बच्चों के जीवन में नैतिक कहानियों (moral stories) का विशेष महत्व होता है, क्योंकि ये कहानियां उन्हें सही और गलत का अंतर समझाती हैं। और आज के इस ब्लॉग पोस्ट Moral Story for Kids in Hindi में, हम कुछ ऐसे ही रोचक और शिक्षाप्रद नैतिक कहानियों का संग्रह प्रस्तुत कर रहे हैं।
इनमें मेहनत का फल, अकबर का सपना, गुरु शिष्य की कहानी, और मुर्ख कछुआ जैसे मजेदार रोचक और शिक्षाप्रद कहानियां शामिल हैं। ये नैतिक कहानियां न केवल आपके बच्चों का मनोरंजन करेंगी, बल्कि उन्हे महत्वपूर्ण जीवन पाठ सिखाती हुयी उनके नैतिक और मानसिक विकास में भी सहायक होंगी।
तो आइए, इन बच्चों के लिये सीख देने वाली कहानी (Kids Moral Stories in Hindi) संग्रह के माध्यम से बच्चों को जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों से परिचित कराएं।
Top 10 Moral Stories for Kids in Hindi: बच्चो की नैतिक कहानी
तो दोस्तों, यह रहे 10 मजेदार बच्चों के लिये सीख देने वाली कहानी (Moral Story for Kids in Hindi) जो आपके बच्चों का मनोरंजन करते हुये उन्हे ईमानदारी, मेहनत, सपनों की ताकत, और समझदारी की सीख देगी।
1. मेहनत का फल (Story for Kids in Hindi with Moral)
एक गांव में दो दोस्त निखिल और विक्की रहते थे। निखिल बहुत पूजा पाठ करता था और भगवान को बहुत मानता था, जबकि विक्की अपने काम पर ध्यान देता था।
एक बार दोनों ने मिलकर कुछ जमीन खरीदी और सोचा कि मिलकर खेती करेंगे। जो फसल तैयार होगी उसको बेचकर जो रुपए मिलेंगे उसमें घर बनवाया जाएगा।
विक्की खेत में दिन रात खूब मेहनत करता, जबकि निखिल भगवान की पूजा प्रार्थना में व्यस्त रहता। कुछ महीनों के बाद फसल तैयार हो गई और उसे बेचा गया। विक्की ने कहा मुझे धनराशि का ज्यादा भाग मिलना चाहिए, क्योंकि मैंने खेत में ज्यादा मेहनत की है। दूसरी ओर निखिल ने कहा, मैंने भी दिनरात भगवान की पूजा की, जिससे अच्छी फसल तैयार हुई है।
यह झगड़ा बढ़ गया तो दोनों अपने गांव के सरपंच के पास गए। सरपंच ने दोनों की बात सुनकर दोनों को एक एक बोरी कंकड़ मिला चावल दिया और बोला कल साफ करके ले आना, फिर मैं फैसला सुनाऊंगा।
विक्की पूरी मेहनत से चावल साफ करने लगा। रात भर वह जितना चावल साफ कर सकता था, उतना उसने किया। निखिल ने केवल भगवान की प्रार्थना की।
सुबह सरपंच ने दोनों को चावल दिखाने को कहा। विक्की ने आधे से ज्यादा चावल साफ कर दिए थे। निखिल से बोला गया तो उसने कहा मैंने भगवान से प्रार्थना की है। चावल साफ हो गए होंगे। जब निखिल के चावल को देखा गया तो चावल की पूरी बोरी उसी तरह थी।
फिर सरपंच ने फैसला सुनाया, मेहनत करने से ही कार्य सफल होता है। केवल ईश्वर के ऊपर आश्रित होकर प्रार्थना करने से कोई भी काम पूरा नहीं होता।
आखिरकार विकी ने ज्यादा मेहनत की है तो उसे ही उसे ज्यादा रुपया मिलेगा।
कहानी की सीख (Moral of the Story)
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि भगवान भी उसी का साथ देते हैं जो मेहनत करने में विश्वास करता हो, ना की भगवान भरोसे बैठने वालों का।
2. अकबर का सपना (Short Moral Story for Kids in Hindi)
