ही कुल्हाड़ी देना चाहता हूं। तुम अपनी लोहे की कुल्हाड़ी के साथ इन्हें भी अपने पास अपनी ईमानदारी के तोहफे के तौर पर रख लो। 

कहानी का सीख (Moral of the Story)

ईमानदारी से बड़ी दौलत इस दुनिया में कुछ नहीं है। अच्छे ईमान वाले इंसान की चारों तरफ प्रशंसा होती है।


3. किसान और सांप की हिंदी नैतिक कहानी (Baccho ki Kahani in Hindi)

किसान और सांप की हिंदी नैतिक कहानी (Baccho ki Kahani in Hindi)

एक बार की बात है, एक गांव में एक किसान अपने पुत्र बंटी के साथ रहा करता था। वह खेती करके अपनी और अपने पुत्र की गुजर बसर करता था। उसका पुत्र बंटी भी खेती में अपने पिता की सहायता करता था। 

एक दिन किसान अपने पुत्र के साथ खेत पर काम कर रहा था, तभी उसके पुत्र का पांव एक सांप की पूंछ पर पड़ गया। पूंछ पर पांव पड़ते ही सांप ने उस किसान के पुत्र को डस लिया और किसान के पुत्र की मौत हो गई। अपनी आंखों के सामने अपने पुत्र की मृत्यु देखकर किसान क्रोधित हो गया और अपने पुत्र की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए किसान ने उस सांप की पूंछ काट दी। 

पूंछ कटते ही सांप दर्द के मारे छटपटाने लगा। अपनी कटी पूंछ को देखकर उस सांप को बड़ा क्रोध आया और प्रतिशोध लेने के लिए वह किसान की गोशाला में घुस गया और सभी पशुओं को डस लिया और पशुओं की मृत्यु हो गई। 

इतना नुकसान देख कर किसान सोचता है। सांप से बैर के कारण मेरी बहुत हानि हो चुकी है। अब इस बैर का अंत करना ही उचित होगा। मुझे सांप की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाना चाहिए।

किसान ने एक दूध से भरा कटोरा सांप के बिल के पास रख दिया और कहा – हम दोनों ने एक दूसरे का बहुत नुकसान कर लिया। अब इस बैर का अंत कर मित्रता कर लेते हैं। जो हुआ उसे तुम भूल जाओ और मैं भी भूल जाता हूं।

तो वह सांप बिल के अंदर से कहता है – दूध का कटोरा लेकर तुम यहां से चले जाओ। मेरे कारण तुमने अपना पुत्र खोया है जो तुम कभी नहीं भूल पाओगे और तुम्हारे कारण मैंने अपनी पूंछ खोई है जो मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा। इसीलिए हमारे बीच मित्रता संभव नहीं है।

इस तरह उस किसान और सांप की दुश्मनी चलती रही। 

कहानी का सीख (Moral of the Story)

क्रोध में लिए गए फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं।


4. कौवा और कोयल की कहानी (Panchatantra Short Stories in Hindi with Moral)

कौवा और कोयल की कहानी (Panchatantra Short Stories in Hindi with Moral)

सालों पहले चांद नगर के पास एक जादुई जंगल था जिसमें जंगली फूल और विविध प्रकार के वन्य जीवन भरे पड़े थे। इस जंगल के बीचोबीच एक विशाल बरगद का पेड़ था, जिसकी शाखाएं फैली हुई थीं और उस पर गहरी हरी पत्तियां थीं। इस पेड़ पर एक कौवा और एक कोयल ने अपने अपने घोंसले बना रखे थे। 

एक रात जब जंगल में तेज आंधी उठी तो पेड़ लहराने लगे और भयानक गरज के साथ बारिश शुरू हो गई। वह रात बहुत ही डरावनी थी। बारिश से जंगल में उपजाऊ मिट्टी धुल गई और नन्हें जीव जंतु शरण की तलाश में भटकने लगे। जब सुबह हुई तो आंधी और बारिश के कारण जंगल का बहुत नुकसान हुआ था और बहुत से वृक्ष और पौधे क्षतिग्रस्त हो गए थे। 

कौवा और कोयल दोनों ही अपनी भूख मिटाने के लिए भोजन की तलाश में थे परंतु उन्हें कुछ भी नहीं मिला। इसी दुर्दशा में कोयल ने कौवे से प्रस्ताव रखा कि जब वह अंडा दे तो कौवा उसे खाकर अपनी भूख मिटाए और जब कौवा अंडा दे तो वह उसे खाकर अपनी भूख मिटाए। 

कौवे ने इस पर सहमति जताई और संयोग से पहला अंडा कौवे ने ही दिया। कोयल ने उसे खाया और अपनी भूख मिटाई। जब कोयल ने अंडा दिया और कौवा उसे खाने लगा तो कोयल ने उसे रोका और कहा कि पहले अपनी चोंच साफ करो। 

