8 Short Motivational Story In Hindi For Success: सफलता की कहानियां

हर व्यक्ति की सफलता के पीछे एक प्रेरणादायक कहानी होती है, जो उसे नाकामयाबी को दरकिनार करते हुये जीवन के कठिन रास्तों पर चलने का हौसला देती है। आज का यह “Short Motivational Story in Hindi for Success” ब्लॉग पोस्ट ऐसी ही जबरदस्त प्रेरणादायक कहानियों का संग्रह है। 

ये प्रेरक कहानियाँ न केवल हमें प्रेरित करती हैं, बल्कि यह भी सिखाती हैं कि असफलताओं के बावजूद कैसे निरंतर प्रयास से सफलता प्राप्त की जा सकती है। चाहे वह थॉमस अल्वा एडिसन का बल्ब का आविष्कार हो या रितेश अग्रवाल का ओयो रूम्स की स्थापना, इन कहानियों में संघर्ष, मेहनत और दृढ़ संकल्प की झलक मिलती है, जो हमें अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।

तो आइये आपको इन success motivational stories in hindi से रूबरू कराते हैं, जो न केवल आपकी सोच को सकारात्मक बनाएंगी बल्कि आपको अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित भी करेंगी।

Table of Contents

8 Best Short Motivational Story in Hindi for Success (मोटिवेशनल कहानी छोटी सी)

  1. ऐसा व्यक्ति कभी हार नहीं सकता (Short Motivational Story in Hindi for Success)
  2. सफलता की कुंजी – सफलता की प्रेरक कहानी छोटी सी (Short Success Motivational Story in Hindi)
  3. गरीब बना करोडपति, सफलता की प्रेरणादायक कहानियां (Success Motivational Story in Hindi)
  4. संघर्ष – दिल छूने वाली छोटी प्रेरणादायक कहानी (Success Heart touching Motivational Story in Hindi)
  5. सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता (Short Motivational Story in Hindi for Students)
  6. कभी हार मत मानो, मोटिवेशनल कहानी छोटी सी (Short Motivational Story for Success in Hindi)
  7. रितेश अग्रवाल की जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी (Real-life Success Motivational Story in Hindi)
  8. थॉमस अल्वा एडिसन रियल लाइफ स्टोरी इन हिंदी (Real-life Inspirational Stories in Hindi)

8 Short Motivational Story in Hindi for Success (प्रेरणादायक कहानी छोटी सी)

तो दोस्तों, यह है वो 8 दिल को छूने वाली छोटी प्रेरणादायक कहानी जिससे हमें सीख मिलती है कि चाहे कैसा भी परिस्थिति हो, परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, सच्ची लगन और मेहनत से सब कुछ संभव है।

1. ऐसा व्यक्ति कभी हार नहीं सकता (Short Motivational Story in Hindi for Success)

ऐसा व्यक्ति कभी हार नहीं सकता (Short Motivational Story in Hindi for Success)

बहुत पुरानी बात है। एक जंगल में एक गुरुकुल था जिसमें बहुत सारे बच्चे पढ़ने आते थे। एक बार की बात है। गुरुजी सभी विद्यार्थियों को पढ़ा रहे थे। मगर एक विद्यार्थी ऐसा था जिसे बार बार समझाने पर भी समझ में नहीं आ रहा था। 

गुरुजी को बहुत तेज से गुस्सा आया और उन्होंने उस विद्यार्थी से कहा – जरा अपनी हथेली तो दिखाओ बेटा। विद्यार्थी ने अपनी हथेली गुरुजी के आगे कर दी। हथेली देखकर गुरुजी बोले, बेटा, तुम घर चले जाओ। आश्रम में रहकर अपना समय व्यर्थ मत करो। तुम्हारे भाग्य में विद्या नहीं है। 

शिष्य ने पूछा क्यों गुरुजी? गुरुजी ने कहा, तुम्हारे हाथ में विद्या की रेखा नहीं है। 

गुरुजी ने एक दूसरे होशियार विद्यार्थी की हथेली उसे दिखाते हुए कहा – यह देखो, यह है विद्या की रेखा। यह तुम्हारे हाथ में नहीं है। इसलिए तुम समय नष्ट न करो। घर चले जाओ और वहां अपना कोई और काम देखो। 

यह सुनने के बाद उस विद्यार्थी ने अपनी जेब से एक चाकू निकाला, जिसका प्रयोग वह रोज सुबह अपनी दातून काटने के लिए किया करता था। उस चाकू की पैनी नोक से उसने अपने हाथ में एक गहरी लकीर बना दी। हाथ लहूलुहान हो गया। तब वह गुरुजी से बोला, मैंने अपने हाथ में विद्या की रेखा बना ली है गुरुजी। 

यह देखकर गुरुजी द्रवित हो उठे और उन्होंने उस विद्यार्थी को गले से लगा लिया। गुरुजी बोले, तुम्हें विद्या सीखने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती बेटा। दृढ़ निश्चय और परिश्रम हाथ की रेखाओं को ही बदल देते हैं। 

दोस्तों, क्या आप जानते हैं विद्यार्थी कौन था?