एक बार की बात है जब बादशाह अकबर गहरी नींद से अचानक उठ गए और फिर रात भर सो नहीं सके| वह बहुत परेशान थे क्योंकि उन्होंने अजीब सा सपना देखा था जिसका मतलब वह समझ नहीं पा रहे थे। उन्होंने देखा कि उनके एक के बाद एक सारे दांत गिरते चले गए और आखिर में सिर्फ एक ही दांत बचा|
इस सपने से वह इतने चिंतित हुए कि उन्होंने इसके बारे में सभा में चर्चा करने के बारे में सोचा। अगले दिन सभा में पहुंचते ही अकबर ने अपने विश्वसनीय मंत्रियों को सपना सुनाया और सभी से राय मांगी। सभी ने उन्हें सुझाव दिया कि इस बारे में किसी ज्योतिष से बात करके सपने का मतलब समझना चाहिए। बादशाह को भी यह बात सही लगी।
अगले दिन उन्होंने दरबार में विद्वान ज्योतिष को बुलवाया और अपना सपना सुनाया। इसके बाद सभी ज्योतिष ने आपस में विचार विमर्श किया फिर उन्होंने बादशाह से कहा, जहांपनाह, इस सपने का एक ही मतलब निकलता है कि आपके सभी रिश्तेदार आपसे पहले ही मर जाएंगे।
ज्यों ही यह बात बादशाह ने सुना, सुनकर अकबर को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने सभी को दरबार से जाने का आदेश दिया।
उन सभी के जाने के बाद बादशाह अकबर ने बीरबल को बुलाया और कहा, बीरबल तुम्हारे हिसाब से मेरे इस सपने का क्या मतलब हो सकता है? इस पर बीरबल ने कहा, हुजूर मेरे हिसाब से आपके सपने का मतलब यह था कि आपके सभी रिश्तेदारों में से आपकी उम्र सबसे ज्यादा होगी और आप उन सभी से ज्यादा समय तक जीते रहेंगे।
इस बात को सुनकर बादशाह अकबर बहुत खुश हो गए। वहां मौजूद सभी मंत्रियों ने सोचा कि बीरबल ने भी ज्योतिष की ही बात को दोहराया है। इतने में बीरबल ने उन मंत्रियों से कहा कि देखो बात वही थी बस कहने का तरीका अलग था।
बात को हमेशा सही तरीके से सामने रखा जाना चाहिए। मंत्रियों को इतना कहकर बीरबल सभा से चले गए।
कहानी की सीख (Moral of the Story)
किसी भी बात को बोलने का एक सही तरीका होता है। विचलित करने वाली बात को भी सही तरीके से कहा जाए तो उसका बुरा नहीं लगता। इसी वजह से बात को हमेशा सही तरीका और सलीके से रखा जाना चाहिए
3. गुरु शिष्य की कहानी (Moral Story in Hindi for Kids)
एक बार की बात है, एक आश्रम में तीन शिष्य रहते थे। तीनों ने अत्यंत मेहनत से अपनी शिक्षा संपूर्ण की। तत्पश्चात तीनों शिष्य गुरुदेव के पास गए और बोले – गुरुदेव, अब हमारी शिक्षा संपूर्ण हो गई है। अब गुरु दक्षिणा देने का वक्त आ गया है।
गुरुदेव मुस्कुराए और बोले, यदि तुम लोग मुझे गुरुदक्षिणा देना ही चाहते हो तो कल मुझे एक थैला सूखे पत्ते लाकर दे दो। तीनों शिष्य मंद मुस्कुराए और उन्होंने सोचा कि सूखी पत्तियां लाना कौन सी बड़ी बात है।
अगली सुबह तीनों शिष्य पास ही के जंगल में दक्षिणा हेतु सूखे पत्ते एकत्रित करने के लिए गए। उन्होंने वहां देखा तो आश्चर्य हुआ। जंगल में सिर्फ एक मुट्ठी सूखे पत्ते बचे हुए थे। यह देखकर वे तीनों बहुत अधिक परेशान हो गए। उन्होंने सोचा अब गुरुदेव को दक्षिणा कैसे देंगे।
तभी सामने से एक किसान आता हुआ दिखाई दिया, जिसने एक थैले में ढेर सारे सूखे पत्ते लिए हुए थे। उन्होंने उस किसान से आग्रह किया कि भाई हमें भी थोड़े सूखे पत्ते दे दो। हमें इनकी अत्यंत आवश्यकता है।