कौवा तुरंत नदी के किनारे गया और नदी से पानी मांगा। नदी ने कहा कि वह पानी के लिए बर्तन लाए। तब कौवा कुम्हार के पास गया और उससे बरतन मांगा। कुम्हार ने कहा कि वह पहले मिट्टी लाए तब वह बरतन बना देगा। कौवा तब धरती मां से मिट्टी मांगने गया, जिन्होंने बदले में खुरपी की मांग की। कौवा तुरंत लोहार के पास पहुंचा और उससे खुरपी मांगी। लोहार ने उसे गर्म खुरपी दे दी, जिसे पकड़ते ही कौवे की चोंच जल गई और वह दर्द से तड़पते हुए मर गया। 

कहानी का सीख (Moral of the Story)

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि कभी भी किसी पर अंधाधुंध भरोसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे अंततः नुकसान हमारा ही होता है। 

चतुर कोयल के कारण उसका अंडा सुरक्षित रहा और कौवा अपनी चालाकी के चलते खुद ही अपनी मौत का कारण बन गया। 


5. फूटा घड़ा मोरल स्टोरी इन हिंदी (Hindi Kahaniya Moral Stories Hindi)

फूटा घड़ा मोरल स्टोरी इन हिंदी (Hindi Kahaniya Moral Stories Hindi)

एक गांव में श्याम नाम का किसान था। उसका एक छोटा सा खेत था। उसके पास दो मिट्टी के घड़े थे, जिससे वह रोज अपने घर के लिए पानी लेकर आता था, लेकिन उनमें से एक घड़ा फूट चुका था। नदी से पानी लाने पर जिसकी वजह से एक घड़ा भरा हुआ रहता था और दूसरा आधा ही भरा हुआ रहता था। 

फूटा घड़ा बहुत शर्मिंदा रहता था कि वह आधा पानी ही घर पहुंचा पाता है। सही घड़े को इस बात का बहुत घमंड था कि वह पूरा का पूरा पानी घर पहुंचाता है। इसलिए वह फूटा घड़े को कहता है कि तू आधा पानी लाकर मालिक का मेहनत बेकार कर देता है।

यह सुनकर फूटे घड़े को बहुत दुख होता है। इस तरह दोनों घड़े की बातें सुनकर श्याम फूटे घड़े को कहता है, तुम सिर्फ अपनी बुराई देख रहे हो, पर मैं शुरू से ही उस बुराई के साथ छिपी अच्छाई को भी देख रहा हूं। इसीलिए मुझे कभी भी तुममें कमी दिखाई नहीं दी। तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि तुम मेरे किसी काम के ही नहीं हो? जाने अनजाने में तुमने मेरी बहुत मदद की है।

इस पर फूटा घड़ा कहता है, वह कैसे?

श्याम फूटे घड़े को कहता है, हर रोज जब हम नदी से घर वापस आते हैं तो तुम्हारा आधा पानी उस जमीन पर गिरता है, जिससे वहां फूलों को उगने में मदद मिलता है। तो तुम कैसे कह सकते हो कि तुम मेरे किसी काम के ही नहीं हो?

इस पर फूटा घड़ा फिर कहता है, इन सब में आपकी मदद कैसे हुई?

श्याम कहता है, वह ऐसा है कि अब मैं खेती के साथ साथ उन फूलों को भी बाजार में बेचने लगा हूं, जिससे मेरे पास और अधिक धन आ जाता है। उस धन से मैं खेत के लिए ज्यादा और अच्छे बीज खरीद लेता हूं। यह सब तुम्हारे वजह से ही हो पाया है। इसीलिए तुम आज के बाद अपने आप को कभी भी कम मत समझना।

कहानी का सीख (Moral of the Story)

इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी के हुनर का मजाक नहीं बनाना चाहिए बल्कि उसकी अच्छाई को ढूंढकर उसे और नेक करना चाहिए।


6. हाथी और शेर की सीख देने वाली छोटी सी कहानी (Small Story for Kids in Hindi with Moral)

हाथी और शेर की सीख देने वाली छोटी सी कहानी (Small Story for Kids in Hindi with Moral)

एक बार एक जंगल में एक शेर अकेला बैठा हुआ था। वह अपने बारे में सोच रहा था कि मेरे पास तो तेज धारदार मजबूत पंजे और दांत हैं। साथ ही मैं एक बहुत ही ताकतवर जानवर भी हूं। लेकिन फिर भी जंगल के सारे जानवर हमेशा मोर की ही तारीफ क्यों करते रहते हैं? 

दरअसल शेर को इस बात से बहुत जलन महसूस होती थी कि सभी जानवर मोर की तारीफ करते थे। जंगल के सभी जानवर कहते थे कि मोर जब भी अपने पंख फैलाकर नाचता है तो वह बहुत सुंदर लगता है। यही सब सोचकर शेर बहुत दुखी हो रहा था। 

वह सोच रहा था कि इतना ताकतवर होने और जंगल का राजा होने पर भी कोई उसकी तारीफ नहीं करता है। ऐसे में उसके इस जीवन का क्या मतलब है? 