वह विद्यार्थी आगे चलकर महर्षि पाणिनि के नाम से प्रसिद्ध हुआ जिसने विश्वप्रसिद्ध व्याकरण अष्टाध्यायी की रचना की है। इतनी सदियां बीत जाने के बाद भी आज 2700 वर्षों बाद भी विश्व की किसी भी भाषा में ऐसा उत्कृष्ट और पूर्ण व्याकरण का ग्रन्थ अब तक नहीं बना। 

कहानी का सीख (Moral of the Story)

तो दोस्तों, इस कहानी की शिक्षा यह है कि लोग चाहे जो भी बोलें, हम हर एक को गलत साबित करते हुए अपनी लगन और परिश्रम के दम पर जो चाहे वह सबकुछ हासिल कर सकते हैं।


2. सफलता की कुंजी – सफलता की प्रेरक कहानी छोटी सी (Short Success Motivational Story in Hindi)

सफलता की कुंजी - सफलता की प्रेरक कहानी छोटी सी (Short Success Motivational Story in Hindi)

एक आदमी कहीं से गुजर रहा था, तभी उसने सड़क के किनारे बंधे हाथियों को देखा और अचानक रुक गया। उसने देखा कि हाथियों के अगले पैर में एक रस्सी बांधी हुई है। उसे इस बात का बड़ा आश्चर्य हुआ कि हाथी जैसे विशालकाय जीव लोहे की जंजीरों की जगह बस एक छोटी सी रस्सी से बंधे हुए हैं। 

यह स्पष्ट था कि हाथी जब चाहे तब अपने बंधन को तोड़कर कहीं भी जा सकते थे। पर किसी वजह से वह ऐसा नहीं कर रहे थे। उसने पास खड़े महावत से पूछा कि भला ये हाथी किस प्रकार इतनी शांति से खड़े हैं और भागने का प्रयास क्यों नहीं कर रहे। 

तब महावत ने कहा, इन हाथियों को छोटे उम्र से ही इन रस्सियों से बांधा जाता है। उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती है कि इस बंधन को तोड़ सकें। बार बार प्रयास करने पर भी रस्सी न तोड़ पाने की वजह से उन्हें धीरे धीरे यह यकीन हो जाता है कि वह इन रस्सियों को तोड़ नहीं सकते और बड़े होने पर भी उनका यह यकीन बना रहता है। इसलिए वह कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते। 

आदमी आश्चर्य में पड़ गया कि यह ताकतवर जानवर सिर्फ इसलिए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते, क्योंकि वह इस बात पर यकीन करते हैं कि वह ऐसा नहीं कर सकते। 

इन हाथियों की तरह ही हममें से कई लोग सिर्फ अपने पहले मिली असफलता के कारण यह मान बैठते हैं कि अब हमसे यह काम नहीं हो सकता और अपनी ही बनाई हुई मानसिक जंजीरों में बंधे ही वे पूरा जीवन गुजार देते हैं। 

याद रखिए कि असफलता जीवन का एक हिस्सा है और निरंतर प्रयास करने से ही सफलता मिलती है। यदि आप भी ऐसे किसी बंधन से बंधे हैं जो आपको अपने सपने सच करने से रोक रहा है तो उसे तोड़ डालिए। 


3. गरीब बना करोडपति, सफलता की प्रेरणादायक कहानियां (Success Motivational Story in Hindi)

गरीब बना करोडपति, सफलता की प्रेरणादायक कहानियां (Success Motivational Story in Hindi)

एक लड़का जो करीब 23 साल की उम्र का था, चपरासी की नौकरी के लिए एक बड़ी कंपनी में इंटरव्यू देने गया। उस कंपनी के मालिक ने उसे कहा कि अगर तुमने यह फर्श अच्छे से साफ किया तो तुम्हारी नौकरी पक्की समझो। बस फिर क्या था उस आदमी ने फर्श को एकदम से चमका दिया, जिसे देखते ही मालिक ने कहा तुम्हारी नौकरी पक्की। तुम कल से काम पर आ जाना। 

बॉस ने उस आदमी को बुलाया और कहा कि अपनी एक फोटो, आईडी प्रूफ और ई मेल आईडी भी बतानी होगी। आदमी ने तुरंत कहा कि मैं तो एक गरीब व्यक्ति हूं साहब, मेरे पास ना तो कंप्यूटर है और ना ही मैंने कभी ई मेल आईडी बनाई है। बॉस ने तुरंत कहा अरे हमारी बहुत बड़ी कंपनी है। हमें हर काम करने वाले व्यक्ति की ईमेल आईडी चाहिए होती है और यह अनिवार्य है। 