किसान ने कहा, यह सूखे पत्ते मैं अपने जीवन यापन तथा घर का भोजन पकाने के लिए ले जा रहा हूं। मैं यह आपको नहीं दे सकता। परंतु हां, पास के ही गांव में सेठ जी रहते हैं। उनके पास सूखे पत्तों से दोने बनाने का कारखाना है। शायद वह आपको सूखे पत्ते दे सकें।
वे तीनों सेठ जी के पास गए और उनसे सूखे पत्ते देने के लिए आग्रह किया। परंतु सेठ जी ने कहा कि मैं आपको सूखे पत्ते नहीं दे सकता क्योंकि इनकी मुझे आपसे अधिक आवश्यकता है। मैं इन सूखे पत्तों से अपना कारोबार चलाता हूं। मुझे क्षमा करें।
वे तीनों शिष्य अत्यंत परेशान हो गए। उन्होंने बहुत लोगों से पूछा। पता चला कि पास में ही एक बूढ़ी दादी रहती हैं। वे सूखे पत्ते एकत्रित करती हैं। हो सकता है उनके पास से मिल जाए।
तीनों बूढ़ी दादी के पास गए और उनसे सूखे पत्ते देने का आग्रह किया। परंतु बूढ़ी दादी उन सूखे पत्तों से औषधियां बनाया करती थी तो उन्होंने भी मना कर दिया।
अब तीनों छात्र निराश होकर आश्रम लौट आए और दुखी मन से गुरुदेव को सारी बात बताई कि वे उनकी दक्षिणा लाने में असफल रहे। तब गुरुदेव ने कहा मेरे बच्चों मुझे दक्षिणा की अभिलाषा नहीं है। मैं तो तुम्हें बताना चाहता था कि इस दुनिया में किसी भी चीज को छोटा नहीं समझना चाहिए। छोटी से छोटी चीज का भी अपना महत्व होता है, अपना मूल्य होता है।
आज शिष्यों को पता चल गया था कि जिन चीजों को हम बहुत छोटा समझते हैं, वास्तव में उनका भी अपना एक स्थान होता है।
4. भेड़िया आया (Hindi Moral Stories for Kids)
एक जंगल के पास के गांव में राजू नाम का लड़का रहता था। वह ना पढ़ाई करता था और ना ही स्कूल जाता था। इसलिए उसके पिताजी ने उसे बकरियां और गाय खरीद कर दी थी। राजू प्रतिदिन गाय और बकरियों को चराने ले जाता और शाम होते ही वापस आ जाता।
राजू बहुत ही मजाकिया स्वभाव का लड़का था। वह हर बात पर किसी से भी मजाक और फालतू बातें करता रहता था।
एक दिन वह गांव के पास के जंगल में गाय और बकरियां चराने ले गया। उसे वहां भी मजाक सुझा और वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा भेड़िया आया भेड़िया आया। गांव वालों आओ और मुझे और मेरी बकरियों को बचाओ।
कुछ ही देर में कुछ लोग वहां आ गए उन्होंने देखा कि वहां कोई भेड़िया नहीं है। लड़का गांव वालों को देखकर कहने लगा कोई भेड़िया नहीं आया है मैं तो मजाक कर रहा था। यह देखकर लोग नाराज हुए और वहां से चले गए। ऐसा एक बार नहीं कई बार हुआ।
एक दिन वह फिर से बकरिया और गाय चराने के लिए गया, पर इस बार सच में एक भेड़िया वहां आ गया और उसके गाय और बकरियों को मारने लगा। अब रामू जोर जोर से चिल्लाने लगा भेड़िया आया भेड़िया आया, गांव वालों आओ और मुझे और मेरी बकरियों को बचाओ।
पर गांव वालों को लगा कि यह इसकी हमेशा की तरह मजाक करने की आदत है इसलिए उसे बचाने कोई भी नहीं आया। भेड़िया उसके सारे बकरी और गायों को मारकर खा गया और रामू सिर्फ देखता ही रह गया।
अब उसे समझ आ गया कि फालतू मजाक करना कितना महंगा पड़ सकता है।राजू की मजाक करने की आदत की वजह से उसकी गाय और बकरियां मारी गई।
कहानी की सीख (Moral of the Story)