तभी वहां से एक हाथी जा रहा था। वह भी काफी दुखी था। जब शेर ने उस दुखी हाथी को देखा तो उससे पूछा, तुम्हारा शरीर इतना बड़ा है और तुम ताकतवर भी हो, फिर भी इतने दुखी क्यों हो? तुम्हें क्या परेशानी है? दुखी हाथी को देखकर शेर ने सोचा की क्यों न मैं इस हाथी के साथ अपना दुख बांट लूं। 

उसने आगे कहते हुए हाथी से पूछा कि क्या इस जंगल में ऐसा कोई जानवर है जिससे तुम्हें जलन होती हो और वह तुम्हें हानि पहुँचाता हो? शेर की बात सुनकर हाथी ने कहा, जंगल का सबसे छोटा जानवर भी मुझ जैसे बड़े जानवर को परेशान कर सकता है। 

शेर ने पूछा वह कौन सा छोटा जानवर है? हाथी ने कहा महाराज, वह जानवर चींटी है। वह इस जंगल में सबसे छोटी है। लेकिन जब भी वह मेरे कान में घुसती है तो मैं दर्द के मारे पागल हो जाता हूं। हाथी की बात सुनकर शेर को समझ में आ गया कि मोर तो मुझे चींटी की तरह परेशान भी नहीं करता है, फिर भी मुझे उससे जलन होती है। 

ईश्वर ने सभी प्राणियों को अलग अलग खामियां और खूबियां दी हैं। इसी वजह से सारे प्राणी एक जैसे ही ताकतवर या कमजोर नहीं हो सकते हैं। 

इस तरह शेर को यह समझ में आ गया कि उस जैसे ताकतवर जानवर में भी खूबियों के साथ कमियां हो सकती हैं। इससे शेर के मन में उसका खोया हुआ आत्मविश्वास फिर से बढ़ गया और उसने मोर से जलन करना बंद कर दिया। 

कहानी का सीख (Moral of the Story)

कहानी से येह सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी की खूबी देखकर उससे नहीं जलना चाहिए क्योंकि हम सभी में अलग अलग खूबियां और खामियां होती हैं।


7. चालाक लोमड़ी और कौवा की छोटी कहानी इन हिंदी (Short Moral Stories in Hindi for Kids)

चालाक लोमड़ी और कौवा की छोटी कहानी इन हिंदी (Short Moral Stories in Hindi for Kids)

एक बार की बात है, कालिया कौवा खाने की तलाश में इधर उधर उड़ रहा था। वह कह रहा था, आज सुबह से मैंने कुछ नहीं खाया। मेरे पेट में चूहे दौड़ रहे हैं। मैं कहीं भूख से मर ही न जाऊं।

उड़ते उड़ते उसे अचानक एक पेड़ के पास पनीर का टुकड़ा गिरा पड़ा दिखा। पनीर देखकर उसके मुंह में पानी आ गया। कालिया ने जल्दी से वह टुकड़ा उठाया और पेड़ की सबसे ऊपर वाली टहनी पर जाकर के बैठ गया। वह खुश हो गया, हा हा हा, शुकर है भगवान का। कुछ तो खाने को मिला। अब तो मैं इसे धीरे धीरे पूरा आनंद लेते हुए खाऊंगा।

वहीं पास में एक शालू लोमड़ी रहती थी, जो काफी समय से भूखी थी और खाने की तलाश में इधर उधर घूम रही थी। तभी उसने देखा कि एक पेड़ के ऊपर एक कौवा अपनी चोंच में एक पनीर का टुकड़ा लेकर बैठा है। पनीर देखकर उसके मुंह में पानी आ गया और उसने वह पनीर कालिया कौवे से छीनना चाहा। 

वह पेड़ के पास गई और कालिया से बोली, तुम कितनी खूबसूरत हो कालिया, मैंने तुमसे पहले कोई भी इतना सुंदर पक्षी नहीं देखा। तुम्हारी दोनों आंखें बहुत खूबसूरत हैं और तुम्हारे पंख कितने शानदार हैं। 

कालिया अपनी तारीफ सुनकर बहुत खुश हुआ और वह बातों में बहता ही चला गया। 

शालू लोमड़ी कालिया से फिर कहती है, मुझे आशा है कि तुम्हारी आवाज भी इतनी ही खूबसूरत होगी जितने तुम हो। क्या तुम मेरे लिए गाना गाओगे? मैं तुम्हारी मधुर आवाज सुनना चाहती हूं? 