आज के युग में अगर तुम्हारी ईमेल आईडी नहीं है तो तुम्हारा कोई अस्तित्व भी नहीं है। हम तुम्हें इस नौकरी पर नहीं रख सकते। वह व्यक्ति बहुत निराश हुआ और वहां से चल दिया। 

अब उस व्यक्ति की जेब में केवल ₹500 थे। उसने फैसला किया कि वह सब्जी बेचकर थोड़े पैसे कमा लेगा। उसने ₹500 के टमाटर खरीद लिए और सिर्फ दो घंटे में उसके सभी टमाटर बिक गए। उसने फिर से ₹500 के टमाटर खरीदे और वह फिर बिक गए। इस तरह उसने दिन में तीन बार पाँच ₹500 के टमाटर खरीदे और बेच डाले। 

दिन के अंत में उसे काफी मुनाफा हो गया। घर आकर उस व्यक्ति ने सोचा कि अगर मैं इसी तरह सब्जी बेचता रहूं तो काफी मुनाफा कमा लूंगा। उसने छह महीने तक यही काम किया। काफी रुपए इकट्ठे हो गए तो उसने सब्जी की एक रेहड़ी खरीद ली। अब उसका काम बहुत अच्छा चलने लगा था। 

बहुत जल्द उसने ट्रक से सब्जी बेचनी शुरू कर दी थी और देखते ही देखते उसने सब्जी बेचने का होलसेल काम भी शुरू कर दिया था। अब हर दिन वह 10 से 15 ट्रक में सब्जी डिलीवर करने लगा, जिसके लिए उसने कुछ व्यक्तियों को भी काम पर रख रखा था। 

कुछ सालों बाद उस आदमी का फूड रिटेलिंग में बड़ा नाम हो गया। एक दिन उसने सोचा क्यों न मैं अपनी इंश्योरेंस करवा लूं। इसके लिए उसने एक इंश्योरेंस करवाने वाले को अपने घर पर बुला लिया। जब ब्रोकर उस व्यक्ति की इंश्योरेंस कर रहा था तो उसने उस आदमी का ईमेल आईडी पूछा तो उसने कहा मेरा ईमेल आईडी नहीं है। 

इंश्योरेंस ब्रोकर ने बड़ी हैरानी से पूछा कि आपका इतना बड़ा बिजनस है, लेकिन आपका ईमेल आईडी नहीं है। ऐसा कैसे हो सकता है? उस ब्रोकर ने कहा, आपको पता है अगर आपका ईमेल होता तो आप आज कहां से कहां होते? 

वह व्यक्ति थोड़ा खामोशी के बाद बोला, अगर मेरा ईमेल होता तो आज मैं एक चपरासी होता। हां, मैं आज एक चपरासी होता। यह बात उस इंश्योरेंस एजेंट को तो समझ नहीं आई लेकिन आपको शायद अच्छे से समझ आ गई होगी। 

अगर आज आपके साथ कुछ अच्छा नहीं हो रहा है तो निराश मत होइए। जिंदगी में आगे चलकर कई नए रास्ते खुलेंगे, कई मौके मिलेंगे। इसलिए हमेशा कोशिश करते रहिए और मात्र एक हार के बाद धैर्य मत खोइए। क्या पता कामयाबी शायद आपकी अगली कोशिश की प्रतीक्षा कर रही हो। 


4. संघर्ष – दिल छूने वाली छोटी प्रेरणादायक कहानी (Success Heart touching Motivational Story in Hindi)

संघर्ष - दिल छूने वाली छोटी प्रेरणादायक कहानी (Success Heart touching Motivational Story in Hindi)

पुराने समय में एक व्यक्ति बहुत गरीब था। वह गरीबी दूर करने के लिए बार बार कोशिश किए जा रहा था, लेकिन उसे धनलाभ नहीं हो पाता था। लगातार मिल रही असफलता से वह हिम्मत हार गया और निराश रहने लगा। 

कुछ दिनों के बाद गांव में एक संत का आगमन हुआ। गांव के सभी लोग संत से मिलने पहुंचे। निराश युवक भी संत के दर्शन के लिए पहुंचा। उसने संत को अपनी परेशानियां बता दी। संत ने उससे कहा कि इस तरह निराश होने से कोई लाभ नहीं मिलेगा। तुम अपनी कोशिश करते रहो। इस तरह हारकर बैठ जाओगे तो परेशानियां दूर होने की उम्मीद भी खत्म हो जाएगी। 

यह बात सुनकर व्यक्ति ने कहा कि मैं हार चुका हूं और अब मैं कुछ नहीं कर सकता। संत को समझ आ गया कि व्यक्ति नकारात्मक विचारों में बुरी तरह उलझ गया है। तभी संत ने उससे कहा कि मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं। कहानी से तुम्हारी निराशा अवश्य दूर हो जाएगी। 