एक बार का झूठा सदैव के लिए झूठा बन जाता है इसलिए कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए।
5. लालची दूधवाले की कहानी (Bedtime Stories for Kids in Hindi)
एक छोटे से गांव में एक दूधवाला रहता था। वह बहुत ही लालची था। वह हर रोज नदी पार करके शहर में अपने ग्राहकों को दूध बेचता था। शहर जाते समय वह नदी का पानी अपने दूध में मिलाकर अपने ग्राहकों को बेचता था और बहुत सारे पैसे कमाता था।
देखते ही देखते वह अमीर आदमी बन गया।
एक दिन अपने बेटे की शादी मनाने के लिए वह सारे ग्राहकों के पास पैसे लेने गया। सारे पैसे इकट्ठा हो जाने के बाद उन पैसों से उसने नए कपड़े और नए गहने खरीदे।
शहर से लौटते समय उसकी नाव एक पत्थर से टकराई और उलटी हो गई। उसने देखा कि उसके सारे नए कपड़े और गहने पानी में डूब गए। यह देखकर बेचारा बहुत ही उदास हुआ और रोने लगा।
तब अचानक पानी में से एक आवाज आई। रोते क्यों हो? जो भी तुमने गवाया है, वह तुमने बेईमानी से ही तो कमाया था। यह सुनकर दूध वाले को अपनी गलती का एहसास हुआ।
कहानी की सीख (Moral of the Story)
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लालच बुरी बात है।
6. चालाक लोमड़ी और मूर्ख कौवा (Moral Stories for Childrens in Hindi)
किसी जंगल में एक कौवा रहता था। हर कोई उससे दूर ही रहता था क्योंकि वह अपनी कर्कश आवाज में गाता रहता था और सभी जानवर उससे परेशान रहते थे।
एक दिन वह भोजन की तलाश में जंगल से दूर गांव की ओर निकल कर आ गया। किस्मत से उसे वहां एक रोटी मिल गई। रोटी लेकर वह वापस जंगल की ओर आ गया और आकर अपने पेड पर बैठ गया।
वहीं से एक लोमड़ी जा रही थी और उसे बहुत तेज भूख लगी हुई थी। उसने कौवे के पास रोटी देखी और रोटी को किसी भी तरह खाने का विचार करने लगी।
जैसे ही कौवा रोटी खाने को हुआ, नीचे से लोमड़ी की आवाज आई अरे महाराज, मैंने सुना है कि यहां पर कोई बहुत सुरीली गाना गाता है क्या वो आप हैं? लोमड़ी के मुंह से अपनी आवाज की तारीफ सुनकर तो वह मन ही मन में बहुत खुश हुआ और अपना सिर हां में हिला दिया।
इस पर लोमड़ी बोली कि क्यों मजाक कर रहे हो महाराज। इतनी मधुर आवाज में आप गा रहे थे, मैं ये कैसे मान लूं? अगर आप गा कर बताएंगे तो मुझे यकीन हो जाएगा।
कौवा लोमड़ी की बात सुनकर जैसे ही गाने को हुआ उसके मुंह से रोटी नीचे गिर गई। रोटी नीचे गिरते ही लोमड़ी ने रोटी पर झपट्टा मारा और रोटी खाकर वहां से चली गई। भूखा कौवा लोमड़ी को देखता रह गया और अपने किए पर बहुत पछताया।
कहानी की सीख (Moral of the Story)
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की हमें कभी भी किसी की बातों में नहीं आना चाहिए। साथ ही ऐसे लोगो से बचना चाहिए जो अपनी झूठी प्रशंसा करते है। ऐसे लोग सिर्फ अपना काम निकलवाने के लिए ऐसा व्यहवार करते हैं।
7. तीन मछलियों की कहानी (Bed Time Stories for Kids in Hindi)
एक समय की बात है, एक घने जंगल के अंदर बड़ा सा तालाब था। उस तालाब में बहुत सारी मछलियां रहती थी, जिनमें से तीन मछलियां एक दूसरे की पक्की दोस्ती थी। इन तीनों का स्वभाव बिल्कुल अलग था। इनमें से दो बहुत समझदार थी।