कालिया कौवा अपनी झूठी तारीफ में इतना मग्न हो गया कि वह भूल ही गया कि उसके मुंह में एक पनीर का टुकड़ा है और जैसे ही कालिया ने गाना गाने के लिए मुंह खोला तो पनीर का टुकड़ा नीचे जमीन पर गिर गया। लोमड़ी ने भागकर वह टुकड़ा उठाया और जल्दी से वहां से भाग गई। 

कालिया जोर जोर से रोने लगा। अरे यार, यह मैंने क्या किया? मैं अपनी झूठी तारीफों में इतना खो गया कि मेरा दिमाग ही चलना बंद हो गया। और कालिया कौवा फिर से खाने की तलाश में उड़ गया। 

कहानी का सीख (Moral of the Story)

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि हर जीव को उसकी काबिलियत का पता होता है। पर कई बार लोग झूठी तारीफों में फंसकर अपना ही नुकसान करवा बैठते हैं। तो बच्चों कभी भी चापलूसी करने वालों का विश्वास मत करो। 


8. चार दोस्त की छोटी नैतिक कहानी इन हिंदी (Short Moral Stories in Hindi for Students)

चार दोस्त की छोटी नैतिक कहानी इन हिंदी (Short Moral Stories in Hindi for Students)

एक बार चार दोस्त थे। चारों को पढ़ाई करना बिल्कुल भी पसंद नहीं था। चारों पूरी पूरी रात पार्टी करते रहते थे। एग्जाम के पहले दिन भी वह पार्टी कर रहे थे और इसीलिए उन्होंने सोचा कि वह टीचर के पास जाकर उनसे झूठ कहेंगे और एग्जाम बाद में कभी दे देंगे। 

पार्टी करने के बाद दूसरे ही दिन चारों दोस्त टीचर के पास गए और टीचर से झूठ बोलने लगे कि कल रात हम एक शादी में गए थे और शादी से घर लौटते समय हमारी गाड़ी का टायर पंक्चर हो गया। गाड़ी में एक्सट्रा टायर नहीं था इसीलिए हमें गाड़ी को धक्का मारते मारते घर तक लेकर आना पड़ा। 

हम कल रात इतना थक गए थे कि आज एग्जाम देने की हालत में नहीं है तो क्या हम एग्जाम बाद में दे सकते हैं? 

टीचर ने उनकी बात सुनी और उनसे कहा कि तुम एग्जाम कल दे सकते हो। चारों यह सुनकर बहुत ही खुश हो गए और घर जाकर पढ़ाई करने लगे। 

दूसरे दिन चारों एग्जाम देने पहुंचे। टीचर ने उन्हें अलग अलग क्लासरूम में बिठाया। क्वेश्चन पेपर (question paper) में सिर्फ दो ही प्रश्न थे। पहला तुम्हारा नाम क्या है और दूसरा कि गाड़ी का कौनसा टायर पंक्चर हो गया था। 

क्योंकि चारों दोस्तो ने झूठ कहा था इसीलिए चारों के उत्तर अलग अलग थे। इस प्रकार टीचर ने बडे ही चालाकी से उनका झूठ पकड़ लिया। 

कहानी का सीख (Moral of the Story)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि झूठ बोलना बुरी बात है। इसीलिए हमें झूठ कभी नहीं बोलना चाहिए।


9. धोकेबाज़ भेड़िया और सारस (Short Moral Story in Hindi for Class 2)

धोकेबाज़ भेड़िया और सारस (Short Moral Story in Hindi for Class 2)

एक भेडिये ने भैंसे का शिकार किया। वो उसके मांस को खा रहा था कि अचानक एक बड़ी हड्डी उसके गले में अटक गई। वह दर्द से छटपटाने लगा। गले में बहुत दर्द था। उसे लगा कि उसकी जिंदगी का अंत आ गया है। अचानक उसे एक सारस दिखाई दिया। 

उसने बड़ी मुश्किल से कहा – सारस भैया, सारस भैया, मेरे दोस्त, तुम मेरी मदद करो। मेरे गले में फंसी हुई हड्डी को निकाल दो। तुम्हारा एहसान मानूंगा। इनाम भी दूंगा।

सारस ने भेड़िये के मुंह में अपनी लंबी गर्दन डाल दी और चोंच के सहारे हड्डी को निकाल दिया। भेड़िये की जान में जान आई। भेड़िये ने कहा, बच गया, बच गया, बच गया।

सारस ने बोला, भेड़िय दोस्त, दो मेरा इनाम कहां है? मेरा इनाम।

इतेने में भेड़िया सारस से कहता है, अरे मूर्ख! इनाम मांगता है, शुगर कर तेरी गर्दन जब मेरे मुंह में थी तो मैंने उसे दबोच नहीं लिया। जरा सोचो, अगर मैं जबड़ा बंद कर लेता तो तेरा क्या होता?

कहानी का सीख (Moral of the Story)

तो बच्चो, इस कहानी ये यह सीखने को मिलता है कि हमें नेकी उन्हीं के साथ करनी चाहिए, जो उनके लायक हों। 


10. एहसान फरामोश, छोटी सी कहानी बच्चों के लिए (Moral Stories in Hindi for Class 5)

एहसान फरामोश, छोटी सी कहानी बच्चों के लिए (Moral Stories in Hindi for Class 5)

एक बहुत घने जंगल में एक महात्मा अपनी कुटिया में रहा करते थे। वह हमेशा तपस्या करते रहते थे। एक दिन जब वह अपने ध्यान में खोए हुए थे तो उनकी गोद में एक चूहा आ गिरा जो एक उड़ते हुए कौवे की चोंच से छूट गया था। महात्मा ने उसे प्यार से उठाया और अपने बच्चे की तरह उसका पालन पोषण करने लगे। 