संत ने एक कहानी सुनानी शुरू कर दी। 

एक छोटे बच्चे ने एक बांस का और एक कैक्टस का पौधा लगाया। बच्चा रोज दोनों पौधों की देखभाल करता। धीरे धीरे कैक्टस का पौधा तो पनप गया, लेकिन बांस का पौधा वैसा का वैसा था। उसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ। कई महीने व्यतीत हो गए। छोटे बच्चे ने हिम्मत नहीं हारी। वे बांस के पौधे की भी देखभाल करता रहा। 

इसी तरह कुछ दिन और निकल गए, लेकिन बांस का पौधा नहीं पनप रहा था। बच्चा निराश नहीं हुआ और उसने पौधे को पानी देना जारी रखा। कुछ महीनों के बाद बांस का पौधा भी पनप गया और कुछ ही दिनों में वह कैक्टस के पेड़ से भी बड़ा हो गया। 

संत ने उस व्यक्ति से कहा, इस कथा की सीख यह है कि बांस का पौधा पहले अपनी जड़ें मजबूत कर रहा था, इसलिए उसे पनपने में समय लगा था। ऐसा ही हमारे साथ होता है। 

हमारे जीवन में जब भी संघर्ष आए तो हमें हमारी जड़ें मजबूत करनी चाहिए। दुख के दिनों में धैर्य से काम लेना चाहिए, हमे निराश नहीं होना चाहिए। ऐसे ही हमारी जड़ें मजबूत होती जाएंगी। हम तेजी से हमारे लक्ष्य की ओर बढ़ने लगेंगे। तब तक धैर्य रखना चाहिए। 

वह युवक संत की बात समझ गया और उसने एक बार फिर से पूरे उत्साह के साथ काम करना शुरू कर दिया और सफल हो गया। 


5. सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता (Short Motivational Story in Hindi for Students)

सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता (Short Motivational Story in Hindi for Students)

एक बार एक लड़का होता है जिसे बड़ा होकर डॉक्टर (doctor) बनना होता है। जैसे तैसे करके वह 12th को पास कर लेता है क्योंकि वह पढ़ाई में बहुत कमजोर होता है। उसके कमजोर होने की वजह थी उसको मेहनत करना अच्छा नहीं लगता था। उसको बस शॉर्टकट से डॉक्टर बनना था क्योंकि उसने किसी और डॉक्टर को अच्छा कमाते हुए देख लिया था। 

उसको डॉक्टर बनकर जो भी काम किए जाते हैं उस काम से कोई भी लगाव नहीं था और उसके बाद डॉक्टर बनने के लिए एग्जाम्स और कॉलेज में रिश्वत देकर वह पैसों की ताकत से डॉक्टर बन ही जाता है। 

मेहनत करना भले उसको अच्छा नहीं लगता था लेकिन वह पैसों की ताकत से अपने सपने सच कर लेता है। वह डॉक्टर बन जाता है ताकि वह अच्छा पैसा कमा सके। 

किसी दिन एक लड़की का एक्सीडेंट हो जाता है और उस लड़की को उसी हॉस्पिटल में लाया जाता है जहां उस डॉक्टर को ट्रीटमेंट करना था। एक्सीडेंट में ज्यादा चोंट लगने की वजह से एमरजेंसी ऑपरेशन भी उसी लड़के को करना होता है। 

अब जब उसे कुछ भी नहीं आता था क्योंकि उसने तो अपनी डॉक्टर की डिग्री खरीदी थी, उसको डॉक्टर फील्ड का कुछ भी नहीं पता था। इस तरह से उस लड़की की मौत हो जाती है, क्योंकि ऑपरेशन के वक्त उस डॉक्टर के हाथ बिल्कुल नहीं चढ़े। 

तब वह ऑपरेशन रूम से बाहर आता है उस लड़की के पिताजी को यह बोलने की हम आपकी बेटी को नहीं बचा सके, I am sorry। बाहर आते ही देखता है तो वह डॉक्टर उस लड़की के फादर को देखते ही रह जाता है। 

उस लड़के ने अपनी स्टडी टाइम में बहुत लोगों को रिश्वत दी थी, जिनमें से एक थे वह फादर जो बाहर खड़े अपनी बेटी के लिए दुआ कर रहे हैं। जिसका ऑपरेशन हो रहा है। ऐसे डॉक्टर के हाथ जिसको डॉक्टर की एबीसीडी भी नहीं पता और रिश्वत लेने वालों में से एक उस लड़की के फादर भी है। 

उसके बाद में उस लड़की के फादर को एहसास होता है अगर यही हादसा किसी और के साथ हुआ होता तो उस फादर को इतना एहसास नहीं होता। अब जब खुद की बेटी के साथ में हुआ है तो उसे पछतावा हो रहा था और साथ में उस डॉक्टर को भी जिसके झूठी डिग्री की वजह से एक लड़की की मौत हो गई। 