पहली संकट आने के पहले ही अपना बचाव कर लेती थी, दूसरी संकट आने पर अपनी सुरक्षा कर लेती थी, जबकि तीसरी सब कुछ भाग्य पर छोड़ देती थी। तीसरी मछली कहती कि अगर भाग्य में संकट होगा तो हम कुछ नहीं कर सकते और भाग्य में नहीं होगा तो कोई भी हमारा कुछ नहीं कर सकता।
एक दिन रास्ते से गुजर रहे एक मछुआरे ने उस तालाब को देख लिया। उसने देखा कि तालाब मछलियों से भरा पड़ा है। उसने तुरंत अपने बाकी साथियों को इस बारे में बताया। मछुआरे और उसके साथियों ने अगली सुबह यहां आने और उन मछलियों को पकड़ने का फैसला किया।
लेकिन मछली ने मछुआरे और उसके साथियों के बीच की बातचीत सुन ली थी। उसने तुरंत तालाब में रहने वाली सभी मछलियों को इकट्ठा किया और सारी बात बता दी।
पहली मछली बोली कि हो सकता है कि कल मछुआरे आकर हमें जाल में पकड़ कर ले जाएं उससे पहले ही हमें यह स्थान छोड़ देना चाहिए तभी तीसरे नंबर की मछली बोली कि अगर वह कल नहीं आए तो? यह हमारा घर है। हम कैसे इसे छोड़कर जा सकते हैं।
अगर भाग्य में लिखा होगा तो हम कहीं भी हो मारे जाएंगे और नहीं लिखा होगा तो हमें कुछ नहीं होगा। कुछ मछलियों ने तीसरे नंबर की मछली की बात मान ली और वहीं रुक गई अन्य दो मछलियां तीसरी मछली को समझाने में असमर्थ थी इसलिए उन्होंने बाकी मछलियों के साथ तालाब छोड़ दिया।
अगले दिन मछुआरे और उसके साथियों ने तालाब में अपना जाल डाला। जो मछलियां तालाब में रह गई थी वे सभी पकड़ी गई और जो मछलियां भाग गई थी उन सभी की जान बच गई।
जो मछलियां तालाब में रुक गई थी वे सभी मछुआरों के द्वारा पकड़ ली गई फिर मछुआरे ने उन्हें एक टोकरे में डाल दिया जहां सभी तड़प-तड़प के मर गये।
कहानी की सीख (Moral of the Story)
कहानी से यह सीखने को मिलता है कि हमें कभी भी भाग्य के भरोसे नहीं बैठे रहना चाहिए। संकट आने के पहले ही उसे दूर कर करने का उपाय सोच कर रखना चाहिए
8. मां की प्यारी सीख (Short Story for Kids in Hindi)
चेतन अपनी मां के साथ एक बहुत अच्छे घर में रहता था। वह बहुत अच्छा लड़का था और सदा अपनी मां का कहना मानता था। चेतन की मां बहुत अच्छे पकवान बनाती थी। चेतन को पकवान खाना बहुत पसंद था।
एक दिन चेतन की मां ने बहुत बढ़िया कुकीज (cookies biscuit) बनाकर एक बड़े जार में रख दी और फिर बाजार चली गई। बाजार जाने से पहले चेतन की मां उसको कह गई थी कि अपना गृहकार्य (home work) समाप्त करने के बाद वह कुकीज खा सकता है।
चेतन बहुत खुश हुआ।
उसने जल्दी से अपना गृहकार्य समाप्त करके अपनी मां के लौटने से पहले ही कुकीज खानी चाही। इसीलिए वह एक स्टूल पर चढ़ गया। फिर उसने जार के अंदर हाथ डालकर ढेर सारी कुकीज निकालने की कोशिश की, पर जार का मुंह छोटा होने के कारण वह अपना हाथ बाहर नहीं निकाल सका।
उसी समय उसकी मां बाजार से लौट आई। जब उसने चेतन को देखा तो वह हंसने लगी और अपने बेटे चेतन से कहा। चेतन हाथ से ढेर सारी कुकीज छोड़कर केवल दो या तीन कुकीज हाथ में पकड़कर हाथ बाहर निकालो।
मां की बात मानकर जब उसने सिर्फ दो कुकीज हाथ में पकड़ी, तब वह आसानी से अपना हाथ बाहर निकाल सका। तब उसकी मां ने प्यार से कहा, ऐसा करने से तुमने क्या सीखा?