परंतु एक दिन एक बिल्ली उस पर झपट पड़ी और चूहा अपनी जान बचा महात्मा की गोद में कूद पड़ा। महात्मा ने उसका बचाव करते हुए कहा, तो तुम बिल्ली से डरते हो। क्यों न तुम्हें बिल्ली ही बना दूं? जाओ और बिल्ली बन जाओ।

वह चूहा तो सचमुच बिल्ली बन गया, परंतु बिल्ली भी तो कुत्तों से डरती है। और वही हुआ। एक दिन उस पर कुत्ते ने हमला कर दिया। और बिल्ली झट से महात्मा के पास आ गई। महात्मा ने कहा, ओह। तो अब तुम्हें कुत्ते से डर लगने लगा। अच्छा तो जाओ, तुम भी कुत्ता बन जाओ।

कहने की देर थी कि बिल्ली कुत्ते में परिवर्तित हो गई। परंतु क्या कुत्ता निडर हो सकता है? अब उसे शेर से डर लगने लगा। महात्मा ने कहा, क्यों न मैं तुम्हे शेर ही बना दूं? कम से कम फिर तो तुम्हें किसी से डर नहीं लगेगा। और फिर सचमुच एक कमजोर चूहा देखते ही देखते एक शक्तिशाली शेर बन गया। 

परंतु महात्मा तो उसे आज भी शायद चूहा ही समझ रहे थे। शेर ने सोचा, जब तक महात्मा जिंदा रहेगा, मुझे भी अपना पुराना रूप याद आता रहेगा। इसे समाप्त करने में ही मेरी भलाई है। न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी। 

इससे पहले कि शेर महात्मा पर हमला करे, महात्मा ने उसके मन के भाव पढ़ लिए और बोले, जाओ एहसान फरामोश दुबारा चूहा बन जाओ, तुम उसी लायक हो। बलशाली शेर फिर दुबारा चूहा बन गया। 

कहानी का सीख (Moral of the Story)

इस छोटी सी कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि हमें भोजन देने वाले हाथों को कभी घायल नहीं करना चाहिए।


11. भूखी चिड़िया, पंचतंत्र की नैतिक कहानिया (Hindi Short Story with Moral for Kids)

भूखी चिड़िया, पंचतंत्र की नैतिक कहानीया (Hindi Short Story with Moral for Kids)

सालों पहले एक घंटाघर में टिंकू चिड़िया अपने माता पिता और पांच भाइयों के साथ रहती थी। टिंकू चिड़िया छोटी सी थी। उसके पंख मुलायम थे। उसकी मां ने उसे घंटाघर की ताल पर चहकना सिखाया था। 

घंटाघर के पास ही एक घर था जिसमें पक्षियों से प्यार करने वाली एक महिला रहती थी। वह टिंकू चिड़िया और उसके परिवार के लिए रोज रोटी का टुकड़ा डालती थी। एक दिन वह बीमार पड़ गई और उसकी मौत हो गई। टिंकू चिड़िया और उसका पूरा परिवार उस औरत के खाने पर निर्भर था। 

अब उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं था और न ही वह अपने लिए खाना जुटाने के लिए कुछ करते हैं। 

एक दिन भूख से बेहाल होने पर टिंकू चिड़िया के पिता ने कीड़ों का शिकार करने का फैसला किया। काफी मेहनत करने के बाद उन्हें तीन कीड़े मिले, जो परिवार के लिए काफी नहीं थे। वे आठ लोग थे, इसलिए उन्होंने टिंकू और उसके दो छोटे भाइयों को खिलाने के लिए कीड़े साइड में रख दिए। 

इधर, खाने की तलाश में भटक रही टिंकू, उसके भाई और उसकी मां ने एक घर की खिड़की में चोंच मारी ताकि कुछ मिल जाए, लेकिन कुछ नहीं मिला। उल्टा घर के मालिक ने उन पर राख फेंक दी, जिससे तीनों भूरे रंग के हो गए। 

उधर, काफी तलाश करने के बाद टिंकू के पिता को एक ऐसी जगह मिली जहां काफी संख्या में कीड़े थे। उनके कई दिनों के खाने का इंतजाम हो चुका था। वह जब खुशी खुशी घर पहुंचा तो वहां कोई नहीं मिला। वह परेशान हो गया। 

तभी टिंकू चिड़िया, उसका भाई, और मां वापस लौटे तो पिता उन्हें पहचान नहीं पाए और गुस्से में उन्होंने सबको भगा दिया। टिंकू ने पिता को समझाने की काफी कोशिश की। उसने बार बार बताया कि किसी ने उनके ऊपर रंग फेंका है, लेकिन टिंकू के हाथ असफलता ही लगी। 

उसकी मां और भाई भी निराश हो गए। लेकिन टिंकू ने हार नहीं मानी। वह उन्हें लेकर तालाब के पास गई और नहलाकर सबकी राख हटा दी। तीनों अब अपने पुराने रूप में आ गए। अब टिंकू के पिता ने भी उन्हें पहचान लिया और माफी मांगी। 