दोस्तो, हम इंसान अपनी लाइफ में बहुत बड़ा बनना चाहते हैं। बहुत पैसा कमाना चाहते हैं। हम वो सब चीज खरीदना चाहते हैं जो हमारे सपने हैं। 

इस स्टोरी में रिश्वत लेने वाले और डॉक्टर बनने वाले दोनों को सिर्फ पैसों से मतलब था। किसी की जान जाए उससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। 

जिंदगी की रेस में कुछ बनने के लिए हम इतने wrong steps ले लेते हैं बिना कुछ सोचे कि इससे किसी की लाइफ को खतरा हो सकता है। लेकिन ऐसा तो तभी होता है, जब वही खतरा हमारी लाइफ को होता है। 

अगर उस लड़के को डॉक्टर बनने की चाह होती और मेहनत से डॉक्टर बनता तो न उस लड़की की मौत होती, न उस लड़के को अपने किए का पछतावा होता और न ही उस फादर की बेटी गई होती। 

कहानी का सीख (Moral of the Story)

अपने काम से प्यार करो, आप जरूर सक्सेस होगे। सक्सेस के लिए कभी भी कोई शॉर्टकट मत ढूंढो, क्योंकि अगर कुछ बन भी गए शॉर्टकट से तो एक न एक दिन मुंह के बल गिरोगे।

वो इंसान कभी भी खुश नहीं हो सकता जिसने शॉर्टकट से कामयाबी पाई हो। खुश तो वह रहेगा जिसने अपनी सक्सेस (Success) के लिए बहुत मेहनत (hard work) की और सक्सेस हो गया। 

एपीजे अब्दुल कलाम (A. P. J. Abdul Kalam) जी ने कहा था कि इंसान को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है क्योंकि सफलता का आनंद उठाने के लिए यह जरूरी है। 


6. कभी हार मत मानो, मोटिवेशनल कहानी छोटी सी (Short Motivational Story for Success in Hindi)

कभी हार मत मानो, मोटिवेशनल कहानी छोटी सी (Short Motivational Story for Success in Hindi)

दोस्तों, यह स्टोरी एक ऐसे इंसान की है जिनकी लाइफ में बहुत ज्यादा नाकामयाबी (failure) आयी लेकिन फिर भी वो नहीं रुके। आज उस इंसान की कंपनी का नाम लूंगा तो आप जान जाओगे, ऐसा कोई नहीं होगा जिसने उनकी कंपनी के बारे में सुना नहीं होगा।

इस स्टोरी में मै बताऊंगा किस तरह से उनकी लाइफ में इतने सारे नाकामयाबी (failure) आए और तब भी वो रुके नहीं और बाद में एक बिलियन डॉलर (billion dollar) की कंपनी खड़ी कर दी। और उन्होंने ये साबित कर लिया कि हर इंसान सक्सेस हो सकता है। बस वो कोशिश करना न छोड़े तो क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। 

तो स्टोरी कुछ इस प्रकार है – एक लड़का था जिसका नाम था “कर्नल” हरलैंड डेविड सैंडर्स (Colonel Harland David Sanders)। उसके परिवार (parents) की उससे बहुत उम्मीद थी कि वह कुछ न कुछ करेगा। 

जब वह पाँच साल का था, तभी उसके पिताजि की देहांत हो गई। 17 साल की उम्र में उसने पढ़ाई छोड़ दी। यहां तक की चार नौकरियो से भी निकाला गया। 19 साल की उम्र में वह पिता बन गया, लेकिन जिंदगी ने उससे यह सुख भी छीन लिया क्योंकि उनके बेटे की मौत हो गई। उसके एक साल बाद पत्नी और दो बेटियां उसे छोड़कर चले गए। 

22 साल की उम्र में कंस्ट्रक्शन के काम से निकाला गया। आर्मी से सस्पेंड कर दिया गया। वकील भी नहीं बन पाया। 

34 साल की उम्र में उसने नया काम शुरू किया, लेकिन उसमें भी नाकामयाबी ही हाथ लगी। 40 साल की उम्र में एक पेट्रोल पंप पर चिकन बेचने का काम करने लगा, लेकिन वह भी नहीं चला। उसके 10 साल बाद उसने खुद का रेस्टोरेंट खोला, जिसमें आग लग गई। उसने दोबारा उस रेस्टोरेंट को खड़ा किया। 

65 साल की उम्र में उसने खुद की कंपनी शुरू की, जिसका नाम था केंटुकी फ्राइड चिकन (KFC)। 

सोचो, 65 साल की उम्र में एक ऐसी उम्र जब लोग रिटायर हो जाते हैं, इस उम्र में लोग दोबारा उठने से हार मान लेते हैं, उस उम्र में उन्होंने अपने चिकन प्रयोग के साथ में ऐसा बिजनेस खड़ा किया जो आज 120 देशों में है, 20,000 से ज्यादा (KFC) रेस्टोरेंट्स है, और 23 अरब डॉलर से ज्यादा एक साल की कमाई है। 