चेतन ने कहा, मैंने सीखा है कि किसी भी चीज का लालच अच्छी बात नहीं है। हमें हर चीज उतनी ही लेनी चाहिए, जितनी हमें जरूरत हो।
9. मुर्ख कछुआ (Short Story in Hindi with Moral)
एक बार देश में सूखा पड़ गया। काफी समय तक वर्षा नहीं हुई। सभी झीलें, तालाब व नदियां सूखने लगे। पशु पक्षी व मनुष्य मर रहे थे। चिंतित होकर दो पंछियों ने दूसरे तालाब पर जाने का फैसला किया। पास ही में एक कछुआ उनकी बातें सुन रहा था। वह बोला दोस्तों, मुझे अकेला छोड़कर मत जाओ। मुझे भी साथ ले चलो, वरना मैं भी यहां मर जाऊँगा।
कुछ देर सोचने के बाद एक पंछी बोला हम तीनों एक छड़ी की सहायता से उड़ेंगे। कछुआ बोला, पर यह कैसे होगा? मैं कैसे उड़ सकता हूं?
एक पंछी ने बोला, हम दोनों अपनी चोंच से छड़ी के दोनों छोर पकड़ लेंगे। तुम बीच में से छड़ी को मुंह से पकड़ लेना। फिर हम धीरे धीरे सुरक्षित स्थान की ओर बढ़ जाएंगे। कछुए को उपाय पसंद आ गया, इसलिए उसने हामी भर दी।
पंछियों ने उसे चेतावनी भी दी, जब हम आकाश में हों तो मुंह से एक भी शब्द मत निकालना, वरना तुम संतुलन खो दोगे और नीचे गिर पड़ोगे।
योजना के अनुसार पंछी एक मजबूत छड़ी ले आया। उन्होंने छड़ी दोनों छोरों से पकड़ी और कछुए ने बीच में से मुंह में दबा ली। इस तरह वे उड़ने लगे।
गांव के लोगों ने आकाश में इस अद्भुत दृश्य को देखा। उन्होंने कभी भी कछुए को हवा में उड़ते नहीं देखा था। वे तालियां बजाकर चिल्लाने लगे, वाह! देखो, दो पक्षी कछुए को आकाश में उड़ाए ले जा रहे हैं।
कछुए को लोगों का चिल्लाना और मजाक उड़ाना पसंद नहीं आया। वह गुस्से पर काबू नहीं रख पाया और बोला, यह मूर्ख इस तरह चिल्ला क्यों रहे हैं?
ज्यों ही उसने बोलने के लिए मुंह खोला, उसकी पकड़ छड़ी से छूट गई और वह नीचे गिरने लगा। धरती पर गिरते ही उसके प्राण निकल गए और कछुआ मर गया। मूर्ख कछुए ने उड़ते समय बात करी जिसके वजह से उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
कहानी की सीख (Moral of the Story)
इस कहानी से यह सीख मिलता है कि हमें कोई भी काम करने या बोलने से पहले एक बार ज़रूर सोच लेना चाहिए।
10. बिना अकल के नक़ल की कहानी (Long Moral Stories in Hindi with Pictures)
एक समय की बात है किसी देश में सूखे की वजह से अकाल पड़ गया। सभी लोगों की फसलें सूख कर बर्बाद हो गई। उस देश के लोग खाने पीने के लिए तरसने लगे। ऐसी मुश्किल घड़ी में बेचारे कौवों और अन्य पशु पक्षियों को भी रोटी या खाने के टुकड़े नहीं मिल रहे थे।
जब कौवों को काफी दिनों से कुछ खाने के लिए नहीं मिला तो वे भोजन की खोज में जंगल ढूंढने लगे। जंगल पहुंचने पर एक कौवा-कौवी की जोड़ी एक पेड़ पर रूके और वहीं पर अपना बसेरा बना लिया।
उसी पेड़ के नीचे एक तालाब था। उस तालाब में पानी में रहने वाला एक कौवा रहता था। वह दिनभर पानी में रहता और ढेर सारी मछलियां पकड़कर अपना पेट भरता रहता था। जब पेट भर जाता था तब वह पानी में खेलता भी था।
वहीं पेड़ की डाल पर बैठा कौवा जब पानी वाले कौवे को देखता तो उसका भी मन उसी की तरह बनने का करता। उसने सोचा कि अगर वह पानी वाले कौवे से दोस्ती कर ले तो उसे भी दिनभर खाने के लिए मछलियां मिलेंगी और उसके भी दिन अच्छे से गुजरने लगेंगे।
वह तालाब के किनारे गया और पानी वाले कौवे से मीठे स्वर में बात करने लगा। उसने कहा – मित्र सुनो। तुम बहुत ही स्वस्थ हो। पलक झपकते ही मछलियां पकड़ लेते हो। क्या मुझे भी अपना यह गुण सिखा दोगे?