अब सब मिलकर खुशी खुशी एक साथ रहने लगे। उनके पास खाने की भी कमी नहीं थी। 

कहानी का सीख (Moral of the Story)

इस छोटी सी कहानी से यह सीखने को मिलता है कि हमें कभी भी किसी पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहिए। इंसान को खुद मेहनत करके अपनी जरूरत की चीजों को जुटाना चाहिए।


12. बुद्धिमान ऊँट, दिल छुने वाली कहानी (Heart-touching Hindi Moral Stories for Kids)

बुद्धिमान ऊट, दिल छुने वाली कहानी (Heart-touching Hindi Moral Stories for Kids)

बहुत पुरानी बात है। एक जंगल में दो पक्के दोस्त रहते थे। एक था गीदड़ और दूसरा था ऊँट। गीदड़ काफी चालाक था और ऊँट सीधा सा। ये दोनों दोस्त घंटों नदी के पास बैठकर अपना सुखदुख बांटते थे। दिन गुजरते गए और उनकी दोस्ती गहरी होती गई। 

एक दिन किसी ने गीदड़ को बताया कि पास के खेत में पके हुए तरबूज है। यह सुनते ही गीदड़ का मन ललचा गया, लेकिन वह खेत नदी पार था। अब नदी को पार करके खेत तक पहुंचना उसके लिए मुश्किल था। इसलिए वह नदी पार करने की तरकीब सोचने लगा।

सोचते सोचते वह ऊंट के पास चला गया। उनने दिन के समय गीदड़ को देखकर पूछा, मित्र, तुम यहां कैसे? हम तो शाम को नदी किनारे मिलने वाले थे। तब गीदड़ ने बड़ी ही चालाकी से कहा देखो मित्र, पास के ही खेत में पके तरबूज हैं। मैंने सुना है तरबूज बहुत मीठे हैं। तुम उन्हें खाकर खुश हो जाओगे। इसलिए तुम्हें बताने चला आया। 

ऊंट को तरबूज काफी पसंद था। वह बोला, वाह! मैं अभी उस गांव में जाता हूं। मैंने बहुत समय से तरबूज नहीं खाए हैं ओर जल्दी जल्दी नदी पार करके खेत जाने की तैयारी करने लगा। 

तभी गीदड़ ने कहा दोस्त तरबूज मुझे भी अच्छे लगते हैं लेकिन मुझे तैरना नहीं आता है। तुम तरबूज खा लोगे तो मुझे लगेगा कि मैंने भी खा लिए। तभी ऊंट बोला तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हें अपनी पीठ पर बैठाकर नदी पार करवाऊंगा। फिर साथ में मिलकर तरबूज खाएंगे। 

उन्होंने जैसा कहा था, वैसा ही किया। खेत में पहुंचकर गीदड़ ने मन भरकर तरबूज खाए और खुश हो गया। खुशी के मारे वह जोर जोर से आवाजें निकालने लगा। तभी उंट ने कहा तुम शोर मत मचाओ। लेकिन वह माना नहीं। गीदड़ की आवाज सुनकर किसान डंडे लेकर खेत के पास आ गए। 

गीदड़ चालाक था, इसलिए जल्दी से पेड़ों के पीछे छुप गया। पर ऊंट का शरीर बड़ा था, इसलिए वह छुप नहीं पाया। किसानों ने गुस्से के मारे उसे बहुत मारा। किसी तरह अपनी जान बचाते हुए खेत के बाहर निकला। तभी पेड़ के पीछे छुपा गीदड़ बाहर आ गया। 

गीदड़ को देखकर ऊंट ने गुस्से में पूछा तुम क्यों इस तरह चिल्ला रहे थे? गीदड़ ने कहा कि मुझे खाने के बाद चिल्लाने की आदत है, तभी मेरा खाना पचता है। इस जवाब को सुनकर ऊंट को और गुस्सा आ गया। फिर भी वह चुपचाप नदी की ओर बढ़ने लगा। 

नदी के पास पहुंचकर उसने अपनी पीठ पर गीदड़ को बैठा लिया। इधर उन को मार पड़ने से मन ही मन गीदड़ खुश हो रहा था। उधर नदी के बीच में पहुंचकर ऊंट ने नदी में डुबकी लगानी शुरू कर दी। 

गीदड़ डर गया और बोलने लगा, यह क्या कर रहे हो? गुस्से में ऊंट ने कहा, मुझे कुछ खाने के बाद उसे हजम करने के लिए नदी में डुबकी मारनी पड़ती है। गीदड़ को समझ आ गया कि उसके किए का बदला ले रहा है। बहुत मुश्किल से गीदड़ पानी से अपनी जान बचाकर नदी किनारे पहुंचा। 

उस दिन के बाद से गीदड़ ने कभी भी ऊंट को परेशान करने की हिम्मत नहीं की। 

कहानी का सीख (Moral of the Story)