इसलिये दोस्तों, कभी हार मत मानो (Never Give-up)। 

उस इंसान की इच्छा शक्ति (will power) देखिए आप, उसने कभी हार नहीं मानी और आखिर में उसको सफलता मिल ही गई। आपकी कौन सी कोशिश आपको बहुत ज्यादा आगे तक लेकर जाएगी वह आप नहीं जानते हैं। आप सिर्फ कोशिश करते रहिये। 


7. रितेश अग्रवाल की जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी (Real-life Success Motivational Story in Hindi)

रितेश अग्रवाल की जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी (Real-life Success Motivational Story in Hindi)

यह कहानी है एक ऐसे लड़के की है जिसने 21 साल के उम्र में ₹360 करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी। 21 साल की उम्र में बहुत से लोग कॉलेज में होते हैं या किसी जॉब की तलाश में होते हैं। लेकिन रितेश अग्रवाल ने यह साबित कर दिया कि स्टार्टअप की कोई उम्र नहीं होती। वह रोज 16 घंटा काम करते थे। 

उड़ीसा के रितेश अग्रवाल (Ritesh Agarwal) ने इतनी कम उम्र में ओयो रूम्स (OYO Rooms) की शुरुआत कर बड़े बड़े एक्सपीरियंस के एंटरप्रेन्योर्स (Experienced Entrepreneurs) को भी आश्चर्य चकित कर दिया। 

रितेश की इच्छा आईआईटी (IIT) में एडमिशन लेने की हुई जिसकी तैयारी करते वह कोटा गये। कोटा में पढ़ाई के साथ में जब भी हॉलिडेज होती थी, खूब ट्रैवल करते थे। यही उनके ट्रैवल में इंट्रेस्ट बढ़ने लगा और आगे जाकर बहुत फायदेमंद हुआ। कोटा में ही उन्होंने एक बुक लिखी थी इंडियन इंजीनियरिंग कॉलेजेज – कंप्लीट इनसाइक्लोपीडिया ऑफ टॉप हंड्रेड इंजीनियरिंग कॉलेजेज। इस बुक को फ्लिपकार्ट (Flipkart) पर बहुत पसंद किया गया। 

16 साल की उम्र में उनका सलेक्शन मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, (TIFR)  में आयोजित एसियन साइंस कैम्प (Asian Science Camp) के लिए किया गया। यहां भी वे हॉलीडेज में खूब ट्रैवल करते थे और कई सस्ते दामों की होटल में रुकते थे। 

रितेश को पहले ही बिजनेस में इंट्रेस्ट था, लेकिन उनको कोई आइडिया नहीं मिल रहा था। ट्रैवलिंग के वक्त ठहरने के लिए सस्ती होटल के बारे में बुरे एक्सपीरियंस को अपने बिजनेस का रूप देने का सोचा। उनको यहां एक आइडिया मिला। उनको लगा कि यहां से स्टार्टअप किया जा सकता है। मेरी तरह न जाने कितने लोग सेम प्रॉब्लम फेस कर रहे होंगे और यही स्टार्टअप की मीनिंग होती है। किसी स्टार्टअप का हल निकालना। 

2012 में उन्होंने पहली स्टार्टअप (Orwell Stage) ओरवेल स्टेज की शुरुआत की, जिसका मकसद था कम समय के लिए कम मीमत में रूम को उपलध कराना, जिसको कोई भी आसानी से ऑनलाइन रिजर्व कर सकता था। 

काफी कम समय में रितेश अग्रवाल को अपने स्टार्टअप में सक्सेस मिली। वेंचर नर्सरी कंपनी से 30 लाख का फंड भी मिल गया था और वे और भी बारीकी और ध्यान से काम करने लगे। लेकिन पता नहीं क्यों उनका यह बिजनेस मॉडल जितनी उम्मीद करी थी, उतना प्रॉफिट देने में सक्सेस नहीं रहा और स्टेज घाटे में चला गया और आखिर में कंपनी को बंद करना पड़ा। 

लेकिन वह इंसान रुका नहीं। उन्होंने देखा कि कहां कमी रह गई है। उन्होंने दोबारा इस आइडिया पर काम करने की सोची। 

हरिवंशराय बच्चन जी ने अपनी एक कविता में कहा था, असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो। असफलता एक चुनौती है। इसे स्वीकार करो। क्या कमी रह गई है, देखो और सुधार करो। 

जब रितेश अग्रवाल कमियों के बारे में सोचने लगे, तब अपने एक्सपीरियंस से उन्हें यह बात लगी कि इंडिया में कम प्राइस में होटल मिलना या न मिलना कोई प्रॉब्लम नहीं है। एक्चुअली कमी है होटल के कम प्राइस में बेहतरीन बेसिक फैसिलिटी को प्रोवाइड न कर पाना। 