यह सुनकर पानी वाले कौवे ने कहा, मित्र तुम यह सीखकर क्या ही करोगे? जब भी तुम्हें भूख लगे तो मुझे बता दिया करो। मैं तुम्हें पानी में से मछलियाँ पकड़कर दे दूँगा और तुम खा लिया करना।
उस दिन के बाद से जब भी कौवे को भूख लगती, वह पानी वाले कौवे के पास जाता और उसे ढेर सारी मछलियाँ लेकर खाता।
एक दिन उस कौवे ने सोचा कि पानी में जाकर बस मछलियाँ ही तो पकड़नी हैं। यह काम वह खुद भी कर सकता है। आखिर कब तक वह उस पानी वाले कौवे का अहसान लेता रहेगा? उसने मन में ठाना कि वह तालाब में जाएगा और खुद अपने लिए मछलियां पकड़ेगा।
जब वह तालाब के पानी में जाने लगा तो पानी वाले कौवे ने उससे फिर कहा, मित्र, तुम ऐसा मत करो। तुम्हें पानी में मछली पकड़ना नहीं आता है। इस वजह से पानी में जाना तुम्हारे लिए जोखिम भरा हो सकता है।
पानी वाले कौवे की बात सुनकर पेड़ पर रहने वाले कौवे ने घमंड में कहा, तुम ऐसा अपने अभिमान की वजह से बोल रहे हो। मैं भी तुम्हारे जैसा पानी में जाकर मछलियाँ पकड़ सकता हूँ और आज मैं ऐसा करके साबित भी कर दूंगा। इतना कहकर उस कौवे ने तालाब के पानी में छपाक से छलांग लगा दी।
अब तालाब के पानी में काई जमी हुई थी जिसमें वह फंस गया। उस कौवे को काई हटाने या उससे बाहर निकलने का कोई अनुभव नहीं था। उसने काई में अपनी चोंच मारकर उसमें छेद करना चाहा। इसके लिए जैसे ही उसने अपनी चोंच काई में धंसाई, उसकी चोंच भी काई में फंस गई।
काफी प्रयास करने के बाद भी वह उस काई से बाहर न निकल सका और कुछ देर बाद पानी में दम घुटने की वजह से उसकी मृत्यु हो गई।
बाद में कौवे को ढूंढते हुए कौवी भी तालाब के पास आई। वहां आकर उसने पानी वाले कौवे से अपने कौवे के बारे में पूछा। पानी वाले कौवे ने सारी बात बताते हुए कहा, मेरी नकल करने के चक्कर में उस कौवे ने अपने ही हाथों से अपने प्राण धो लिए।
कहानी की सीख (Moral of the Story)
इस कहानी से यह सीखने को मिलता है कि हमें किसी के जैसा बनने का दिखावा करने के लिए भी मेहनत करने की ज़रूरत होती है। साथ ही अहंकार इंसान के लिए बहुत बुरा होता है।
तो दोस्तों, आपको यह Moral Story for Kids in Hindi कैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताएं क्योंकि आपका विचार हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। और साथ ही इस पोस्ट को आप अपने दोस्तों को भी शेयर कीजियेगा।
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