ऊंट और गीदड़ की कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें ज्यादा चालाकी नहीं करनी चाहिए वरना अपनी गर्मी खुद पर भारी पड़ जाती है। जो जैसा करता है, उसे वैसा ही भरना होता है।


13. मूर्ख साधु और ठग की कहानी (Short Moral Stories in Hindi for Class 2)

मूर्ख साधु और ठग की कहानी (Short Moral Stories in Hindi for Class 2)

एक बार की बात है, किसी गांव में एक साधु बाबा रहा करते थे। पूरे गांव में वह अकेले साधु थे, जिन्हें पूरे गांव से कुछ न कुछ दान में मिलता रहता था। दान के लालच में उन्होंने गांव में किसी दूसरे साधु को नहीं रहने दिया और अगर कोई आ जाता था तो उन्हें किसी भी प्रकार से गांव से भगा देते थे। 

इस प्रकार उनके पास बहुत सारा धन इकट्ठा हो गया था। वहीं एक ठग की नजर कई दिनों से साधु बाबा के धन पर थी। वह किसी भी प्रकार से उस धन को हड़पना चाहता था। उसने योजना बनाई और एक विद्यार्थी का रूप बनाकर साधु के पास पहुंच गया। 

उसने साधु से अपना शिष्य बनाने का आग्रह किया। पहले तो साधु ने मना किया, लेकिन फिर थोड़ी देर बाद मान गए और ठग को अपना शिष्य बना लिया। ठग साधु के साथ ही मंदिर में रहने लगा और साधु की सेवा के साथ साथ मंदिर की देखभाल भी करने लगा। 

ठग की सेवा ने साधु को खुश कर दिया, लेकिन फिर भी वह ठग पर पूरी तरह विश्वास नहीं कर पाया। एक दिन साधु को किसी दूसरे गांव से निमंत्रण आया और वह शिष्य के साथ जाने के लिए तैयार हो गया। साधु ने अपने धन को भी अपनी पोटली में बांध लिया। 

रास्ते में उन्हें एक नदी मिली। साधु ने सोचा कि क्यों न गांव में प्रवेश करने के पहले नदी में स्नान कर लिया जाए। साधु ने अपने धन को एक कंबल में छुपाकर रख दिया और ठग से उसकी देखभाल करने का बोलकर नदी की ओर चले गए। ठग की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसे जिस मौके की तलाश थी, वह मिल गया। 

जैसे ही साधु ने नदी में डुबकी लगाई। ठग सारा सामान लेकर भाग खड़ा हुआ। जैसे ही साधु वापस आया, उसे न तो शिष्य मिला और न ही अपना सामान। साधु ने यह सब देखकर अपना सिर पकड़ लिया। 

कहानी का सीख (Moral of the Story)

हमें इस कहानी से यह सीख मिलती है कि कभी भी लालच नहीं करना चाहिए और न ही किसी की चिकनी चुपड़ी बातों पर विश्वास करना चाहिए।


14. नेवला और ब्राह्मण की पत्नी की कहानी (Short Story in Hindi with Moral)

नेवला और ब्राह्मण की पत्नी की कहानी (Short Story in Hindi with Moral)

बरसों पुरानी बात है। एक गांव में देवदत्त नाम का ब्राह्मण अपनी पत्नी देवकन्या के साथ रहता था। उन दोनों की कोई संतान नहीं थी। आखिरकार कुछ वर्षों के बाद उनके घर प्यारे से बच्चे ने जन्म लिया। ब्राह्मण की पत्नी अपने बच्चे को बहुत प्यार करती थी। 

एक दिन की बात है। ब्राह्मण की पत्नी देवकन्या को अपने घर के बाहर नेवले का छोटा सा बच्चा मिला। उसे देखकर देवकन्या को उस पर दया आ गई और वह उसे घर के अंदर ले गई और उसे अपने बच्चे की तरह ही पालने लगी। ब्राह्मण की पत्नी, बच्चे और नेवले दोनों को अक्सर पति के जाने के बाद घर में अकेला छोड़कर काम से चली जाती थी। 

नेवला इस दौरान बच्चे का पूरा खयाल रखता था। दोनों के बीच का अपार स्नेह देखकर देवकन्या बहुत खुश थी। 

एक दिन अचानक ब्राह्मण की पत्नी के मन में हुआ कि कही यह नेवला मेरे बच्चे को नुकसान न पहुंचा दे। आखिर जानवर ही तो है और जानवर की बुद्धि का कोई भरोसा नहीं कर सकता। 

समय बीतता गया और नेवला और ब्राह्मण के बच्चे के बीच का प्यार गहरा होता गया। एक दिन ब्राह्मण अपने काम से बाहर गया हुआ था। पति के जाते ही देवकन्या भी अपने बच्चे को घर में अकेला छोड़कर बाहर चली गई। इसी बीच उनके घर में एक सांप घुस आया। 