उनको अपने ट्रेवल वाले एक्सपीरियंस याद आए कि कैसे उन्हें बहुत ज्यादा प्राइस देने के बाद भी गंदे और बदबूदार कमरे मिलते थे और कभी कभी कम प्राइस में भी आरामदायक और कम्फर्टेबल रूम मिल जाते थे। उन सब बातों ने रितेश अग्रवाल को इंस्पायर किया और वे ओरवेल स्टेज में कुछ बदलाव करें। 

जो कमियां थी उसे दूर करें और 2013 में ओयो रूम्स (OYO ROOMS) को लॉन्च किया, जिसका मतलब था आपके अपने कमरे। 

इस बार रितेश अग्रवाल की मेहनत रंग लाई और सब कुछ वैसा ही हुआ जैसा वे चाहते थे। कम प्राइस में बेहतरीन फैसिलिटी के साथ में ट्रैवलर्स को यह सेवा बहुत पसंद आने लगी। धीरे धीरे कर्मचारियो की संख्या 2, 15, 25 कर दी और आज के वक्त में ओयो रूम्स कंपनी में 1500 से भी ज्यादा मर्मचारिया काम करते हैं। 

कंपनी के स्टैबलिश होने के एक साल बाद 2014 में दो बड़ी कंपनीज लाइट स्पीड वेंचर पार्टनर्स (Lightspeed Venture Partners) और डीएसजी कंज्यूमर पार्टनर्स (DSG Consumer Partners) ने ओयो रूम्स में ₹4 करोड़ का इन्वेस्ट किया। इतना ही नहीं 2016 में जापान की मल्टीनेशनल कंपनी सॉफ्टबैंक (Softbank) ने भी ₹7 अरब का इन्वेस्ट किया, जो कि एक न्यू कंपनी के लिए बहुत बड़ा इन्वेस्टमेंट होता है। 

हर महीने ₹1 करोड़ से भी ज्यादा रुपए की बुकिंग होने लगी। सिर्फ दो साल में ओयो रूम्स ने 15,000 से भी ज्यादा होटल यानी 10 लाख रूम्स, ओयो रूम्स कंपनी से जुड़ गए, जो कि देश की सबसे बड़ी, आरामदायक और सस्ते प्राइस में लोगों को रूम्स प्रोवाइड कराने वाली कंपनी बन चुकी थी। 

ओयो रूम्स (OYO Rooms) आज इंडिया की टॉप स्टार्टअप कंपनीज (top startup companies) में से एक है और अब मलेशिया में भी अपनी सेवा देना शुरू कर दिया है और आने वाले टाइम में और भी देशों में अपनी पहुंच यह कंपनी बनाने जा रही है। 

एक टाइम था जब रितेश अग्रवाल को सस्ते रूम्स में प्रॉब्लम को फेस करनी पड़ रही थी। आज इंडिया ही नहीं दूसरे देशों के लोगों को भी आरामदायक रूम दे रहे हैं और बहुत प्राउड होता है किसी इंडियन को इस तरह से सक्सेसफुल स्टार्टअप करते हुए देखना।


8. थॉमस अल्वा एडिसन रियल लाइफ स्टोरी इन हिंदी (Real-life Inspirational Stories in Hindi)

थॉमस अल्वा एडिसन रियल लाइफ स्टोरी इन हिंदी (Real-life Inspirational Stories in Hindi)

मैं असफल नहीं हुआ हूं। मैंने बस 10,000 ऐसे तरीके खोज लिए हैं जो काम नहीं करते हैं। – थॉमस अल्वा एडिसन।

इलेक्ट्रॉनिक बल्ब का आविष्कार थॉमस अल्वा एडिसन (Thomas Alva Edison) ने किया था, जिससे सारा जगत रात के अंधेरे में भी प्रकाशमान रहता है। कहते है कि बचपन में थॉमस अल्वा एडिसन को मंदबुद्धि कहा जाता था, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी मेहनत की बदौलत ऐसा काम और मुकाम हासिल किया जिसकी चाह हर परिश्रमी व्यक्ति को होती है। 

बताया जाता है कि एडिसन को अपने काम से इतना लगाव था वे अधिकांश अपना समय प्रयोगशाला में ही बिताते थे और इसका परिणाम यह निकला कि बल्ब के साथ साथ एडिसन ने और भी सैकड़ों आविष्कार इस दुनिया को गिफ्ट किये। आज के इस स्टोरी में हम आपको इस महान वैज्ञानिक की सफलता का राज (secret of success) बताएंगे। 

कहते हैं हर कामयाब इंसान के पीछे एक औरत का हाथ होता है। यह कहावत एडिसन के ऊपर भी सटीक बैठती है और वह औरत और कोई नहीं बल्कि एडिसन की मां थी। तो चलिए दोस्तो, मैं आपको बताता हूं थॉमस अल्वा एडिसन की सफलता का राज (secret of success)।

थॉमस अल्वा एडिसन जब एक प्राइमरी स्कूल में पढ़ते थे तो वह एक दिन घर आए और मां को एक कागज देकर कहा यह टीचर ने दिया है। कागज पढ़कर मां की आंखों में आंसू आ गए। एडिसन ने अपनी मां से पूछा, इसमें क्या लिखा है मां? 