इधर ब्राह्मण देवदत्त का बच्चा आराम से सो रहा था। उधर सांप तेजी से उस बच्चे की ओर बढ़ने लगा। पास में ही नेवला भी था। जैसे ही नेवले ने सांप को देखा तो वह सतर्क हो गया। नेवला तेजी से सांप की ओर लपका और दोनों के बीच काफी देर तक लड़ाई हुई। आखिर में नेवले ने सांप को मारकर बच्चे की जान बचा ली। 

सांप को मारने के बाद नेवला आराम से घर के आंगन में बैठ गया। इसी बीच देवकन्या घर लौट आई। जैसे ही उसने नेवले के मुंह को देखा तो वह डर गई। नेवले का मुंह सांप के खून से लथपथ था। लेकिन इस बात से अंजान देवकन्या ने मन में कुछ और ही सोच लिया। 

वह गुस्से से कांपने लगी। उसे लगा कि नेवले ने उसके प्यारे बेटे की हत्या कर दी है। यही सोचते सोचते ब्राह्मण की पत्नी ने एक लाठी उठाई और उस नेवले को पीट पीटकर मार डाला। नेवले को जान से मारने के बाद ब्राह्मणी अपने बच्चे को देखने के लिए घर के अंदर तेजी से भागी। वहां बच्चा हंसते हुए खिलौनों के साथ खेल रहा था। 

इसी दौरान उसकी नजर पास में मरे पड़े सांप पर गई। सांप को देखते ही देवकन्या को बहुत पछतावा हुआ। वह भी नेवले से बहुत प्यार करती थी। लेकिन गुस्से और अपने बच्चे के मोह में उसने बिना कुछ सोचे समझे नेवले को मार दिया था। अब ब्राह्मण की पत्नी जोर जोर से रोने लगी। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसी समय ब्राह्मण भी घर लौट आया।

कहानी का सीख (Moral of the Story)

हमें इस कहानी से यह सीख मिलती है कि जल्दबाजी में और बिना सोचे-समझे कोई कदम नहीं उठाना चाहिए। गलतफहमी और आवेश में आकर लिए गए निर्णय पछतावे का कारण बन सकते हैं।


15. साहसी बालक, मोटिवेशनल कहानी छोटी सी (Short Story in Hindi with Moral)

साहसी बालक, मोटिवेशनल कहानी छोटी सी (Short Story in Hindi with Moral)

अमेरीका में एक किसान था। उसके लड़के का नाम जॉर्ज था। वह बचपन से बहुत साहसी और परोपकारी था। 

एक दिन की बात है। सुबह का समय था। नदी के किनारे किनारे चलता हुआ जॉर्ज पढ़ने के लिए स्कूल जा रहा था। अचानक उसने एक स्त्री के चिल्लाने की आवाज सुनी। बचाओ बचाओ। मेरे बच्चे को डूबने से बचाओ। 

बहुत से लोग दौड़े आए। पर नदी की तेज धारा में कूदने की किसी की भी हिम्मत नहीं हुई। स्त्री के चिल्लाने की आवाज सुनते ही जॉर्ज उधर दौड़ा। उसने देखा कि एक बच्चा नदी में गिर गया था और पानी में बहा जा रहा था। उसने तुरंत अपने कपड़े उतारे और नदी में कूद पड़ा। 

लोग उस वीर बालक को एक टक देख रहे थे। पानी के तेज बहाव में तैरता हुआ वह बच्चे की ओर बढ़ रहा था। थोड़ी ही देर में उसने नदी में बहते हुए बच्चे को पकड़ लिया। फिर उसे अपनी पीठ पर लादकर तैरता तैरता किनारे पर आ पहुंचा। 

बच्चे की मां ने और दूसरे लोगों ने जॉर्ज को गले लगा लिया और उसकी खूब प्रशंसा की। 

आओ तुम्हें बताएं कि वह वीर बालक कौन था? वह बालक था जॉर्ज वाशिंगटन (George Washington), जो बड़ा होकर अमरीका का राष्ट्रपति बना।

कहानी का सीख (Moral of the Story)

इस सच्ची घटना से यह सीख मिलती है कि साहस और परोपकार बचपन से ही महानता की निशानी होते हैं। सही समय पर लिया गया साहसी निर्णय न केवल दूसरों की जान बचा सकता है, बल्कि आपके जीवन में भी महानता की दिशा निर्धारित कर सकता है।


तो दोस्तों, आपको यह top 10 moral stories in Hindi कैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताएं क्योंकि आपका विचार हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। और साथ ही इस पोस्ट को आप अपने दोस्तों को भी शेयर कीजियेगा।

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Rakesh Dewangan

मेरा नाम राकेश देवांगन है। Hindi Kahani ब्लॉग वेबसाइट पर मेरा उद्देश्य हिंदी में प्रेरक, मजेदार, और नैतिक कहानियों के माध्यम से पाठकों को मनोरंजन और शिक्षित करना है। मेरी कोशिश है कि मैं उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री प्रदान करूँ जो लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए। आपके समर्थन से, मैं अपने इस सफर को और भी रोमांचक और सफल बनाने की उम्मीद करता हूँ।

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