आंसू पोंछकर मां ने कहा, इसमें लिखा है कि आपका बेटा बहुत होशियार, जीनियस है। हमारा स्कूल लो लेवल का है और टीचर भी बहुत प्रशिक्षित नहीं है इसलिए हम इसे पढ़ा नहीं सकते। इसे आप स्वयं ही शिक्षा दें। 

कई वर्षों बाद मां गुजर गई। तब तक एडिसन फेमस साइंटिस्ट बन चुके थे और उन्होंने फोनोग्राफ (Phonograph) और इलेक्ट्रॉनिक बल्ब (Electronic Bulb) जैसे कई महान आविष्कार कर लिए थे। 

एक दिन फुर्सत के क्षणों में वह अपने पुरानी यादगार वस्तु को देख रहे थे। तभी उन्होंने अलमारी के कोने में एक पुराना खत देखा और एक्साइटेड से उसे खोला और पढ़ा। 

यह वही खत जो बचपन में एडिसन के शिक्षक ने दिया था उनकी मां को बताने के लिए| उसमें लिखा था – आपका बच्चा मेंटली वीक है यानी बौद्धिक तौर पर काफी कमजोर है। उसे अब स्कूल न भेजें। आपका बेटा थॉमस अल्वा एडिसन हमारे स्कूल के लायक नहीं है। 

एडिसन कई घंटों तक रोते रहे और फिर अपनी डायरी में लिख दिया एक महान मां ने मेंटली वीक बौद्धिक तौर पर काफी कमजोर बच्चे को सदी का ग्रेट साइंटिस्ट, महान वैज्ञानिक बना दिया। यही पॉजिटिव पैरेंट्स की रियल पावर है। 

दोस्तों, अगर उस खत में जो लिखा था वही एडिसन की मां ने उनको बता दिया होता तो शायद आज थॉमस अल्वा एडिसन इतने महान साइंटिस्ट नहीं बन पाते। लेकिन उनकी मां ने उनके अंदर एक आत्मविश्वास भरा। उनको बताया कि आप इतने जीनियस है कि यह स्कूल आपके लायक नहीं है। जबकि उस खत में लिखा था कि आप इस स्कूल के लायक नहीं है। 

दोस्तों, अपने आप को कभी कमजोर नहीं समझिए। थॉमस अल्वा एडिसन जो मंदबुद्धि के कहा जाते थे, उन्होंने आत्मविश्वास के बल पर इतने बड़े साइंटिस्ट बन गए। तो आप भी कुछ भी कर सकते हैं। अपने लाइफ में जो भी आप करना चाहते हैं। 


तो दोस्तों, आपको यह short motivational story in Hindi for success कैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताएं क्योंकि आपका विचार हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। और साथ ही इस पोस्ट को आप अपने दोस्तों को भी शेयर कीजियेगा।

Read Also: Story in Hindi

अगर आपको हमारी हिंदी कहानियाँ पसंद आईं, तो हमारी वेबसाइट को SUBSCRIBE करना न भूलें! इससे आपको भविष्य में आने वाली सभी पोस्ट के नोटिफिकेशन मिलते रहेंगे, और आप ऐसे ही मोटिवेशनल कहानियाँ (motivational stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (inspirational stories), सच्चे जीवन की कहानियाँ (real-life stories), बच्चों की नैतिक कहानियाँ (kids moral stories), सोने से पहले की कहानियाँ (kids bedtime stories), रोमांटिक प्रेम कहानियाँ (romantic love stories), मजेदार कहानियाँ (funny stories), और हॉरर कहानियाँ (horror stories) का आनंद लेते रहेंगे। 

हमारे साथ जुड़े रहें और हर दिन नई और रोमांचक कहानियों का हिस्सा बनें। धन्यवाद!

Rakesh Dewangan

मेरा नाम राकेश देवांगन है। Hindi Kahani ब्लॉग वेबसाइट पर मेरा उद्देश्य हिंदी में प्रेरक, मजेदार, और नैतिक कहानियों के माध्यम से पाठकों को मनोरंजन और शिक्षित करना है। मेरी कोशिश है कि मैं उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री प्रदान करूँ जो लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए। आपके समर्थन से, मैं अपने इस सफर को और भी रोमांचक और सफल बनाने की उम्मीद करता हूँ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

Discover more from Hindi Kahani

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading